मंगलवार, 14 मई 2019

मरूधर री महिमा

छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था

एक नाई, एक खाती, एक लुहार था....
छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बङा दिलदार था,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था..।।
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कितै भी रोटी खा लेतै, हर घर मे भोजऩ तैयार था,,,
बिटोङे पे घिया तौरी हो जाती,,
जिसके आगे शाही पनीर बेकार था..
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था।।।
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दो मिऩट की मैगी ना, झटपट दलिया तैयार था,
नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था.अपणा घङवा कस कै बजा लेते, लख्मी पुरा संगीतकार था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था।।।

मुल्तानी माटी ते जोहड़ में नहा लेते,साबुन अर स्विमिंग पूल बेकार था, अर फेर कबड्डी खेल लेते, कुन्सा म्हारे क्रिकेट का खुमार था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था।।।

बुढ़या की बात सुन लेते, कुन्सा टेलीविज़न अर
अखबार था,,,
भाई नै भाई देख कै राज़ी था, सबमै घणा प्यार था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था।।।

वो प्यार, वो संस्कृति मैं इब कड़े तै ल्याऊं,
या सोच सोच कै मैं घणाए दुखी पाऊं।
जै वोए टैम फेर आज्या, तो घणाए मजा आज्या,,,
मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं, अर मैं इस
धरती पै सो सो शीश झुकाऊं।

रविवार, 12 मई 2019

मातृत्व दिवस रोज मनाया करे

।। राम राम सा ।।
ऊपर जिसका अन्त नही उसे आसमान कहते है
और  नीचे जिसका अन्त नही उसे माँ कहते है

मित्रो माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक दिवस नहीं एक सदी भी कम है। किसी ने कहा है ना कि सारे सागर की स्याही बना ली जाए और सारी धरती को कागज मान कर लिखा जाए तब भी मां की महिमा नहीं लिखी जा सकती। इसीलिए हर बच्चा कहता है मेरी मां सबसे अच्छी है। जबकि मां, इसकी- उसकी नहीं हर किसी की अच्छी ही होती है, क्योंकि वह मां होती है। मातृ दिवस पर हर मां को उसके अनूठे अनमोल मातृ-बोध की बधाई। मित्रो  विदेशो  मे  अनेक त्योहारों की मातृ दिवस भी मनाते हैं क्योकि भारतीयो की तरह वहाँ की माँए नही होती है इसलिये वो मातृ दिवस मनाते हैं    पश्चिमी सभ्यता मे एक औरत उम्र में चार पाँच लोगो से शादी कर लेती है।  तो उन बच्चो  को माँ  कहाँ पर है पता ही नहीं चलता है। उनको मातृ दिवस पर ही मुस्किल से माँ मिल पाती है ।
मित्रो हमारे लिए तो रोजाना मातृ दिवस है । माँ का महत्व हर किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत मायने रखता है। किसी भी इन्सान के जीवन की शुरुवात उसकी माँ से ही होती है। माँ अपने बच्चे को जन्म देती है, उसे अच्छे संस्कार देती है और उसे एक अच्छा इन्सान बनाती है। माँ के प्रति अपना प्यार और आदर जताने के लिए हम सब मातृत्व दिवस  मनाते है। ये आज ही नही बल्कि रोजाना मनाया करे  तो भी कम है ।
मित्रो माँ , एक ऐसी औरत जो मौत के मुंह में जाकर एक जिंदगी को जन्‍म देती है। लेकिन इस नई जिंदगी के साथ उसकी चिंताओं का सफर भी शुरू हो जाता है। जो उसकी चिता पर जाकर होता खत्म है। एक औरत का स्वभाव ही कुछ इस प्रकार होता है ,सबका ध्‍यान रखना, सबके बारे में सोचना। पर जब वो माँ बनती है तो अपने बच्चों की चिंता करना उसका पसंदीदा काम हो जाता है।जब कुछ बड़े हो जाते हैं बच्चे तो मां को हर बार हर समय कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए इसकी चिंता रहती है ।इस चिंता में मां न जाने कितनी बार घड़ी को देखती है, मेरा बेटा  या बेटी स्कुल से अभी तक  नही आए खेत  से नही आए  बेटी ससुराल मे खुश हैं या नहीं भी ?माँ को हर समय चिन्ता रहती है ।
सच में माँ की ममता और वात्सल्य ,निःस्वार्थ होते हैं । यूं तो हर किसी ने इसे महसूस किया हैं, लेकिन समझने की कभी कोशिश नहीं की, क्योंकि माँ कभी भी अपने उपकारों का, अपने प्यार का, अपने त्याग का और कष्टों का न तो कभी अहसान जताती है और न ही कभी इसका मूल्य मांगती है ।
घर में भाई, बहन, माँ, बाप, दादा दादी रहते है फिर बच्चा अपनी माँ के पास में रहना अधिक पसंद करता है। घर के सभी लोग अच्छे होने के बाद भी बच्चे को केवल अपनी माँ ही अच्छी लगती है। इसीलिए दुनिया में माँ का जो महत्व है, उसका जो स्थान है वो सबसे ऊपर है।
गुमनाराम पटेल सिनली

शनिवार, 11 मई 2019

कम्प्यूटर के कीबोर्ड में F1-F12 कीज़

कम्प्यूटर के कीबोर्ड में F1-F12  keys
हर कम्प्यूटर के कीबोर्ड की दूसरी लाइन में F1 से F12 तक की होती हैं. क्या आप जानते हैं इनका उपयोग? अगर नहीं जानते हैं तो आइए, पढ़ें और सीखें-

 

F1: कम्प्यूटर को ऑन करते समय इस की को प्रेस करने पर आप कम्प्यूटर सेटअप में पहुंच जाएंगे. यहां से सेटिंग्स को चेक और चेंज किया जा सकता है.

 

F2: विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी फाइल को रीनेम करने के लिए इस की का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इस की को प्रेस करने पर आप उस फाइल का प्रिंट प्रिव्यू देख सकते हैं.

 

F3: विंडोज में इस की का इस्तेमाल करके सर्च बॉक्स खोला जाता है, जिससे किसी भी फाइल या फोल्डर को सर्च किया जा सकता है. इसके अलावा MS-DOS में इस को प्रेस करने पर पहले टाइप की गई कमांड दोबारा टाइप हो जाती है.

 

F4: माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इस की को प्रेस करने पर पिछला काम रिपीट हो जाता है, जैसे- जो शब्द पहले टाइप किया था वह फिर से हो जाएगा,जो शब्द बोल्ड किया है वह फिर से हो जाएगा आदि.

 

F5: सबसे ज्यादा इस की का इस्तेमाल रिफ्रेश करने के लिए होता है. इसके अलावा पावरपॉइंट में इसे प्रेस करने से स्लाइड शो शुरू हो जाता है.

 

F6: इसको प्रेस करने से विंडोज में खुले फोल्डर्स के कंटेंट दिखने लगते हैं. इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में खुले कई सारे डॉक्युमेंट्स को एक-एक करके देखने के लिए Control+Shift+F6 का इस्तेमाल किया जाता है.

 

F7: माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में अगर इस की को प्रेस करने के बाद कुछ भी टाइप करेंगे तो उस शब्द की स्पेलिंग चेक होने लगेगी.

 

F8: माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में हम टेक्स्ट को सिलेक्ट करने के लिए इस की का इस्तेमाल किया जाता है.

 

F9: माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक में ई-मेल भेजने या रिसीव करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. कई नए लैपटॉप में इसकी मदद से स्क्रीन की ब्राइटनेस को भी कंट्रोल किया जा सकता है.

 

F10: किसी भी सॉफ्टवेयर में काम करते हुए इस की को दबाते ही मेन्यू खुल जाता है. इसके अलावा Shift के साथ F10 प्रेस करने पर यह माउस के राइट क्लिक का काम करता है.

 

F11: इंटरनेट ब्राउजर्स (इंटरनेट एक्सप्लोरर, क्रोम) में फुल स्क्रीन व्यू करने के लिए इस की का इस्तेमाल किया जाता है.

 

F12: माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इस की प्रेस करने से Savs As का ऑप्शन खुल जाता है. Shift के साथ F12 प्रेस करने पर माइक्रोसॉफ्ट फाइल सेव हो जाती है.

 मित्रो आप सब तो इन जादुई कीज़ के बारे में पहले से ही सब कुछ विस्तार से जानते होंगे, लेकिन ऊपर जैसे दो नुस्खे हमने आपको बताए, वैसे कुछ नई जानकारी वाले नुस्खे आपके पास भी हों तो कामेंट्स में हमारे साथ अवश्य साझा कीजिएगा. हर तरह की नई जानकारी का हार्दिक स्वागत है.

आरती (जय जगदीश हरे )

आरती ॐ जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे ,दुःख विनसे मन का,
सुख सम्पत्ति घर आवे ,कष्ट मिटे तन का । ओम जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी,
तुम बिन ओर न दूजा,आस करूं जिसकी | ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी,
पार ब्रह्म परमेश्वर ,तुम सब के स्वामी | ओम जय जगदीश हरे
तुम करूणा के सागर ,तुम पालन कर्ता,
मैं मूरख खलकामी, कृपा करो भर्ता | ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति ,
किस विधि मिळू दयामय , तुमको में कुमति | ओम जय जगदीश हरे
दिन बंधु दुख हरता , तुम रक्षक मेरे ,
अपने हाथ बढ़ाओ द्वार पड़ा तेरे | ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा ,
श्रध्दा भक्ति बढ़ाओ , संतन की सेवा | ओम जय जगदीश हरे
तन मन धन जो कुछ है ,सब तेरा
तेरा तुझको अर्पित , क्या लागे मेरा |  ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे |

जोधपुर के मिर्चीबड़े

मिर्चीबड़ा  की कहानी 
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यदि आपने कभी मिर्चीबड़ा का नाम नही सुना, कभी खाया नही तो मैं बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन हैं।

कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना मिर्चीबड़ा खाये मर जाये ये तो हो ही नही सकता।

मिर्ची बड़े के लिए जोधपुर के एक शायर ने जोरदार जुमला जड़ा है..
वे कहते हैं-बेसन के कफ़न में लिपटा मिर्च का ताबूत है मिर्चीबड़ा।

बेसन के घोल में सुनहरे तले हुये कवर में लम्बी हरि मिर्ची के साथ भरे मसालेदार दुष्ट आलूओ का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह जोधपुरियो के दिल दिमाग पर हावी बना हुआ है।

हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे मिर्चीबड़ा हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।

मिर्चिबड़े का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम मिर्चिबड़े पर लागू नही होता। मिर्चिबड़े सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है मिर्चीबड़े पर। ये बेबस कर देते हैं आपको। मिर्चीबड़े को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।

मिर्चीबड़े मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेला आपके पेट मे जाने को तैयार नही होता। आप पहला मिर्चीबड़ा खाते हैं तो आँखे दूसरे मिर्चीबड़े को तकने लगती है, तीसरा आपके दिमाग पर कब्जा कर लेता है और दिल की सवारी कर रहे चौथे मिर्चीबड़ेे की बात आप टाल नही पाते।

मिर्चीबड़े को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप मिर्चीबड़े के पीछे होते हैं।

मिर्चीबड़ेे को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाते, झूमते सुनहरे मिर्चीबड़े आपके पाँव रोक ही लेगें। ये जादूगर होते हैं। आप को सम्मोहित कर लेते हैं ये। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है मिर्चीबड़े की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको मिर्चीबड़े की प्लेट ना थमा दें।

किसी मशहूर मिर्चीबड़े दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। मिर्चीबड़ेे से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें मिर्चीबड़े को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।

मिर्चीबड़ा पीज्जा, बर्गर के दादा हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने मिर्चीबड़े से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है।

वो तो हम पैसे धैले के मामले मे अमेरिका से उन्नीस पडते हैं वरना पूरी दुनिया मे मैकडोनाल्ड की जगह मिर्चीबड़े कार्नर की चेन्स होतीं।

हमारे खाने पीने की दुनिया के बाद़शाह है मिर्चीबड़ेे, और हमारे देश मे बादशाह को ना कहने का नहीं झुक झुक कर सलाम करने का रिवाज है।

तो फिर जाइये, अब देर किस बात की। तुरन्त दो-चार मिर्चीबड़े उदरस्थ कीजिये और मस्त-मलंग हो कर दोबारा फिर मिर्चीबड़ा खाने के समय को निर्धारित कीजिये।

माँ की ममता का कोई मोल नहीं है

।। राम राम सा ।।
ऊपर जिसका अन्त नही उसे आसमान कहते है
और  नीचे जिसका अन्त नही उसे माँ कहते है

एक समय की बात है , एक बच्चे का जन्म होने वाला था. जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा : ” मैं इतना छोटा हूँ, खुद से कुछ कर भी नहीं पाता , भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा , कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये , मैं कहीं नहीं जाना चाहता.”
भगवान् बोले, ” मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं , उन्ही में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है, वो तुम्हारा ख़याल रखेगा. “
“पर आप मुझे बताइए , यहाँ स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता बस गाता और मुस्कुराता हूँ , मेरे लिए खुश रहने के लिए इतना ही बहुत है.”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हारे लिए गायेगा और हर रोज़ तुम्हारे लिए मुस्कुराएगा भी . और तुम उसका प्रेम महसूस करोगे और खुश रहोगे.”
” और जब वहां लोग मुझसे बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे , मुझे तो उनकी भाषा नहीं आती ?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुमसे सबसे मधुर और प्यारे शब्दों में बात करेगा, ऐसे शब्द जो तुमने यहाँ भी नहीं सुने होंगे, और बड़े धैर्य और सावधानी के साथ तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बोलना भी सीखाएगा .”
” और जब मुझे आपसे बात करनी हो तो मैं क्या करूँगा?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना सीखाएगा, और इस तरह तुम मुझसे बात कर सकोगे.”
“मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं . उनसे मुझे कौन बचाएगा ?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बचाएगा , भले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों ना आ जाये.”
“लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूँगा क्योंकि मैं आपको नहीं देख पाऊंगा.”
” तुम इसकी चिंता मत करो ; तुम्हारा फ़रिश्ता हमेशा तुमसे मेरे बारे में बात करेगा और तुम वापस मेरे पास कैसे आ सकते हो बतायेगा.”
उस वक़्त स्वर्ग में असीम शांति थी , पर पृथ्वी से किसी के कराहने की आवाज़ आ रही थी….बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना है , और उसने रोते-रोते भगवान् से पूछा ,” हे ईश्वर, अब तो मैं जाने वाला हूँ , कृपया मुझे उस फ़रिश्ते का नाम बता दीजिये ?’
भगवान् बोले, ” फ़रिश्ते के नाम का कोई महत्त्व नहीं है , बस इतना जानो कि तुम उसे“माँ”कह कर पुकारोगे .”

शुक्रवार, 10 मई 2019

लोकदेवता खेतलाजी

।। राम राम सा ।।
मित्रो राजस्थान मे हर गाँव मे खेतलाजी  का स्थान जरुर होता है वैसे नाम भले ही अलग-अलग है पर ये पुरे भारत मे भी इनका स्थान है । खेतलाजी की पूजा पुरे भारत मे की जाती है । और हमारे गाँव मे भी खेतलाजी का थान है जो तालाब के -पश्चिम भाग मे बौको की वाड़ी मे है । इनको ग्राम देवता भी कहते है । खेतलोजी गांव के पालक है, यह गांव के रक्षक है, पहरेदार है। चौकीदार है, पूरे क्षेत्र के लोक देवता है, इसलिए इसकी पूजा तो हमे करनी ही पडेगी क्योंकि गांव के रक्षक जो है, खेतलाजी हर जगह मे गांव के बाहर एक पवित्र और सुनसान जगह पर किसी पेड़ के नीचे या किसी चबूतरे पर पर विराजित मिलेगे, अब थोड़ा इसके पूजा के इतिहास पर आते हैं। यह कलियुग के जाग्रत देवता है, शिव के रुधिर से उत्पन्न है, नाथ समाज में विशेष मान्यता है, यह इतने भयानक है कि कोई भी गांव में प्रवेश करेगा तो जात देनी ही पड़ेगी। भय से मुक्त होना है तो खेतलाजी की शरण लेनी पड़ेगी। आदिकाल से ही पहले देवताओं ने मनुष्य बनाया, तो मनुष्य ने भी देवता बनाये और पूजे। यह शिव का प्रमुख गण है, मां दुर्गा का अनुचर है, शिव से भी पहले इसकी पूजा होती है। यह तामसिक देवता है। उग्र देवता है, इसका रूप भी कुछ गहरा काला रंग, स्थूल शरीर, काले डरावने वस्त्र, गले में रूद्राक्ष की कंठमाल, हाथों मे मोटे लोहदंड, कुत्ते पर सवार यह भयानक योद्धा ग्राम की सीमाओं का आदिकाल से ही स्वयं काल का भैरव बनकर चौकीदारी करता है, पहले कुछ लोग इसको , मदिरा और बलि तक चढाते थे अब तो नही देखते है । हमारे गाँव में तो  हम बचपन से खेतलाजी को बाकले और चूरमा चढाते हुए देखते आ रहे हैं।गांव में जाये हर बच्चे की जातर खेतलाजी  को दी जाती है,  औरतें अपने  पीहर  व ननिहाल भी जात देने जाती है । राजस्थान के लोक जीवन में खेतलाजी,नाम से पूजन किया जाता है। कहते हैं कि  गांव की बेटी खेतलाजी  के बाकले और चूरमा प्रसादी नहीं खाती है क्योंकि जो भी कुँवारी लड़की  खेतलाजी  के बाकले खायेगी उसे शादी के बाद जातरा देनी ही होगी।भय से मुक्ति, गांव की संकट से रक्षा के लिए खेतलाजी की पूजा करनी ही होगी, क्योंकि ये ग्राम देवता है, गणदेवता है, गरीब के भी देवता है, गुवाड के देवता है, गोचर के देवता है,। पूजा-पाठ विधि सीधी है पर देवता भयानक है, डर से बचाते है, गांव को संकट से बचाते है गाँव के पहरेदार है, द्वारपाल है तो हमारी-आपकी  इतनी सी बनती ही है की खेतलाजी के लिये ( गुगरी मात) ,बाकला चढाए।