।। राम राम सा ।।
जिस दिन से पूरी दुनिया मे कोरोना नाम की लाईलाज महामारी ने अपना जाल बिछाया है तब से हर एक इंसान डरा हुआ जरुर है लेकिन शर्मिंदा एक रत्ती भर नहीं है क्यूंकि उसने प्रकृति के साथ कुछ गलत तो कभी किया ही नहीं है !!
जब मानव जाती ने जानवरों को उनके परिवारों से अलग किया , तो आज भगवान् ने मानव समाज से अलग कर दिया- सोशल डिस्टेंसिंग, भले अभी भी कुछ लोग इसका मजाक बना रहे हैं इसे तन की दूरी कह कर।
आज भगवान् ने पक्षियों को आज़ाद कर दिया और मानव को कैद कर दिया है ताकि मानव शर्मिंदगी महसूस करें जब मानव आज खुले आसमान में पंछियों को उड़ते हुए देखें और महसूस करें कि कैसे आपने इनको मजबूर कर दिया था लुप्त होने के लिए सारे वातावरण को दूषित करके।भगवान् ने कुछ समय के लिए ही सही पर मांसाहार पर विराम लगा दिया है और लोग आजकल मजबूर हो गए शाकाहार को बढ़ावा देने के लिए
आज सब के दुपहिया ,चारपहिया वाहन इंतज़ार कर रहे हैं कि उनका चालाक कब आकर उन्हें फिर से चलाएगा , घर से बाहर कदम रखते ही वाहन की आवश्यकता महसूस होती थी जिससे प्रदुषण बढता था चाहे वो कुछ ही दूरी चलकर ही तय क्यूँ नहीं कर सकते थे लेकिन कभी ये नहीं सोचा कि पेट्रोल जैसे संसाधनों का प्रयोग अगर कम से कम किया जाए तो सड़कों पर भीड़ कम होगी , हमारी अगली पीडीयों को संसाधन उपलब्ध रहेंगे , वातावरण सुरक्षित रहेगा।ब्राह्मण जब पेड़ों की,पशु-पक्षियों की पूजा करते थे तो उनका मज़ाक उड़ाया जाता था और आज वही पेड़ पौधे और पशु-पक्षी खुले वातावरण में घूम रहे हैं और सांस ले रहे हैं लेकिन इंसान कैद है।आजकल छोटे छोटे बच्चों को बड़ों का सम्मान करने के लिए पाश्चात्य सभ्यता का पालन करते हुए देखा गया है जबकि हिन्दू धर्म में शुरू से ही नमस्ते करने का प्रचलन है तो भगवान् ने सोचा क्यूँ न इस प्रचलन को वापिस से याद करवाया जाए इसलिए इसको इतना प्रचलित कर दिया गया कि सारा देश ही नहीं सारी दुनिया आज हाथ जोड़कर नमस्ते कर रही है।अभी भी संभलने की ज़रुरत है क्यूंकि जिन बिजली के संसाधनों को हम लापरवाही से इस्तेमाल कर रहे हैं कहीं हमारी आने वाली पीढीयौ को वो उपलब्ध नहीं हुए तो फिर से हम भगवान् को ही दोष देंगें।
शनिवार, 28 मार्च 2020
मानव का कुर्रतापूर्ण व्यवहार
शहरो से गाँवों की और भागते मजदूर
आज जीवन बचाने के लिए शहरों से गांवों की ओर भाग रहे दिहाड़ी मजदूरों की जो तस्वीर सामने आ रही हैं वह दरिद्र भारत का सबसे भयानक चेहरा है। ये तस्वीरें 70 सालों के हमारे विकास के दावों की विफल कहानियां भी हैं। क्या सरकारों में ऐसा कोई है जो सड़कों से आ रहे गरीब मजदूरो के इन संकेतों को समझ सके
जब ये कोरोना देशी-विदेशी काँधे पर बैठकर भारत में भी घुस आया. तब काश ! जनवरी की शुरुआत में ही सारे अन्तर्राष्ट्रिय एयरपोर्ट व ‘बॉडर’ पर ही एक महीने का ‘लॉकआउट’ हो जाता तो पुरे देश को आज ये दिन देखना नही पड़ता
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
कोरना रौ कहर
।। राम राम सा ।।
भायौ वगत वगत री बात है इण लारला दस दिनौ पैली अर आज की वगत मे घणौ मोकलो फरक पडगौ। मिनख आज आप आपरा घरा मे कैदी बणगा। हँस हंस बोलण आळा पडौसी आज घुर्र घुर्र ने ईया दैखै जाणे कोराणे रौ मौठो मरीज म्है ही हूँ। बारणे गली मे जान्वणा सूँ पिछवाड़ा मे मान्डणा मान्ड़वा रौ डर भी कम कौणी है ।
आपा रे प्रधान-मंत्री इण देश री स्वास्थ्य सुरक्षा रे खातिर पुरा देश रे माय ईक्कीस दिन रौ
लोकडाउन राख्यौ । ऐ ईक्कीस दिन आपणे देश सारू किताक महताऊ हौवेला इणरौ ठाँ नी पण ऐ इक्कीस दिनौ आपणे देश रे सगळा नर नारियां सारू त्यौहार सूँ कम नी वैला आज आपा सगळा इण महताऊ बेळा में माँ बाप सूँ भेळा हुय ने बाता कर सका
इण स्यु पेला माँ बाप सूँ बातो करवा री आपाने बैला कदई नी ही।
सम्पुर्ण धरती पर मानव अधिकार
।। राम राम सा ।।
मित्रो चीन देश से निकला कोरोना वायरस आज उग्र रुप धारण करते हुए पूरी दूनियाँ मे एक गंभीर चुनौती बना गया है। संक्रमण की वजह से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुँचने वाली इस लाईलाज बीमारी की वजह से दुनिया के सभी देशों के लोगो मे भय का माहोल है।
इस बीमारी की वजह से अनेकों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है और दुनिया में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के कारण लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो रहें हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि दुनिया में इस जानलेवा वायरस के आने के क्या कारण रहें हैं ?
मित्रो ये स्वयं मानव द्वारा किए गए कृत्यों का नतीजा हो सकता है । ईश्वर द्वारा रचित इस सुंदर संसार में मनुष्य के साथ सभी जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों व प्राणियों को जीने का अधिकार है। लेकिन मानव ने अपनी स्वार्थ वाली सोच के कारण यह समझ लिया है कि पृथ्वी पर सभी जगह पर सिर्फ उनका ही अधिकार है।
मानव अपनी सुविधा के लिये कभी भी, कुछ भी कर सकता है। जब चाहे तब किसी भी बेजुबान की जान ले सकता है। वैसे तो मानव की शारिरिक बनावट शाकाहार के लिए बनी है। परंतु अपनी जीभ के स्वाद के लिए मानव जीव-जंतुओं के मांस को खाने में कोई परहेज नही करता है । यदि चीन की बात की जाए,और जहाँ से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई है वहाँ पर चीन के लोग सभी तरह के पशु पक्षी,कीड़े-मकोड़े, चमगादड़, झींगा, कीट-पतंगों तथा चूजे व चूहों कुत्तो आदि को जिन्दा ही खा जाते है। यह बात सिर्फ अकेले चीन की बात नहीं है दुनिया के सभी देशो में पशु-पक्षी जीव-जंतुओं पर क्रूरता की जा रही है। किसी भी को नही छोड़ रहे हैं।मानव उड़ने वाले मे पतंग को पानी मे नाव को चौपाइयों मे चारपाई को छोडकर सभी को खा जाता है। भारत सदियो से सन्तो का देश रहा है । जिसमे ज्यादातर आबादी शाकाहारी है लेकिन अब हमारे देश में भी जीव-जंतुओं के प्रति दया का भाव रखने वाले लोग बहुत कम रह गये है।
वैसे मानवता की दृष्टि से बेजुबान प्राणियों पर हो रही हिंसा को देखना बेहद मुश्किल कार्य है। बकरे को हलाल किया जा रहा है जिसके कारण वह दर्द से तड़प रहा है, सुअर के छोटे -छोटे जिंदा बच्चों पर गर्म खोलता हुआ पानी गिराकर उनकी खाल उतारने के प्रयास किए जा रहे हैं, मछली के दो टुकड़े करके कढ़ाई में डाला जा रहा है जबकि वो दो हिस्से होने के बाद कुछ देर तक दर्द से छटपटा रही है। एक वीडियो में इंसान अनेकों जीवित गिंझाईयों को प्लेट में डालकर अपना निवाला बना रहें हैं। मुर्गो,भेड़ो,भैसों व ऊँटो को हलाल करने की ढेरों वीडियो को तो यूट्यूब पर बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। बेजुबानों का खून बहाकर उन्हें अपना निवाला बनाने का काम तो मानव का नही दानव का ही होता है।
दुनियाँ मे वर्तमान समय में बेजुबानों पर हो रही हिंसा से प्रकृति का चक्र पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। इसलिये पुरी दुनिया महामारी भय से सहम गई है ।
फिलहाल अभी पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस महामारी कोरोना वायरस पर विजय पाना है। लेकिन यदि समय रहते मानव ने बेजुबान जीवों को मारने व अपनी हिंसात्मक कार्रवाइयों को नही रोका गया तो प्रकृति भी न्याय करने में देर नहीं लगाएगी।
घौटालो की आरती
नेता आरती
2G, 3g, CWG, सब कुछ चट कर जाऊं,
एक चुनाव मुझे जीता दे बस संसद में चढ़ जाऊं,
देश का सारा रूपया-पैसा लूट कर घर ले आऊं,
गांधी का फ़ोटो लटका कर दफ्तर बड़ा बनाऊं,
काले धन से फिर चंदन की माला उस पर चढ़ाऊँ,
मोबाइल की घण्टी में फिर देश भक्ति गीत सुनाऊं,
रिश्वत की बहती गंगा में डुबकी रोज़ लगाऊं,
गाड़ी बड़ी सी ले आऊं, सैर विदेश की कर आऊं,
बस एक मुझे तू मौका दे दे, पीढ़ी तक तर जाऊं,
माँ एक खादी की चादर दे दे, मैं भी नेता बन जाऊं!
बुधवार, 25 मार्च 2020
राजस्थानी प्रवासियों का दर्द
।। राम राम सा ।।
मित्रो कोरोना की महामारी के भय से अपनो से दूर काम पर गये हुये प्रवासी मजदूरों ने भय से 15 मार्च से ही पलायन शुरु कर दिया था कुछ लोग तो अपने घर पहुंच गये लेकिन जो लोग 20 मार्च के बाद मे तमिलनाडु कर्नाटक हैदराबाद मुम्बई गुजरात कैरल सूरत, से निकले थे जिसकी डाइरेक्ट ट्रेन थी वो तो पंहुच गये लेकिन जो वहाँ से मुंबई ,अहमदाबाद , पूना , सुरत , तक आये और बाद मे ट्रेनों व बसो का आवागमन बन्द हो गया था कुछ लोग जैसे तैसे बसो मे पडकर गये है बाकी के लोग आधे रस्ते मे फस गये । राजस्थान गुजरात बोर्डर को भी बन्द कर दिया गया है । ना तो राजस्थान पुलिस आने दे रही है । इसलिये कुछ लोग पैदल भी चलकर ईधर उधर गये किसी किसी के पास पैसा भी नही है । हर जगह होटले बन्द है । उनको खाना पानी की भी व्यवस्था भी नही है ।जो दिहाड़ी मजदूर फेक्ट्रीयो मे काम करने के बाद जिस भोजनालयों मे सुबह शाम खाना खाते थे वो भोजनालय भी बन्द करवा दिये गये है । अब प्रवासी लोग कहाँ जाये ?
मुंबई सुरत बड़ौदा अहमदाबाद की फेक्ट्रीया बन्द होने के बाद ये मजदूर अब जाये तो कहाँ जाये । इस लिए वे सभी जैसे तेसे निकल निकल कर अपने अपने गांव जाना चाहते है ।
मै सभी पार्टियो के नेताओ विधायको सांसदो से अपील करता हुँ की उन लोगों की जांच करवाकर जो संक्रमित नहीं है उन्हें उनके गांव पहुंचने की व्यवस्था करवाएं , अगर देश के बाहर विदेशो से लोगो को भारत मे वापस लाने की व्यवस्था है तो फिर इन गरीब मजदूरों को उनके गांव पहुँचाने की व्यवस्था क्यो नहीं की जा रही है । सिर्फ ये सुविधाएँ विदेशो मे पढने वाले छात्र अमिरो घरानो के व नेताओ के पुत्रों के लिये ही है क्या?
इन नेताओ को सिर्फ चुनावो के समय वोटो के लिये ही प्रवासी लोगो जरुरत होती है जो आने जाने की सुविधा करवा देते हो ।
अब नेता घर पर बैठे बैठे आदेश दे रहे जहाँ हो वहाँ रहो ! जो जहाँ है वो तो ठीक है लेकिन जो पहले से आधे रास्ते मे निकले थे उनका क्या होगा ?
कोई बेंगलोर,पूना, मुम्बई, अहमदाबाद ,सुरत बरोडा के स्टेसनो पर बैठे है उनका क्या हाल होगा ? जो फेक्ट्रीयो दिहाड़ी मजदूरी करने के बाद जिस भोजनालयों मे खाना खाते थे वो सब बन्द हो गये है । एक दौ दिन तो जैसे तैसे निकाल देंगे ।
इसलिये नेताओँ से विनती है समय रहते इन सभी प्रवासियो की जाँस करवाकर उनको अपनी अपनी जगह पर पहुँचाने के लिये प्रयास करें ।क्योकि बड़े शहरो मे संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है । भय का माहोल है ।
कोरोना का कहर 25 मार्च 2020
।। राम राम सा ।।
मित्रो देश मे कोरोना वायरस की वजह से कल से पुरे भारत मे 21 दिन के लिये लोकडाउन कर दिया गया है । देश के लोगो की सुरक्षा के लिये ये बड़ा कदम उठाया गया है । अब हमे तन मन धन से सहयोग करना होगा। लेकिन कुछ लोगो को राजनीति के अलावा कुछ नजर ही नही आ रहा है ।21 दिन बन्द किया तो लोग भूख से मर जायेंगे। पुलिस लोगो को मार रही है। सरकार मास्क का निर्यात क्यो नही रोक रही है । वर्ल्ड के सभी देशो ने पेकेज घोषणा की है लेकिन मोदी ने एक रुपये की घोषणा नही की ।
अरे चमचो राजनिती बाद मे कर लेना पहले जान बचाने के लिये जनता को सरकारी निर्देशो के पालना करने के लिये कहो । पहले उन्हें ये समझाना है कि क्या-क्या खुला रहेगा और फिर ये कि वो कैसे खुला रहेगा। मतलब, लोग आएँगे तो कितनी दूरी पर खड़े होंगे। उसके लिए जमीन पर घेरा बनाना चाहिये । कई लोग पुलिस वालो को अपने नेताओ का धौस दिखा रहे है ।
इसलिए,आप पुलिस-प्रशासन को तैयारी करने दीजिए। परेशान मत होइए। इस समय पुलिस को आपके समुचित समर्थन की आवश्यकता है। जल्द ही स्थिति सामान्य होगी। राजस्थान,दिल्ली उतरप्रदेश सरकार आपके घरों तक राशन पहुँचाने की व्यवस्था कर रही है। और भी राज्य व्यवस्था करेंगे । आज सेना, पुलिस होमगार्ड राश्ट्रीय संघ के स्वयसेवक के सदस्य भी मदद मे जुटे हुए हैं
देश की जनता अगर सपोर्ट नहीं करेगी तो हम इस बिमारी से हार जाएँगे और ये महामारी बेकाबू हो जाएगी।
कहीं एक जगह पुलिस ने कुछ लठ बजाए और , आपने विडियो देखा तो उसको आपने मान लिया कि हर जगह पुलिस यही कर रही है। लोग कितने कमीनापन करते है ये मैने अपनी आँखों से देखा है । कर्फ़्यू के दौरान लोग गाड़ीया भर कर आ रहे है जा रहे है ।और कह रहे है कि हम मरने से नही डरते है उनके लिये मेरे हिसाब से लठ्ठ कम है । गोली मारनी चाहिये ताकी रोग आगे तक नही फेले। बुरे अनुभव जरुर हो सकते हैं, एक लठ्ठ तो खुजाने भर का ही होगा लेकिन रोग लग गया तो कोई शव को भी हाथ नही लगायेगा इसका हमेशा ख्याल रखें। हमें एक साथ इस आपदा से लड़ना है।