।। राम राम सा ।।
आजकल सोशल साइट्स मौसम की पल पल की जानकारी मिल जाती हैं ।लेकिन पुराने ज़माने में जब विज्ञान उन्नत अवस्था में नहीं था तब किसान प्रकृति के संकेतों और
जीव-जंतुओं एवं पक्षियों के अजीब व्यवहार के आधार पर भी मौसम का पता लगाते थे।और आज भी वैज्ञानिकों के मौसम संबंधी अनुमान गलत हो सकते हैं लेकिन गांवों में बुजुर्गों के मौसम सम्बन्धी पूर्वानुमान गलत नहीं होते हैं। बरसात के मुख्य बारह सुर्य नक्षत्र होते हैं। जिसमें पश्चिमी राजस्थान में पांच नक्षत्र में ही बरसात होती हैं । बुजुर्गों से हम सुनते आ रहे हैं कि मौसम सम्बन्धी चार थम्भ होते हैं।(1)चैत्र शुक्ल पक्ष एकम -रेवती नक्षत्र = जल स्तम्भ (2)वैशाख शुक्ल पक्ष एकम -भरणी नक्षत्र = घास स्तम्भ, (3) जेठ शुक्ल पक्ष एकम -मृगशिरा नक्षत्र =वायु स्तम्भ ,(4)आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकम- पुनर्वशु नक्षत्र = अनाज स्तम्भ ,ये
चारो थम्भ साथ में कभी-कभी ही आते है इस साल चारो थम्भ साथ है जिसमें इस वर्ष संवत 2079 में बरसात व अनाज बारह आना, चारा सोलह आना, वायु दस आना है। एक और बुजुर्गों की महत्वपूर्ण कहावत है कि सावन माह के अंधेरे पक्ष की एकादशी के दिन अगर चद्रमा अगर कृतिका नक्षत्र में है तो ज़माना सामान्य होता है
अगर रोहिनी नक्षत्र में है तो ज़माना इक्कीस
आना होता हैं तथा अगर मृगशिरा नक्षत्र में होता है तो लगभग ज़माना अकाल के जैसा ही होता है लेकिन इस वर्ष एकादशी का आधा दिन कृतिका वह आधा दिन रोहिणी नक्षत्र है तो इस साल सर्वत्र ज़माना सामान्य से बढ़कर ही होने का पूर्वानुमान हैं। अभी भी मघा नक्षत्र तक बरसात की पूरी पूरी संभावनाये है। लेकिन वायु स्तम्भ दस आना के कारण जाते जाते कबाड़ा होने की संभावना भी कोई कम नहीं है।