।। राम राम सा ।।
मित्रो आज हमारे गाँव सिंनली मे राजकीय सेवानिवृत्ति की दो अलग-अलग सभाए हुई आज हमारे आदर्श काका श्रीमान देवाराम जी (मालवी)पटेल (सिनली) प्रधानाध्यापक से सेवानिवृत्त होने के अवसर पर सिनली गांव में कार्यक्रम हुआ है और दुसरा हमारे फौजी साहब श्रीमान मोतीरामजी (काग) सेवानिवृत्त होने पर गाँव मे कार्यकर्म रखा गया दोनो सभाए बहुत ही शानदार रही मै तो सभा मे नही जा पाया लेकिन आजकल मल्टीमीडिया के माध्यम से सब कुछ सम्भव हैं सेवा निवृत होना भी जीवन का बहुत ही बड़ा हिस्सा है जिसमे इन्होने बड़ी इमानदारी से सेवा दी गई ।आपके जीवन का अगला समय आपके लिए मंगलमय हो दोनो को मेरी तरफ बहुत बहुत हार्दिक बधाई हो ।
बुधवार, 31 जुलाई 2024
रविवार, 28 जुलाई 2024
नशे की और आकर्षित होते युवा वर्ग
जब तक अफीम खाने वाले नशेड़ी यह कहना बंद नहीं करेंगे कि भाई सभा में अगर ............
.......डोडा अफीम रखें ला तो थारै घर रो (सकरौ) लागेला नही राखी तो धूङ उङैला
अब धूङ तो कुण ऊडावणी चावै
नशे का मुख्य कारण है कि आजकल समाज में नशे को शान का प्रतीक समझा जाने लगा है। देशांवर में रहने वाले युवा वर्ग भी नशा करने में अपनी शान समझते है
और वह अन्य दुकानदार साथियों को भी इस तरह प्रेरित करते है कि उन्हें भी नशा करना प्रतिष्ठा का विषय लगने लगता है। गुरु महाराज के लाख मना करने के बाद भी लोग सुधर नहीं रहे हैं पहले
एक समय था जब गांवों में शादी या किसी मौत पर अफीम की मनुहार होती थी, जो आज भी बदस्तुर जारी है। इस मनुहार को देखते देखते गांवों के युवाओं में इसके सेवन के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा। आज स्थिति यह है कि शादी और मौत के मौकों में तो अफीम की मात्रा बढ़ी ही है, दूसरे आयोजनों पर भी अब अफीम का सेवन तेजी से बढ़ता जा रहा है।पहले जहां आठ दस गुना बनाई हुई सूखी अफीम मिलती थी , वहीं अब अफीम का दूध लोगों को मुहैया हो रहा है। ऐसा नहीं है कि अफीम की उपलब्धता के लिए यहां-वहां प्रयास करने पड़ते हैं,उलट अफीम आसानी से मिलने लग गया है। देश के हर कोने में तस्कर तैयार बैठे हैं जो समाज को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं चंद नशेड़ीयों की वजह से पूरे मारवाड़ी बदनाम हो रहे हैं इसलिए अमल दारो से निवेदन है कि सोशल मीडिया पर फोटो ना चढ़ाए और देसावर में किसी भी प्रकार की सभा में इस्तेमाल ना करे
.......डोडा अफीम रखें ला तो थारै घर रो (सकरौ) लागेला नही राखी तो धूङ उङैला
अब धूङ तो कुण ऊडावणी चावै
नशे का मुख्य कारण है कि आजकल समाज में नशे को शान का प्रतीक समझा जाने लगा है। देशांवर में रहने वाले युवा वर्ग भी नशा करने में अपनी शान समझते है
और वह अन्य दुकानदार साथियों को भी इस तरह प्रेरित करते है कि उन्हें भी नशा करना प्रतिष्ठा का विषय लगने लगता है। गुरु महाराज के लाख मना करने के बाद भी लोग सुधर नहीं रहे हैं पहले
एक समय था जब गांवों में शादी या किसी मौत पर अफीम की मनुहार होती थी, जो आज भी बदस्तुर जारी है। इस मनुहार को देखते देखते गांवों के युवाओं में इसके सेवन के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा। आज स्थिति यह है कि शादी और मौत के मौकों में तो अफीम की मात्रा बढ़ी ही है, दूसरे आयोजनों पर भी अब अफीम का सेवन तेजी से बढ़ता जा रहा है।पहले जहां आठ दस गुना बनाई हुई सूखी अफीम मिलती थी , वहीं अब अफीम का दूध लोगों को मुहैया हो रहा है। ऐसा नहीं है कि अफीम की उपलब्धता के लिए यहां-वहां प्रयास करने पड़ते हैं,उलट अफीम आसानी से मिलने लग गया है। देश के हर कोने में तस्कर तैयार बैठे हैं जो समाज को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं चंद नशेड़ीयों की वजह से पूरे मारवाड़ी बदनाम हो रहे हैं इसलिए अमल दारो से निवेदन है कि सोशल मीडिया पर फोटो ना चढ़ाए और देसावर में किसी भी प्रकार की सभा में इस्तेमाल ना करे
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