शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

प्राण प्रतिष्ठा समारोह सिंणली 12 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025

राम राम सा 
 मित्रों मेंने अपने जीवन मे बहुत सारे बड़े बड़े पारिवारिक अनुष्ठान , सामाजिक समारोह राजनीतिक समारोह, मन्दिरों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखे हैं और आप सभी ने भी जरूर देखे होंगे जिसमें शुरुआत से लेकर अंत तक सभी आयोजनकर्ताओं बहुत मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर एक बड़ा आयोजन सफल होता है उसके लिए सबसे पहले एक सफल प्रबन्धक की आवश्यकता होती है जो सक्षम व सशक्त हो हर प्रकार की समस्या-समाधान और निर्णय लेने की क्षमता भी होनी चाहिए दूसरों को प्रेरित करने और प्रेरित करवाने की क्षमता भी होनी चाहिए कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से व्यवस्थित करने और समय सीमा का पालन करते हुए सभी कार्यों को प्रभावी ढंग से गांव के सभी युवा सदस्यों को उनकी भूमिकाएं देना और अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को अवगत करना ,  पूरे गाँव के साथ मिलकर काम करने और और सहयोग करने के लिए प्रेरित करवाने वाला चाहिए इन सभी कार्यो को निभाते हुए पिछले सप्ताह हमारे गाँव सिंणली में 12 अप्रैल से 15 अप्रैल तक श्री राजाराम जी महाराज, संत श्री हरिराम जी महाराज एवं श्री सुभद्रा माताजी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ है इतने बड़े भव्य आयोजन को कर पाना बहुत ही कठिन कार्य था लेकिन गुरु महाराज की कृपा एवं सिंणली गाँव के सभी बड़े बुजुर्गों युवाओं ने अपना कीमती समय निकालकर योगदान दिया, जिसमें से कुछ युवा साथियो ने तो पिछले तीन महीनों से भव्य आयोजन की तैयारियों से लेकर समापन तक अपना अमूल्य समय का योगदान दिया है उन युवा साथियो को बहुत बहुत धन्यावाद है लेकिन इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में मुख्य रूप से एक सक्षम सशक्त प्रबन्धक एक लीडर की भूमिका निभाई है वह काका तेजाराम जी मालवी हुब्बली जिन्होंने इस भव्य आयोजन को सफ़लतापूर्वक करवाने के लिए तन मन धन से सहयोग दिया और इस भव्य आयोजन की तैयारियों से लेकर सफ़लतापूर्वक पूरा करवाने श्रेय इन्हीं को जाता हैं जिन्होंने भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए अपना अमूल्य कीमती समय निकालकर योगदान दिया है। धन्य है वह माता-पिता जिन्होंने इनको जन्म दिया, एक सफल प्रबन्धक यानी लीडरशिप निभाने वाले सभी प्रकार गुण इनके पास है अपनी बात को यथासम्भव सटीक और सच्चे तरीके से कहना , ये काम कौशल अनुभवी के बिना नहीं हो सकता था किसी न किसी तरह से, चाहे कुछ भी हो जाए और जिस नीति का उपयोग करना चाहिए उस नीति का उपयोग करके औचित्य, नैतिकता नीतिशास्त्र की चिंता किए बिना लक्ष्य को प्राप्त किया और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसलिए पुनः एक बार तेजाराम जी मालवी को बहुत बहुत धन्यावाद। 

गुमनाराम मालवी सिंणली 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

महा कुम्भ प्रयागराज 2025

 
।। राम राम सा ।।
मित्रों 2025 का प्रयागराज महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को हुआ है इसी के साथ मेला का समापन हो गया है मेला तो अभी भी थोड़े दिनों तक और रहेगा  इस मेले में बहुत ही रौनक रही है लगभग भारत की आधी आबादी मेला में स्नान करके गई है विदेशों से भी बहुत लोग आए थे 
आज कल दूर की बड़ी तीर्थयात्रा करना एकदम आसान हो गया है  थैला उठाया और रवाना हो गये  क्योंकि पैसे की कोई कमी नहीं है, और आजकल आवागमन  के साधन बहुत हो गए हैं रेलगाड़ी  बसे ,छोटी कारें , हर वक्त मिल जाती हैं यही तीर्थयात्रा करना  तीस-चालीस सालों पहले बहुत ही मुश्किल काम हुआ करता था यातायात के  साधन बहुत ही कम थे लोग कुछ लोग खर्चा करने से भी हिसकिसाते थे सौ, दौ सौ किलोमीटर तक की नजदीक  तीर्थयात्रा तो कर देते थे लेकिन लंबी दूरी की तीर्थयात्रा बहुत ही कम लोग करते थे हमारे यहाँ सबसे बड़ा तीर्थ  द्वारकाधीश  ठाकुरद्वारा को मानते थे  द्वारका तीर्थयात्रा पर भेजने के लिए  प्रत्येक गांव में सात आठ लोग फागुन महीना लगते ही तैयार रहते थे जो इनके आने-जाने के लिए खर्चे की व्यवस्था करते थे इस बार गांव से किस किस को द्वारका भेजना है उसकी तैयारी करते थे  लेकिन फागुन महीने में अपने- अपने परिवार के बुजुर्ग बच्चों की निगरानी भी रखते थे रात को सोते समय कमरे को बाहर से कड़ी लगा देते थे जागकर भी पहरा देते कि कोई रात को उठाकर द्वारका के लिए भेज ना दे, जाने वाले तो कितना भी कड़ा पहरा रखने के बावजूद भी निकल जाते थे द्वारका तीर्थ निकलने के बाद वापस आने तक चार पाँच दिन घर पर भजन कीर्तन हरजस  हुआ करते थे और वापस आने पर ढोल थाली गुलाल से स्वागत होता था और जागरण जरूरी होता था पहले भी    माता-पिता ,चाचा चाची, बहिन भुआ या अन्य किसी रिस्तेदार को अगर तीर्थ यात्रा कराने के लिए लेकर जाते थे तो उनको कम से कम तीन चार दिन तो तैयारी करने में लग जाते थे सबसे पहले साथ में ले जाने के लिये जितने दिनों की यात्रा होती उतने दिनों का खाने-पीने के सामान की व्यवस्था करते, घर से निकलने से पहले  किड़ीनगरे  को आटा डालते थे ,पक्षियों को दाना डालते थे, काले कुत्ते को ढूंढकर रोटी देते थे और गाय को रोटियाँ खिलाते थे और सभी से वापस सकुशल वापस लौटने की प्रार्थना करते थे घर से निकलते समय  ठाकुर जी के मंदिर में  या घर पर  बने मंदिर पर नारियल चढ़ाते थे और ठाकुर जी से साथ में चलने का आग्रह करते थे  कि वापस आने तक हमारे साथ साथ रहे और वापस आकर भी सबसे पहले मंदिर में  दर्शन करते थे जब तक वापस घर नहीं आते तब तक बीस में कोई भी रिस्तेदार या कितना ही पहचान वाला क्यों ना हो किसी के घर पर नहीं रुकते थे और जिस तीर्थ स्थल पर जाते थे उस जगह रात रुकना जरूरी था क्योंकि उनका ऐसा मानना  था कि  तीर्थयात्रा का पूर्ण फल नहीं मिलेगा,  फिर घर आने पर माँ, चाची, भूआ या बहिन,  भाभी द्वारा तिलक करके आरती की जाती थी जागरण दिया जाता था,  आजकल की तरह दिखावे का आडम्बर नहीं होता था  अब कोई कहते हैं कि तीर्थयात्रा पर गया और क्या मिला, कौन-से पाप धोकर आए हों  कुछ लोगों का कहना है कि गंगा नदी का पानी बहुत ही प्रदुषित हो गया है करोड़ों लोगों के मल -मूत्र से पानी के अंदर बैक्टीरिया फेल गया है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है से सब भ्रमित करने वालीं बाते हैं  गंगाजल वर्ल्ड की सभी नदियों से पवित्र जल है लेकिन तीर्थयात्रा से ना तो पुण्य  मिलता है और ना ही पाप धुलता है ये सब अपने अपने कर्म के अनुसार ही मिलेगा  लेकिन तीर्थयात्रा से आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है ईश्वर के प्रति  अपनी आस्था मज़बूत होती है मन प्रसन्न होता है और नई ऊर्जा मिलती है दैनिक जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है बुरे विचार खत्म होते हैं और सोच अच्छी बनती है स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है पौराणिक ज्ञान का अनुभव बढ़ता है अलग-अलग जगहों की जीवन शैली और रीति-रिवाजों को जानने का मौका मिलता है इंसानों में आत्म-विकास, ज्ञान, समझ, बढ़ती है  बहुत कुछ सीखने को मिलता है लेकिन अगर हमारे आसपास कोई जानवर भूखे प्यासे तड़प रहे हैं गर्मियों के दिनों में पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है हम  अपने परिवार के या अन्य बड़े-बुज़ुर्गों को आदर नहीं करते हैं तो चाहे हम चारधाम की यात्रा करे बारह शिवलिंग के दर्शन करे या चारो कुम्भयात्रा करें गंगा या नहाए  कहीं भी कुछ नहीं मिलेगा सब व्यर्थ है ऐसे लोगों को किसी भी तीर्थ का फल नहीं मिलता है। इस बार कुछ लोगों एक नया नाटक करते हुए भी सबने देखा है तीर्थयात्रा से लौटने के बाद घरवालों द्वारा पैर  धुलवाना ऐसा तो हमने पहले कभी नहीं देखा है  लेकिन दिखावा करना ही समय की मांग है  
गुमना राम चौधरी  सिंणली

शनिवार, 18 जनवरी 2025

दुःखद समाचार

बड़े दुख के साथ सुचित किया जाता है कि आज हमारे गांव के तुलसा रामजी सुपुत्र स्व.हीराराम जी काग निवासी -सिणली  जिनका  पेर्थक गांव सिनली  में दिनांक  18/01/2025 को  देहांत (स्वर्गवास) हो गया है। हरि इच्छा प्रबल है। भगवान उस महान आत्मा को शांति प्रदान करे व इस दुःख की घड़ी में परिवार को सहने की आत्मबल हिम्मत दे।🙏🙏"उस दिवंगत आत्मा को मेरा सत - सत नमन"🙏  !!!नम आंखों से श्रदाँजलि !!!