शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

हमारा गांव

मेरे गाँव में घर की छत पे आज भी मोर आते है मेरे शहर में मुझे चिडिया भी देखने नही मिलती ॥ . . मेरे गाँव में लोगो के बीच आज भी वो ही भाईचारा है मेरे शहर में भाई की भाई से ही नही बनती ॥ . . मेरे गाँव में सुख दुःख में सब साथ है मेरे शहर में परछाई भी साथ नही दिखती ॥ . . मेरे गाँव में आज भी पक्की सड़क नही है मेरे शहर में सड़के है पर मंजिल नही मिलती ॥ . . मेरे गाँव में आज भी सब नीम के पेड़ तले बतियाते है मेरे शहर में लोगो को फ़ोन से फुर्सत नही मिलती ॥ . . मेरे गाँव में बच्चे आज भी माँ के आँचल में पलते है मेरे शहर में अब माँ का आँचल ही देखने को नही मिलते है ॥ . . मेरे गाँव में सावन में आज भी झूले पड़ते है मेरे शाहर में पार्क में भी झूले देखने को नही मिलते ॥ . . मेरे गाँव में आज भी हर तीज त्यौहार के लिए अपने गीत है मेरे शहर में बद से बदतर होता कान फोडू संगीत है ॥ . . मेरे गाँव में कुछ नही है फिर भी लोग खुश है मेरे शहर में सब कुछ है ..फिर भी चेहरे पे वो खुशी नही दिखती ॥ . . मेरे गाँव में अमन है सुख है चैन है मेरे शहर में हर मुस्कराहट के पीछे भीगे हुए नैन है ॥

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