मंगलवार, 9 जून 2015

हमारा राजस्थान

कठै गया बे गाँव आपणा कठै गयी बे रीत । कठै गयी बा ,मिलनसारिता, गयो जमानो बीत || दुःख दर्द की टेम घडी में काम आपस मै आता। मिनख सूं मिनख जुड्या रहता, जियां जनम जनम नाता । तीज -त्योंहार पर गाया जाता , कठै गया बे गीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता, गयो जमानो बीत ||(1) गुवाड़- आंगन बैठ्या करता, सुख-दुःख की बतियाता। बैठ एक थाली में सगळा , बाँट-चुंट कर खाता । महफ़िल में मनवारां करता , कठै गया बे मीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता, गयो जमानो बीत ||(2) कम पीसो हो सुख ज्यादा हो, उण जीवन रा सार मै। छल -कपट,धोखाधड़ी, कोनी होती व्यवहार मै। परदेश में पाती लिखता , कठै गयी बा प्रीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता, गयो जमानो बीत ]

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