।। राम राम सा ।।
मारवाड़ मे बाजै वायरो,
धान रलकीज्या रेत में,।
बरखा तो बरसे कौनी ।।
किसान उडिके खेत मे ।।
घणो जोर रो झटको लागो,
पङियो दिल रो दौरो।
खेता अनाज हुवतो जद
मनङो हो तो सौरो॥
टाबर सौरा,टींगर सौरा,
सौरा भाई अर सैण।
बरखा ना हुई मारवाड़ मे,
भायो घणी हुवगी आ दैण॥
गायो रे तो चारो नुट्गौ
अनाज रा कोठा खाली ।
कांई करूं रे जीवङा,
चारै रो भाव तीन सौ की डाली॥
नेता फोकट म्हे फेरा खवाड़े
गोता खवाङे च्यार।
बिना तळे रा लोटिया नेता ,
बोटौ री बगत ऐ त्यार॥
टींगर तो टळ्ळाटा करेह,
लुगायां मारे ताना ।
थैलो घाल खाक मे भायो
पासा देसावर ही जाना ।।
आकासा जौवे किसान ,
बरखा बरसादे राम।
राम जी अरज सुणौ तो
हो ज्यावे म्हारौ काम।।
मारवाड़ मे बाजै वायरो,
धान रलकीज्या रेत में,।
बरखा तो बरसे कौनी ।।
किसान उडिके खेत मे ।।
घणो जोर रो झटको लागो,
पङियो दिल रो दौरो।
खेता अनाज हुवतो जद
मनङो हो तो सौरो॥
टाबर सौरा,टींगर सौरा,
सौरा भाई अर सैण।
बरखा ना हुई मारवाड़ मे,
भायो घणी हुवगी आ दैण॥
गायो रे तो चारो नुट्गौ
अनाज रा कोठा खाली ।
कांई करूं रे जीवङा,
चारै रो भाव तीन सौ की डाली॥
नेता फोकट म्हे फेरा खवाड़े
गोता खवाङे च्यार।
बिना तळे रा लोटिया नेता ,
बोटौ री बगत ऐ त्यार॥
टींगर तो टळ्ळाटा करेह,
लुगायां मारे ताना ।
थैलो घाल खाक मे भायो
पासा देसावर ही जाना ।।
आकासा जौवे किसान ,
बरखा बरसादे राम।
राम जी अरज सुणौ तो
हो ज्यावे म्हारौ काम।।
गुमनाराम पटेल सिनली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें