शनिवार, 31 अक्टूबर 2015

"कुँवारा री पीड़"

दुनिया का सब 'कुँवारा'मिल कर, मीटिंग है बुलवाई । जा कर के 'भगवान' के आगे अर्जी एक लगाई ।। अर्जी एक लगाई, "प्रभु"म्हारी नैया पार लगावो। काई बिगाड्यो थाँ को, म्हाने क्यूँ नहीं परणावो ।। म्हे सुणी हां थारे पास, है सगळा की जोड़ी । म्हारी बारी कद आसी, म्हे कद चढ़ाला घोड़ी ।। कद चढाला घोड़ी, लुगाई म्हाने भी दिलवाओ । दुनिया ताना मारे वां को, मुण्डो बंद करावो ।। इस्यो कांई बुरो कियो जो, म्हे इतनो दुःख पाँवा । रोजीना थाँ के मिन्दर में, हाज़री लगावा ।। हाज़री लगावा , रोज चढ़ावां लाडू पेठा । धारली ढिठाई थे तो, निष्ठुर बन कर बेठा ।। पग पकड़ां 'भगवान्' थारां, अब थाँ को जिद छोड़ो । सगळा काम करा हाथां सु, रोट्यां को भी फोड़ो ।। रोट्यां को भी फोड़ो, पाँती आवे जिसी देदो । नहीं देणे री मन में है तो, साफ़ साफ़ कहदो ।। 'कुँवारा'की बात सुण कर , "भगवन" कर्यो विचार । आ सगळा की किस्मत में, कैयां कोनी 'नार' ।। कैयां कोनी 'नार', देखणा पड़ सी सगळा खाता । इत्ती बड़ी भूल कियां, कर दिनी 'बेमाता' ।। तकदीरा का पोथी पाना, सगळा सामा खोल्या । लेखा जोखा देख कर, "भगवान्"पाछा बोल्या ।। "भगवान्" पाछा बोल्या, दुःख नहीं लिखोड़ो थारे । सुख ही सुख लिखोड़ो , 'नारी' कियां लगाऊँ लारे ।। बडेरां री पुण्याई ही, थांरै आडी आई । चोखा करम करोड़ा थांकी, कोनी हुई सगाई ।। कोनी हुई सगाई , उम्र भर थे रेवोला सोरा । 'पराणोडा' ने जा कर पूछो, वे है कितना दोरा ।। पत्नी सुख ने छोड कर, सब सुख थाने मिलसो । खोटा करम करोड़ा, वा ने ही लुगायाँ मिलसी ।। वा ने ही लुगायाँ मिलसी, वे करमां रा फल भोगेला । लुगायाँ री सुणता सुणता, होजासी पूरा गेला ।। आखिर में "प्रभु"बोल्या, सुणो वचन ध्यान से म्हारा । सुख सूं जीवन जीणो है तो, रह जाया 'कुँवारा' । कहे कवि 'कुँवारा' अब राजी हो जावो । जब तक हो दुनिया में तब तक, खुल्ली मौज़ मनावो ।।

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