काचर बोर मतीरा गौरी निपजे मरूधर देश
मोह माया री फेरी, पिव जा बसिया परदेश!!
थैला भर भर लावता,लूण मिर्च लगाव ने खावता
मोरा री पांखिया चूगता,बैगा उठे ने खेतां नावता!!
पगडंडी सू स्कूल जाता,मूंग री फळिया घणी खाता
छोटिया ने कांधे बिठाता, जद ग्वार रा खेत आता!!
मारसाब थैला खंगालता,बोरा रा जद ढक लागता!
आदो हिस्सो ले जावता,आफिस जा वे भी खावता
खाटि छा री बोतल लाता,वे छोरा डंडा कम खाता
बात आ में भी जाणता,मोटी काकड़ी गुरु रे लाता!
रही कोनी वे आज बातां,शैला गुरू ने है धमकाता
जो भी काचर है खाता,स्टेंडर्ड उसका गिर जाता!