gumanji patel
सिनली
बुधवार, 15 जुलाई 2015
Betiya
मुझे इतनी "फुर्सत" कहाँ कि मैँ तकदीर का लिखा देखुँ., बस अपनी बेटी की "मुस्कुराहट" देखकर समझ जाता हुँ की "मेरी तकदीर" बुलँद है।
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