बुधवार, 12 अगस्त 2015

काचर राजस्थान में खाने में ही काम नहीं आता, साल भर बतरस की तरह भी बरता जाता है. काचर,एक ऐसा शब्द जो थार में बात को नया रस देता है. काचर, एक ऐसा फल (या सब्जी) जो छठ बारह महीने थार में थाली को चटपटा बनाए रखता है. दो मुहावरे हैं- काचर गा बीज और अठे कै काचर ल्ये (काचर का बीज/ यहां क्या काचर ले रहा है.) काचर अपने तीखी खटास या अम्ल के लिए भी जाना जाता है. काचर के एक छोटे से बीज को अगर एक मण (40 किलो लगभग) दूध में डाल दें तो वह पूरे दूध को फाड़ देगा. खराब कर देगा. यहीं से ‘काचर का बीज’ मुआवरा निकलता है यानी कुचमादी, गुड़ गोबर करने वाला, अच्छे भले काम को बिगाड़ने वाला. इसी तरह ‘यहां क्या काचर ले रहा है’ मतलब यहां क्या भाड़ झोंक रहा है, जाकर अपना काम क्यों नहीं करते? किसी विशेषकर छोटे या बच्चे की खिंचाई करने के लिए काचर का बीज, काचर सा न हो तो, काचर बिखरने जैसे वाक्य मुआवरे हर किसी की जुबान पर रहते हैं. अधिक शरारती को मटकाचर (बड़ा काचर) कह दिया जाता है. दियाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा (दिवाली के दिये दिखाई दिये और काचर, बेर और मतीरे मीठे हुए क्योंकि दिवाली बीतने पर काचर बेर और मतीरे मीठे हो जाते है). खाने में काचर की बात की जाए. काचर यानी ककड़ी का छोटे से छोटा रूप. काचर, काकड़ी, मतीरा, खरबूजा ये लगभग एक ही वंशकुल के तथा थार की बालुई मिट्टी में कम पानी में होने वाले फल सब्जियां हैं. वैसे ये सभी फल हैं लेकिन इनका काम सब्जियों में ज्यादा होता है. काचर तो काचर ही है. काचर हरा होता है तो बहुत खट्टा मीठा होता है और उसे कच्चा खाने का सोचते ही मुहं में कुछ होने लगता है. कच्चे काचर को लाल मिर्च और थोड़े से लहसुन के साथ कुंडी में रगड़कर, चुंटिए, दही या छा के साथ खाने को जो मजा है, मानिए गूंगे का गुड़ है! वैसे काचरी को आयुर्वेद में मृगाक्षी कहा जाता है और काचरी बिगड़े हुए जुकाम, पित्त, कफ, कब्ज, परमेह सहित कई रोगों में बेहतरीन दवा मानी गई है. काचर थोक में होता है. उसके छिलके को उतारकर टुकड़ों में काट जाता है और धूप में सुखा लिया जाता है. सूखकर काचर, काचरी हो जाता है और काचरी की चटनी तो .. कहते हैं कि आजकल पांच सितारा होटलों में विशेष रूप से परोसी जाती है. काचरी की चटनी तो बनती ही है इसे कढ़ी में डाल दिया जाता है, सांगरी के साथ बना लिया जाता है या किसी और रूप में भी. कचरी की चटनी का सही स्वाद उसे साबुत लाल मिर्च के साथ कुंडी में या सिलबट्टे पर रखड़कर बनाने व खाने में ही है. काचर काचरी थार में घरों में छठ बारह महीने उपलब्ध रहते हैं. भोजन में स्वाद और बातों में रस घोलते रहते हैं.

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