।। राम राम सा ।।
मित्रो सिरसी मे मरिकम्बा माता जी का मन्दिर भी बहुत पुराना है । यहाँ पर मै जब भी सिरसी आता हूँ तो दर्शन जरुर करता हूँ। यहाँ पर हर दो साल मे मेला ( जातरे) लगता है । यहाँ कर्नाटक ही नही दुसरे राज्यो से भी लोग दर्शन करने के लिये आते है ।इस मंदिर का भी इतिहास पुराना ही है । स्थानीय लोगों के कहने के अनुसार यह लगभग 330 साल पहले बना हुआ है।
सिरसी की देवी मरिकम्बा माता जी की मुर्ति के बारे मे वहाँ के लोगो का कहना है कि कुछ चोर अपना खजाना छुपाने के लिए जंगल में खुदाई कर रहे थे तब उन्हें यह मूर्ती मिली थी और उन्होने सिरसी में स्थापित कर दी थी।
स्थानीय लोगों कहते है की पहले यहाँ पर एक प्रथा थी जिसे हम बलि प्रथा कहते है। यहां पर भैस, बकरी आदि जानवरों की बलि चढ़ा कर माता को उनका लहू पिलाते थे। अभी कुछ साल हो गए है जब से यह प्रथा बंद हो गयी है। यहाँ मंदिर में एक मोटा भैसा जरुर बंधा है । जिसका लहू इंजेक्शन से निकाल कर माता को चढाते है। यह बात मेरी समझ से तो बाहर है। मेरी इस पर कोई टिपण्णी नहीं है। मैंने केवल आपको जानकारी दी है। मै तो आज सिरसी की देवी मरिकम्बा माता जी के दर्शन करके वापस मुंबई रवाना हो गया हूँ।
सिरसी की देवी मरिकम्बा माता जी की मुर्ति के बारे मे वहाँ के लोगो का कहना है कि कुछ चोर अपना खजाना छुपाने के लिए जंगल में खुदाई कर रहे थे तब उन्हें यह मूर्ती मिली थी और उन्होने सिरसी में स्थापित कर दी थी।
स्थानीय लोगों कहते है की पहले यहाँ पर एक प्रथा थी जिसे हम बलि प्रथा कहते है। यहां पर भैस, बकरी आदि जानवरों की बलि चढ़ा कर माता को उनका लहू पिलाते थे। अभी कुछ साल हो गए है जब से यह प्रथा बंद हो गयी है। यहाँ मंदिर में एक मोटा भैसा जरुर बंधा है । जिसका लहू इंजेक्शन से निकाल कर माता को चढाते है। यह बात मेरी समझ से तो बाहर है। मेरी इस पर कोई टिपण्णी नहीं है। मैंने केवल आपको जानकारी दी है। मै तो आज सिरसी की देवी मरिकम्बा माता जी के दर्शन करके वापस मुंबई रवाना हो गया हूँ।
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