गुरुवार, 3 मार्च 2016
हंसी का खजाना
एक दिन सरपंच साहब को जाने क्या सूझी
कि चल पड़े स्कूल की ओर।
स्कूल पहुंचे तो एक भी अध्यापक कक्षा में नहीं।
घंटी के पास उनींदे से बैठे चपरासी से जब पूछा
सारे मास्टर कहां गए तो
पता चला कि
पशुगणना में ड्यूटी लगाने के विरोध में कलेक्टरजी को
ज्ञापन देने शहर गए हैं।
सरपंचजी ने सातवीं कक्षा के एक बच्चे से पूछा
"बताओ शिव का धनुष किसने तोड़ा।"
जवाब आया
" सरपंचसा!
कक्षा में सबसे सीधा छात्र
मैं हूं,
मैंने तो नहीं तोड़ा।
हां चिंटू सबसे बदमाश है,
उसी ने तोड़ा होगा।
वह आज छुट्टी पर भी है।
शायद धनुष टूट जाने के डर से नहीं आया हो।"
सरपंचजी ने माथा पीट लिया और वापस लौट गए।
शिक्षक लौटे तो चपरासी बोला
"सरपंचजी आए थे
और बच्चों को कुछ पूछ रहे थे और गए भी
भनभनाते हुए हैं।"
प्रधानाध्यापक महोदय का पानी पतला हुआ।
कक्षा में आए और पूछा
"सरपंचजी क्या कह रहे थे।"
बच्चों ने सारी बात बता दी।
अब प्रधानाध्यापकजीने बच्चों से पूछा
"बच्चों किसी से गलती से धनुष टूट गया
तो कोई बात नहीं।
केवल यह बता दो धनुष तोड़ा किसने।"
बच्चों ने तोड़ा हो तो बोलें।
खामोशी देखकर तुरन्त अध्यापकों की बैठक बुलाई और कहा
"देखो!
शिवजी का धनुष किसी ने तोड़ दिया है
और
शिवजी कौन है
यह भी हमें नहीं मालूम।
उनकी शायद ऊपर तक पहुंच हो।
पीटीआईजी आप इस मामले की जांच कर कल तक रिपोर्ट दीजिए।"
शारीरिक शिक्षक महोदय ने साम,
दाम,
दंड,
भेद आजमाए
पर पता नहीं लगा पाए।
प्रधानाध्यापकजीको चिंतातुर देख
विद्यालय के बाबू बोले
"साहब
मैं तो कहता हूं कि
जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर
मामले से अवगत
तो करवा ही दिया जाना चाहिए।
नहीं तो बाद में परेशानी
खड़ी हो जाएगी।
शायद
शिवजी
आलाकमान तक बात ले जाएं और
अपन को ऐसे गांव में नौकरी करनी पड़े
जहां
बिजली और बस भी मर्जी से आती हो।"
प्रधानाध्यापकजीने डीईओ को पत्र लिखा
"महोदय
किसी ने
शिवजी का धनुष
तोड़ दिया है।
हम अपने स्तर पर पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं
और
आपके कानों तक बात डलवा रहे हैं।"
तीन दिन बाद जवाब मिला।
"प्रधानाध्यापकजी!
इस बात से हमें कोई लेना देना नहीं कि
धनुष किसने तोड़ा।
हां
याद रहे
यदि सरपंच की ऊपर तक पहुंच है
और
कोई लफडा हुआ
तो
धनुष के पैसे
आपकी पगार में से लिए जाएंगे।"
और
बनाओ
''आरक्षण"
से शिक्षक😀😀😀😀😀😀
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