शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

मोदी नामा

!! राम राम सा !!      
मुद्रा माटी हो गई, मोदी भए कुम्हार।
नेता मिलि मिल रो रहे, ऐसा हुआ प्रहार।।
दीदी गुर्राए यहाँ, वहाँ बहन जी रोय।
उधर केजरी दंग है; क्यों हमको मोदी धोय।।
दीदी जीजा धुल गए, धरे रह गए ठाठ।
मोदी ऐसे धो रहा, खड़ी हो गई खाट।।
नए नोट कब मिल सकैं, जोह रहे सब बाट।
भौतन को चिंता लगी कैसे होंगे ठाठ!!
सीट बेच के पाये थे, रुपैया कछु करोड़।
क्षण भर में माटी भये, दिया हौसला तोड़।।
माया की माया गई , दिये मुलायम रोय।
इह झटके का अब यहाँ इलाज न होगा कोय।।
रहिमन रद्दी हो गई, बड़ी करेन्सी नोट।
यूपी औ पंजाब में कइसे मिलिही वोट।।
रहिमन आँखन ना दिखे, भीतर लागी चोट।
रहि रहि गारी दे रहे ,कह मोदी को खोट।।

श्री राजारामजी महाराज शिकारपुरा

राम राम सा

श्री राजारामजी भगवान का जन्म चैत्र शुल्क ९ संवत १९३९ को, जोधपुर तहसील के गाँव शिकारपुरा में, अंजना कलबी वंश की सिह खांप में एक गरीब किसान के घर हुआ था | जिस समय राजारामजी की आयु लगभग १० वर्ष थी तक राजारामजी के पिता श्री हरिरामजी का देहांत हो गया और कुछ समय बाद माता श्रीमती मोतीबाई का स्वर्गवास हो गया |
   माता-पिता के बाद राजारामजी बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी नंगे सन्यासियों की जमात में चले गए और आप कुछ समय तक राजारामजी अपने चाचा श्री थानारामजी व कुछ समय तक अपने मामा श्री मादारामजी भूरिया, गाँव धान्धिया के पास रहने लगे | बाद में शिकारपुरा के रबारियो सांडिया, रोटी कपडे के बदले एक साल तक चराई और गाँव की गांये भी बिना हाध में लाठी लिए नंगे पाँव २ साल तक राम रटते चराई | गाँव की गवाली छोड़ने के बाद राजारामजी ने गाँव के ठाकुर के घर १२ रोटियां प्रतिदिन व कपड़ो के बदले हाली का काम संभाल लिया | इस समय राजारामजी के होंठ केवल इश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे | श्री राजारामजी अपने भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों को डालते थे | जिसकी शिकायत ठाकुर से होने पर १२ रोटियों के स्थान पर ६ रोटिया ही देने लगे, फिर ६ मे से ३ रोटिया महाराज, कुत्तों को डालने लगे, तो ३ में से 1 रोटी ही प्रतिदिन भेजना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी भगवन अपने खाने का आधा हिस्सा कुत्तों को डालते थे |
   इस प्रकार की ईश्वरीय भक्ति और दानशील स्वभाव से प्रभावित होकर देव भारती नाम के एक पहुंचवान बाबाजी ने एक दिन श्री राजारामजी को अपना सच्चा सेवक समझकर अपने पास बुलाया और अपनी रिद्धि-सिद्धि श्री राजारामजी को देकर उन बाबाजी ने जीवित समाधी ले ली |
   उस दिन ठाकुर ने विचार किया की राजारामजी को वास्तव में एक रोटी प्रतिदिन कम ही हैं और किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ये काफी नहीं हैं अतः ठाकुर ने भोजन की मात्रा फिर से निश्चित करने के उद्धेश्य से उन्हें अपने घर बुलाया |
   शाम के समय श्री राजाराम जी इश्वर का नाम लेकर ठाकुर के यहाँ भोजन करने गए | श्री राजारामजी ने बातों ही बातों में ७.५ किलो आटे की रोटिया आरोग ली पर आपको भूख मिटने का आभास ही नहीं हुआ | ठाकुर और उनकी की पत्नी यह देख अचरज करने लगे | उसी दिन शाम से राजारामजी हाली का काम ठाकुर को सोंपकर तालाब पर जोगमाया के मंदिर में आकर राम नाम रटने लगे | उधर गाँव के लोगो को चमत्कार का समाचार मिलने पर उनके दर्शनों के लिए ताँता बंध गया |
   दुसरे दिन राजारामजी ने द्वारिका का तीर्थ करने का विचार किया और दंडवत करते हुए द्वारिका रवाना हो गए | ५ दिनों में शिकारपुरा से पारलू पहुंचे और एक पीपल के पेड़ के नीचे हजारो नर-नारियो के बिच अपना आसन जमाया और उनके बिच से एकाएक इस प्रकार से गायब हुए की किसी को पता ही नहीं लगा | श्री राजारामजी १० माह की द्वारिका तीर्थ यात्रा करके शिकारपुरा में जोगमाया के मंदिर में प्रकट हुए और अद्भुत चमत्कारी बाते करने लगे, जिन पर विश्वास कर लोग उनकी पूजा करने लग गए | राजारामजी को लोग जब अधिक परेशान करने लग गये तो ६ मास का मोन रख लिया | जब राजारामजी ने शिवरात्री के दिन मोन खोला तक लगभग ८०००० वहां उपस्थित लोगो को व्याखान दिया और अनेक चमत्कार बता

ये जिनका वर्णन जीवन चरित्र नामक पुस्तक में विस्तार से किया गया हैं |
   महादेवजी के उपासक होने के कारण राजारामजी ने शिकारपुरा में तालाब पर एक महादेवजी का मंदिर बनवाया, जिसकी प्रतिष्ठा करते समय अनेक भाविको व साधुओ का सत्कार करने के लिए प्रसाद के स्वरूप नाना प्रकार के पकवान बनाये जिसमे २५० क्विंटल घी खर्च किया गया | उस मंदिर के बन जाने के बाद श्री राजारामजी के बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी जमात से पधार गये और दो साल साथ तपस्या करने के बाद श्री रगुनाथारामजी ने समाधी ले ली | बड़े भाई की समाधी के बाद राजारामजी ने अपने स्वयं के रहने के लिए एक बगेची बनाई, जिसको आजकल श्री राजारामजी आश्रम के नाम से पुकारा जाता हैं |
   श्री राजारामजी महाराज ने संसारियों को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर लाने के उद्धेश्य से बच्चों को पढाने-लिखाने पर जोर दिया | जाती, धर्म, रंग आदि भेदों को दूर करने के लिए समय-समय पर अपने व्याखान दिये | बाल विवाह, कन्या विक्रय, मृत्यु भोज जैसी बुराईयों का अंत करने का अथक प्रयत्न किया | राजारामजी ने लोगो को नशीली वस्तुओ के सेवन से दूर रहने, शोषण विहीन होकर धर्मात्न्माओ की तरह समाज में रहने का उपदेश दिया |    राजारामजी एक अवतारी महापुरुष थे, इस संसार में आये ओर समाज के कमजोर वर्ग की सेवा करते हुए, श्रावण वद १४ संवत २००० को इस संसार को त्याग करने के उद्धेश्य से जीवित समाधि ले ली |🕉👆🕉

माँ का कर्ज

राम राम सा

एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत
बड़ा आदमी बन गया । पिता के
स्वर्गवास के बाद माँ ने हर तरह
का काम करके उसे इस काबिल
बना दिया था । शादी के बाद
पत्नी को माँ से शिकायत रहने
लगी के वो उन के स्टेटस मे फिट
नहीं है
।लोगों को बताने मे उन्हें संकोच
होता की ये अनपढ़ उनकी सास- माँ है

बात बढ़ने पर बेटे ने एक दिन माँ से
कहा- ” माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब
इस काबिल
हो गया हूँ कि कोई भी क़र्ज़ अदा कर
सकता हूँ । मै और तुम दोनों सुखी रहें
इसलिए आज तुम मुझ पर किये गए अब
तक के सारे खर्च सूद और व्याज के
साथ मिला कर बता दो । मै
वो अदा कर
दूंगा । फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे

माँ ने सोच कर उत्तर दिया -”बेटा”_
हिसाब ज़रा लम्बा है ,सोच कर
बताना पडेगा।
रात हुई, सब सो गए । माँ ने एक लोटे
मे पानी लिया और बेटे के कमरे मे आई
। बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक ओर
पानी डाल दिया । बेटे ने करवट ले
ली ।
माँ ने दूसरी ओर भी पानी डाल दिया।
बेटे ने जिस ओर भी करवट ली_
माँ उसी ओर पानी डालती रही…. तब
परेशान होकर बेटा उठ कर खीज कर
बोला कि माँ ये क्या है ? मेरे पूरे
बिस्तर को पानी-पानी क्यूँ कर
डाला..?
माँ बोली- ” बेटा, तुने मुझसे
पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें
को कहा था । मै अभी ये हिसाब
लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें तेरे
बचपन मे तेरे बिस्तर गीला कर देनेसे
जागते हुए काटीं हैं । ये तो पहली रात
है
ओर तू अभी से घबरा गया ..? मैंने
अभी हिसाब तो शुरू भी नहीं किया है
जिसे तू अदा कर पाए।”
माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय
को झगझोड़ के रख दिया । फिर वो रात
उसने सोचने मे ही गुज़ार दी । उसे ये
अहसास हो गया था कि माँ का क़र्ज़
आजीवन नहीं उतारा जा सकता ।

सोमवार, 12 नवंबर 2018

राजनीती राजस्थान री


                ।। राम राम सा ।।

"बामण ने बांसुरी मिलगी,बोतल मिलगी जाटां ने।
"भोळी जनता सोच रही है,कुर्सी किण रे हाथां में।
"कई कमल की डंडी पकड़ी,कई पकड़यो हाथ।
"ठाकर बैठा सोच रिया है,किण रो देवां साथ।
"अबकी बार चुनावां में आनंद घणेरो आवेला ।
"बड़ा बड़ा सूरमा भी  धराशायी हो ज्यावेला।

शनिवार, 10 नवंबर 2018

मारवाडी कविताएँ

मैं तनै कैवूं सायबा, कोई सियाळै भल आय
सियाळो फिर आवसी,जोबन फेर ना आय
थारै आयां सायबा, आ सरदी जासी भाग
रातां होसी रंगीन, कोई मनड़ौ करसी राग
घर आया थाके सायबा,आंगण ढूकसी चाव
घिरती फ़िरती नाचसु ,मन में उठसी उमाव



आ तो सुरगा नै सरमावै, ईं पर देव रमण नै आवे,
ईं रो जस नर नारी गावै, धरती धोरा री
पंछी मधरा मधरा बोलै, मिसरी मीठै सुर स्यूं घोलै,
लुळ लुळ बाजरिया लैहरावै, मक्की झालो दे'र बुलावै
ईं पर तनड़ो मनड़ो वारां, ईं पर जीवण प्राण उवारां
ईं नै मोत्या थाल बधावां, ईं री धूल लिलाड़ लगावां,
ईं रो मोटो भाग सरावां, धरती धोरां री !
ईं रै सत री आण निभावां ईं रै पत नै नही लजावां,
ईं नै माथो भेंट चढा़वां, भायड़ कोड़ा रीं,
झीणूं बादरियो पपोळै, धरती धोरां री

मोदी थारी माया रो

मोदी थारी माया रो पायो कोनी पार
थारो भेद कणेई नी जाणीयो रे....
भारत रा पहरेदार
नवखंड मे थे भ्रमण किदो लियो जस अपार
अमरिका ओर इग्लेड मे थारी बोली जय जयकार
ढाका जाए ढाकेश्वरी पूजी नेपाल पशुपतिनाथ
पाकिस्तान ओर चिन मच गयो हाहाकार
पाकिस्तान री पोल खोली सयुँक्त राष्ट्र रे माय
आधी रात मे छोडी मिलटरी आतँकि मारइया हजार
हजार पाचो री नोट बद करा दी
बंद कियो काळो बजार
आम जनता रो भलो कर दियो
अब सुख पावो नर नार
मोदी थारी माया रो पायो कोनी पार
थारो भेद कणेई नी जाणीयो रे
भारत रा पहरेदार
🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹
जयजय भारतमाता
वँदे मातरम् 🌹

नोट बन्दी 8 नवंबर 2016

राम राम सा

ये बहुत बड़ी प्लानिंग थी ..
पिछले 10 महीने से नए नोट सरकार छाप रही थी
रघुराम राजन को कानो कान इसकी भनक तक नहीं लगने दी गयी ...
300 cr के नए नोट सरकार छाप चुकी है
अब दो महीने और चाहिए इसीलिए आप सभी को
50 दिनो का समय दिया गया है !
ये पूरा कार्य इतनी गोपनीयता के साथ किया गया कि पूरी दुनिया में सिर्फ़ 3 लोगों को इसकी जानकारी थी !( आप अंदाज़ा लगा सकते हैं उनके नाम आराम से )
क्यूँकि ...
अगर काला धन धारकों को इसकी ज़रा भी भनक लग जाती तो परिस्थितियाँ तुरंत बदल सकती थी
और सरकार का निर्णय प्रभावी साबित नहीं होता !
बहुत बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता थी इस कार्य को अंजाम देने के लिए
और....
ये काम कोई ऐसा ही #प्रधानमंत्री अंजाम दे सकता था जिसने ख़ुद ने आज तक 1/- रुपया भी
ब्लैक का जमा नहीं किया हो .... तभी तो इतने सालों में कोई और ऐसा सोच भी नहीं सका ??!!!
इतना मज़बूत प्रहार #नरेंद्रमोदी जी जैसा
मज़बूत #PM ही कर सकता था !!!
हर ईमानदार आदमी का दिल जीत लिया
मोदी जी आपने ...
पूरे राष्ट्र को आप पर गर्व है !
भारत माता की जय !!! 🇮🇳

बुधवार, 7 नवंबर 2018

दीपावली 2018

राम राम सा

राजस्थान री इण पावन धरा माथे विराज्योडा म्हारा मोतिया सूं  महंगा।
म्हारा हेतालु सभी लोगों नै दिवाळी री हेत प्रीत अर ओलखान सारू म्हारे अंतस हिवड़ै अर कालजिये री कोर सू थानै और थारे सगळे कुटुम्ब नै इण दिवाळी  गोरघन री घणी न घणी मोकळी शुभ कामनाएं सा
     

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

रहन सहन एक दिखावा

।। राम राम सा ।।

मित्रो जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs. 3000 की घड़ी पहनूं या Rs. 30000 की, दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी।

मेरे पास Rs. 3000 का बैग हो या Rs. 30000 का, इसके अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा।

मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा।

आख़िर में मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास में यात्रा करूं या इक्नामी क्लास में, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा।

इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था -

ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं, जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों की जेब से पैसा निकालना होता है, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग लोग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।

क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू, ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानें??

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना Mac'd या महंगे होटल में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन दोस्तो के साथ उठक-बैठक महंगे रेस्तोरेन्ट  पर जाकर लगाया करूँ, ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Gucci, Lacoste, Adidas या Nike का ही पहनूं ताकि High Status वाला कहलाया जाऊँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ??

नहीं दोस्तों !!!

मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं।
Friends के साथ किसी ढाबे पर भी बैठ जाता हूँ।

भुख लगे तो किसी ठेले से ले कर खाने में भी कोई अपमान नहीं समझता।

अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ।

चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है।

लेकिन,

मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो एक Branded जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक Mac'd के बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है, जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।

मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है, ना कि उसकी मौजुदा शक्ल और सूरत।

सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा??

समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी कोने से एक आवाज आई।

दीपक ने कहा - "मै हूं  ना" मैं अपना पूरा प्रयास करुंगा।

आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।

गुमनाराम पटेल सिनली

रविवार, 4 नवंबर 2018

राजस्थानी कविता

तू हाई लेवल की छोरी सै
मै छोरा सूं जमीदारां का,
मै चलाऊं ट्रेक्टर 60 रै
तनै शौक लग्जरी कारां का,
तू तकड़े घर की छोरी सै...
के बुझूं तेरी बाता नै,
...
तू सोवै मखमल के गददयां पै
मैं पाणी लांऊ राता नै!
मै फ़ैन सूं लख्मीचंद का
तू गीत सुणै शकीरा के,
हम दिल के दरिया छोरी रै
फकीर सा लकीरां के,
..
तू स्कीन सॉफ्ट की लावै
क्रीम
मेरै छाले पड़ रे हाथा मैं,
तू सोवै मखमल के गददयां पै
..
मै पाणी लांऊ राता नै.!
मैं खाऊं रोट बाजरे के
तू पिज्जे-बर्गर खावै सै,
मै धोती कुर्ता पहरणिया
तनै जींस ब्रांडीड भावैं सै,
तू ताऊ नै अंकल कहदे सै
हम दिल तै निभावां नातां नै,
तू सोवै मखमल के गददयां पै
मैं पाणी लाऊं राता नै..!
...
म्हारै कई किल्या मै बाग रै
अर आमदनी सै लाखां की,
सै चौधर पूरी म्हारी रै
पर शर्म घणी सै आख्यां की,
जाट रिस्की सै
.
ना जाणै फाएदे-घाटा नै,
तू सोवै मखमल के गदद़या पै
मैं पाणी लांऊ राता नैं !!

जमाना ले बैठ्या

सुप्रभातम्.
@@
╚═►╚═► ►►►
जमाना ले बैठ्या....
ढोलां रा मकाना न,आरसीसी ले बैठी;
रोहिड़ा र किवाड़ा न,शिशम ले बैठी;
धोती हारा मोट्यारां न,जिन्स पेंट ले बैठी;
चरभर हारा खेलां न,तीन-पत्ती ले बैठी;
आटा हारा गुलगुलां न,बैसन हारी कचोरी ले बैठी;
पढन हारा छोरां न,वाट्सएप हारी चैटिंग ले बैठी;
ईस हारा मांचा न,डबल बेड ले बैठी;
ऊँट गाडा री सवारी न,हीरो होंडा ले बैठी;
काचरां र साग न,मिरच्यां ले बैठी;
टाबरां री सेहत न,होर्लेक्स री बोतल ले बैठी;
पटा हारा जांघियां न,रूपा बोक्सर ले बैठी;
मुर्गा छाप पटाखां न,एक सौ बीस साउन्ड री डब्बी
ले बैठी;
प्याजिया वाली  बुज्जी न,नेस्ले मैगी ले बैठी;
गांव आला  घिन्दड़ न,बिकाऊ क्रिकेट ले बैठी;
गांव आला छोरां न,बाणीयां री छोरीयां ले बैठी;
सिनली हारी मारवाड़ी ने,वाट्सएप वाली अंग्रेजी ले बैठी,
ज्यान हुं प्यारा भाया ने , लुगायां ले बैठी ||

आन्जणा समाज की उत्पत्ति

        ।।राम राम सा।।

आंजना की उत्पति
"आंजी नाखे ते आंजना" कहावत को सार्थक
करना और गोरोवान, मजबूत बांधो,
तेजस्वी आँखे और खड़ताल काया धराते
आंजना ऐ अत्यंत
बुद्धिशाली स्वाभिमानी और मेहनत होते
है | कृषि और पशु पालन के साथ बंधा हुआ ये
समाज गुजरात में पचास से जितने गोल में
फेला हुआ है | जिसमे बार, बावीसी,
साडी सताविसी, वादीयार, जेतोड़ा,
चोथिया, उमरान धान्धार तेर झला, इडर
बेतालिसी मोडासिया,
मालपुरिया दक्षिण में नवगाम, कामरेज
वगेरह का समावेश होता है |
आंजना में पटेल, चौधरी, देसाई
जाती प्रचलित है| आंजना की कुल २३२
सखा हैं| जिसमे अटीस ओड, आकोलिया,
फेड़, फुवा, फांदजी, खरसान, भुतादिया,
वजागांड, वागडा, फरेन, जेगोडा, मुंजी,
गौज, जुआ लोह, इटार, धुजिया, केरोट,
रातडा, भटौज, वगेरह समाविष्ट हैं|
भारत मैं मुख्यत राजस्थान, मध्यप्रदेश,
गुजरात, हरियाणा, कच्छ और महारास्ट्र मैं
आंजना जाती रहती हैं|
आंजना समाज के अलग-अलग गोल के अभ्यास
पर से मालूम पड़ता है कि आंजना स्वभाव में
खुद उदार दिल कि होती है|
उनका बुलाना, रोटी और
ओटला अद्फेरा होता है| वो अन्याय सहन
नहीं कर सकते, अन्याय होते देख
उनकी आत्मा जाग उठती हैं और न्याय के
लिए चाहे जितने कठोर निर्णय लेते हुए
भी वो हिचकिचाते नहीं है|
आंजनाओ कि परम्परागत परिवेश में पुरुष
झम्भा, पहेरण और धोती पहेनते हैं| सीर पर
सफ़ेद पघड्डी बांधते हैं|
जबकि स्त्रीया अलग-अलग कलर
कि साडी, ब्लाउज डागली और घेरवाले
काले व लाल पेटीकोट पहनती है |
हिन्दू शास्त्र के मुजब एक ही कुल में और
पितापक्ष के छः पीडी के रिश्ते में
तथा मातृपक्ष के पॉँच पीडी के रिश्ते में
शादी व्यवहार नहीं करते|
भव्य बादशाही भूतकाल
धरानी आंजना जातीका इतिहास
गौरान्वित हैं| आंजना कि उत्पति के बारे में
विविध मंतव्य/दंत्तकथाये प्रचलित हैं| जैसे
भाट चारण के चोपडे में आंजनाओ के
उत्पति के साथ सह्स्त्राजुन के आठ
पुत्रो कि बात जोड़ ली है परशुराम शत्रुओं
का संहार करने निकले तब सहस्त्रार्जुन के
पास गए | युद्घ में सहस्त्रार्जुन और उनके ९२
पुत्रो की मृत्यु हो गयी | आठ पुत्र
युध्भूमि छोड के आबू पर माँ अर्बुदा की शरण
में आये | अर्बुदा देवी ने उनको रक्षण दिया |
भविष्य मैं वो कभी सशत्र धारण न करे उस
शर्त पर परशुराम ने उनको जीवनदान दिया |
उन आठ पुत्रो मैं से दो राजस्थान गए |
उन्होंने भरतपुर मैं राज्य
की इस्थापना की उनके वंसज जाट से
पहचाने गए | बाकि के छह पुत्र आबू मैं ही रह
गए वो पाहता अंजन के जैसे और उसके बाद मैं
उस शब्द का अप्ब्रंश होते अंजना नाम से
पहचाने गए |
सोलंकी राजा भीमदेव पहले
की पुत्री अंजनाबाई ने आबू पर्वत पर
अन्जनगढ़ बसाया और वहां रहनेवाले
अंजना कहलाये |
मुंबई मैं गेझेट के भाग १२ मैं बताये मुजब इ. स.
९५३ मैं भीनमाल मैं परदेशियों का आक्रमण
हुआ, तब कितने ही गुजर भीनमाल छोड़कर
अन्यत्र गए | उस वक्त् अंजना पतीदारो के
लगभग २००० परिवार गाडे में भीनमाल
का निकल के आबू पर्वत की तलेटी मैं आये हुए
चम्पावती नगरी मैं आकर रहने लगे | वहां से
धाधार मे आकर स्थापित हुए, अंत मे
बनासकांठा , साबरकांठा , मेहसाना और
गांधीनगर जिले मे विस्तृत हुए |
सिद्धराज जयसिंह इए .स . 1335-36 मैं
मालवा के राजा यशोवर्मा को हराकर
कैद करके पटना में लकडी के पिंजरे मे बंद करके
गुमया था | मालवा के दंडनायक तरीके
दाहक के पुत्र महादेव को वहिवाट सोंप
दिया तब उत्तर गुजरात मे से बहुत से
आंजना परिवार मालवा के उज्जैन प्रदेश के
आस -पास स्थाई हुए है | वो पाटन आस -
पास की मोर ,आकोलिया , वगदा ,
वजगंथ , जैसी इज्जत से जाने जाते हैं |
अंजना समाज का इतिहास
राजा महाराजो की जैसे लिखित नहीं हैं |
धरती और माटी के साथ जुडी हुई इस
जाती के बारे मैं कोई सिलालेखो मे बोध
नहीं है | खुद के उज्जवल भविष्य के लिए श्रेष्ठ
मार्गदर्शन मनुष्य को इतिहास
द्वारा ही प्राप्त होता है | वहिवांचा के
चोपडे , जयति भुख्पतर , लोक साहित्य ,
जाती के लगन गीतों मे से
आधा अधुरा इतिहास साथ मे आता है |
पहले के समय मैं उत्तर गुजरात "आनंद " के नाम से
जाना जाता था | इस परदेश को गुजर
अजन्य के "अंजना " नाम से जाने जाते थे इस
परदेश मैं रहते आन्जनाओ के नाम आनंद के ऊपर से
उतर आया ऐसा लगता हैं |
गुजरात के रजा भीमदेव के राजपूत सैनिको ने
आबू पर्वत पर "अंजना गढ़ " नाम का जन पद
स्थायी किया जिसके रहवासी "अंजना"
कहलाये |
गौताम्रिशी की पुत्री और महादेव
की पत्नी "अंजनी " के वंशज होने से "अंजना "
कहलाये |
एक दंतकथा के अनुसार " आन्जनागिरी "
पर्वत के उनके भूल रहे थान के जग्य पर से
अंजना नाम पड़ा हुआ है ऐसा लगता है |
"अंजना" सहस्त्रार्जुन के वंशज है |
जाट और आंजनाओ के पूर्वज समान थे| वैसे
ही पहले के ब्राह्मिन और क्षत्रियो के बिच
में शादी का व्यव्हार था|

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

दर्द की असली वजह

राम राम सा

🤓✍✍✍✍✍✍✍
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*दर्द की असली वजह यही है !*

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*आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए!*

*उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए !*

*तीन करोड़ (30000000 ) से जायदा फ़र्ज़ी एलपीजी कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए !*

*मदरसों से वज़ीफ़ा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए!*

*डेढ़ करोड़ (15000000 ) से ऊपर फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारी गायब हो गए!*

*ये सब क्यों और कहाँ गायब होते जा रहे हैं !*

*चोरो का सारा काला चिटठा खुलने वाला है …*
*इसीलिए,*
*सारे चोर मिलकर,*
*माननीय सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दिया कि,*

*आधार लिंक हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है !⁉⁉*

*चोरों  को प्राइवेसी का कैसा अधिकार⁉*

*वंदे मातरम,*

*#कौन_कौन_है_मोदी_जी_के_खिलाफ!!!!!!!*

*1)कंपनी के MD :मोदी ने फर्जी 3 लाख से ज्यादा कम्पनियां  बन्द कर दी है!*

*2) राशऩ डीलर नाराज़ हो गये!*

*3) Property Dealer नाराज़ हो गये!*

*4)ऑनलाइन सिस्टम बनने से दलाल नाराज़ हो गये है!*

*5) 40,000 फर्जी NGO बन्द हो गये है, इसलिए इन  NGO के मालिक भी नाराज़ हो गये !*

*6) No 2 की Income से Proprty खरीद ने वाले नाराज़ हो गये!*

*7) E-Tender  होने से कुछ ठेकेदार भी नाराज़ हो गये!*

*8) गैस कंपनी वाले नाराज़ हो गये!*

*9) अब तक 12 करोड लोगो को Income टैक्स के दायरे मै आ चुके लोग नाराज़ हो गये!*

*10) GST सिस्टम लागू होने से ब्यापारी लोग नाराज़ हो गये, क्योकि वो लोग Automatic सिस्टम मै आ गये है!*

*11) वो 2 नम्बर  के काम बाले लोग फलना फूलना बन्द हो गये है!*

*13) Black को White करने का सिस्टम एक दम से लुंज सा हो गया है।*

*14) आलसी सरकरी अधिकारी नाराज हो गये,*
*क्योकि समय पर जाकर काम करना पड रहा हैं!*

*15) वो लोग नाराज हो गये, जो समय पर काम नही करते थे और रिश्वत देकर काम करने मे विश्वास करते है।*

*दुख होना लाजिमी है देश वदलाव की कहानी लिख रहा है, जिसे समझ आ रही है बदल रहा है जिसे नही आ रही है वो मंदबुध्दि युवराज का मानसिक गुलाम हमे अंध भक्त कह कह कर छाती कूट रहा है!!*
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