।। राम राम सा ।।
"बामण ने बांसुरी मिलगी,बोतल मिलगी जाटां ने।
"भोळी जनता सोच रही है,कुर्सी किण रे हाथां में।
"कई कमल की डंडी पकड़ी,कई पकड़यो हाथ।
"ठाकर बैठा सोच रिया है,किण रो देवां साथ।
"अबकी बार चुनावां में आनंद घणेरो आवेला ।
"बड़ा बड़ा सूरमा भी धराशायी हो ज्यावेला।
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