शनिवार, 10 नवंबर 2018

मारवाडी कविताएँ

मैं तनै कैवूं सायबा, कोई सियाळै भल आय
सियाळो फिर आवसी,जोबन फेर ना आय
थारै आयां सायबा, आ सरदी जासी भाग
रातां होसी रंगीन, कोई मनड़ौ करसी राग
घर आया थाके सायबा,आंगण ढूकसी चाव
घिरती फ़िरती नाचसु ,मन में उठसी उमाव



आ तो सुरगा नै सरमावै, ईं पर देव रमण नै आवे,
ईं रो जस नर नारी गावै, धरती धोरा री
पंछी मधरा मधरा बोलै, मिसरी मीठै सुर स्यूं घोलै,
लुळ लुळ बाजरिया लैहरावै, मक्की झालो दे'र बुलावै
ईं पर तनड़ो मनड़ो वारां, ईं पर जीवण प्राण उवारां
ईं नै मोत्या थाल बधावां, ईं री धूल लिलाड़ लगावां,
ईं रो मोटो भाग सरावां, धरती धोरां री !
ईं रै सत री आण निभावां ईं रै पत नै नही लजावां,
ईं नै माथो भेंट चढा़वां, भायड़ कोड़ा रीं,
झीणूं बादरियो पपोळै, धरती धोरां री

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