गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

"मूंछ मुंडा मत मानवा, मूंछों रो है मान ।

मरद तो मुछाळ बंका, नैण बंकी गोरियां । चँवरां बंकी गावड़ी, कान बंकी घोड़ियाँ।। "मूंछ मुंडा मत मानवा, मूंछों रो है मान । मूंछाळौ मरदां तणी, रंग धर राजस्थान ।। मुंछा गहणो मरदरौ,मिनख पणै रौ मान। जै इब चावो जौवणो,(तौ)रैवो ज राज स्थान।। मरद तो मूंछाळ बंका, पौड़ बंकी घोड़ियां । बिचमे पांतरग्यो, पीव बंकी गोरियां।। रुड़ा राजस्थान माँहि, मूंछ वाळो मरोड़। संत सती और शूरमा, ठावा ईण ज ठोड़।। मूंछ मरोड़े मांनखो, राजस्थानी रोज। मूंछां निरखे मांनवी, इण सूं उपजै औज।। खरी कमाई खावणी , हक री लिया हमेश । बेहक सूॅ बरबादगी , (म्हे) फुरता दीठा फेस ।।

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