रविवार, 31 जुलाई 2016

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार ! पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !! ..सांढनी (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी ! ---☔☔ मावां पोवां धोधूंकार, फागण मास उडावै छार| चैत मॉस बीज ल्ह्कोवै, भर बैसाखां केसू धोवै || .... माघ और पोष में कोहरा दिखाई पड़े, फाल्गुन में धुल उड़े, चैत्र में बिजली न दिखाई दे तो बैशाख में वर्षा हो| ----☃☃ अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय| पो ही मूल न होय तो, म्ही डूलंती जोय || .....अक्षय तृतीया पर रोहणी नक्षत्र न हो, रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र न हो और पौष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र न हो तो संसार में विपत्ति आवे| ----🌨🌨 अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह| सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह || .... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !! ----☃☃ आगम सूझै सांढणी, तोड़ै थलां अपार। पग पटकै, बैसे नहीं, जद मेहां अणपार। ....यदि चलती ऊँटनी को रात के समय ऊँघ आने लगे, तब भी बरसात का होना माना जाता है। ------☔☔ तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख || ....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !! ----🐪☔ अगस्त ऊगा मेह पूगा| ....अगस्त्य तारा उदय होने पर वर्षा का अंत समझना चाहिए ----💫🌧 अगस्त ऊगा मेह न मंडे, जो मंडे तो धार न खंडे || ....अगस्त तारा उदय होने पर प्राय: वर्षा नहीं होती, लेकिन कभी हो तो फिर खूब जोरों से होती है । ----🌟⛈ अम्मर पीलो मेह सीलो | ....वर्षा ऋतू में आसमान का रंग पीलापन लिए दिखाई पड़े तो वर्षा मंद पड़ जाती है| अम्बर रातो| मेह मातो|| ....वर्षा ऋतू में यदि आसमान लाल दिखाई पड़े, लालिमा छाई हो तो अत्यधिक वर्षा होती है| अम्बर हरियौ, चुवै टपरियौ | ...आकाश का हरापन सामान्य वर्षा का धोतक है| -----🌩⛅ काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट| वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ|| ...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है| ----🐪🐪 धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त| भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त| ....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होगी|| ----🐯🌧

गुरुवार, 28 जुलाई 2016

Majaak 2

एक व्यक्ति ने बुलेट 350सीसी मोटरसायकल खरीदी, ताकि, वो, अपनी गर्लफ्रेंड को लॉन्गड्राइव पर घुमाने ले जा सके .. लेकिन, किस्मत देखिये.. बुलेट 350सीसी की तेज़ आवाज़ के कारण, ड्राइविंग करते समय वो अपनी गर्लफ्रेंड से बात नही कर पता था, तंग आ कर, आखिरकार उसने अपनी बुलेट 350सीसी, जिसे उसने बड़े ही अरमानो से खरीदा था, बमुश्किल एक महीने के भीतर, घाटा उठाकर, यानि नुकसान सहकर बेच दी, बेच दी, और एक नई एक्टिवा खरीद ली, अब वो बहुत खुश था.. उसकी लवलाइफ बहुत ही अच्छी चल रही थी, लॉन्गड्राइव पर जाने में उसे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था, क्योंकि, नई एक्टिवा, उस बुलेट 350सीसी की तरह तेज़ आवाज़ नही करती थी, और वो, बड़े ही आराम से ड्राइविंग करते हुए अपनी प्यारी गर्लफ्रेंड से बातें कर पाता था, दोनों के दिन बड़े ही अच्छे से कट रहे थे, वक्त मनो पंख लगा कर उड़ता रहा.. देखते ही देखते दो वर्ष कब बीत गये, दोनों को पता ही न चला, बहुत प्यार था उन दोनों को एक दूजे से, दोनों ने साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाईं, आदमी अच्छाखासा कमाता था, गर्लफ्रेंड में भी कोई कमी न थी, अत: घरवालों को राज़ी कर के दोनों ने शादी कर ली, अब वक्त और तेज़ी से गुज़रा.. एक साल बाद.. उसी आदमी ने वापस . . . . एक्टिवा बेच कर, बुलेट 500सीसी खरीद ली..! ( वजह हर आदमी जानता है) हँसो मत ठोको लाइक आज वो छोरी... रास्ते मे गोबर थापती दिखी.....😝😝 जिसने अपनी फेसबुक प्रोफाईल मे लिख रखा है '' I don't work, I am a Princess..😂😂😀😀

Majaak

जो व्यक्ति ATM से भी निकले पैसे को गिनते है वे जीवन में किसी पे भी विश्वास नहीं कर सकते :- *_चाणक्य के छोटे दमाद*_ 😀😀 अगर घी सीधी उंगली से ना निकले तो... घी को गरम कर ले। हर बात में उंगली करना अच्छी बात नहीं... :- *_चाणक्य का रसोइया*_ 😝😝 आपकी अमीरी इस बात से नही दिखती की आपके पास कौन सी कार है, बल्की इस बात से दिखती है का आप उसमें कितने का पेट्रोल भरवाते है :- *_चाणक्य की बुआ का ड्राईवर*_ 😝😝 मैनें कभी ईंट का जवाब पत्थर से नहीं दिया मैनें बस वही ईंट वापस दे मारी पत्थर ढूंढने में कौन टाईम वेस्ट करे भला :- *_ चाणक्य की कॉलोनी का एक आदमी*_ 😝😜 मुँह से निकली बात, कमान से निकला तीर और मोहब्बत में कराये गये Recharge के पैसे, कभी वापस लौट कर नहीं आते :- *_चाणक्य के कालोनी का एक दुकानदार*_😘🙋🙌🙌💋😁😁😝😝😝

Tips

*.थोडा सा ताजा धनिया *.एक बड़ा नींबू *.आधा कप पानी तयार करने की विधि : एक बर्तन में निम्बू का जूस निकल लें उसमे थोडा सा बारीक़ कटा हुआ धनिया और आधा कप पानी डाल कर मिक्सर में अछि तरह मिक्स कर लें और आप का चमत्कारी ड्रिंक तयार है |

मुछो पे ताव देते

. '@मुच्छो का ‪#‎ रौब ‬सिर्फ ‪#‎ मरोडी‬मारने वाला ही जानता हैं क्योंकि ‪#‎ हुक्म‬किसी भी ‪#‎ ठिकाणे‬मे जाये तो हमारी बाद में पहले मुच्छो की ‪#‎ तारीफ‬होती है.@.. Gumanji patel sinli

'@मुच्छो का ‪रौब‬

आजकल तो मेरा टैम इतणा खराब चल रहा है कि , , , , , , इबके थोडी सी मूँछ के राखली , , , , पडोस की सारी भाभियाँ घूँघट करण लागगी हैं

Joke of the day

*भैंस की व्यथा* *भैंस की जबान से* बच्चा जब थोड़ा बड़ा होता है , दूध *मेरा* पीता है, वो भी बोर्नविटा डाल डाल कर । और निबन्ध लिखने के लिये *गाय* *हाथी* या *कुत्ते* ..... क्यों ? अगर बच्चा लिख नहीं पाता तो बोलते हैं .... *काला अक्षर भैंस बराबर* तो क्या दूसरे जानवर *पोस्ट ग्रेजुएट* हैं ?? यदि कोई गल्ती करे तो लोग कहते हैं कि *गई भैंस पानी में* . बाकी के जानवर क्या *कोका कोला* में जाते हैं ? कोई न सुने तो कहते हैं *भैंस के आगे बीन बजाना* बाकी के आगे क्या *लता मंगेशकर* का गाना बजाते हैं ? *क्या बिगाड़ा है हमने*

Betiya

एक बिटिया बड़ी हो गयी, उसने बड़े सहज भाव में अपने पिता से पूछा - "पापा, क्या मैंने आपको कभी रुलाया" ?? पिता ने कहा -"हाँ " उसने बड़े आश्चर्य से पूछा - "कब" ? --------------- . पिता ने बताया - "उस समय तुम करीब एक साल की थीं, घुटनों पर सरकती थीं। मैंने तुम्हारे सामने -- पैसे, पेन, खिलौना -- रख दिया क्योंकि मैं ये देखना चाहता था कि, तुम तीनों में से किसे उठाती हो, तुम्हारा चुनाव मुझे बताता कि, बड़ी होकर तुम किसे अधिक महत्व देतीं । . तुम एक जगह स्थिर बैठीं टुकुर टुकुर उन तीनों वस्तुओं को देख रहीं थीं। मैं तुम्हारे सामने उन वस्तुओं की दूसरी ओर खामोश बैठा बस तुम्हें ही देख रहा था।" ---------------- . पिता ने बताया - "तुम घुटनों और हाथों के बल सरकती आगे बढ़ीं, मैं अपनी श्वांस रोके तुम्हें ही देख रहा था और क्षण भर में ही तुमने तीनों वस्तुओं को आजू बाजू सरका दिया और उन्हें पार करती हुई आकर सीधे मेरी गोद में बैठ गयीं....!! . मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि, उन तीनों वस्तुओं के अलावा तुम्हारा एक चुनाव मैं भी तो हो सकता था। तभी तुम्हारा तीन साल का भाई आया ओर "पैसे" उठाकर चला गया...!!" ------------------ . पिता ने कहा.., "वो पहली और आखरी बार था बेटा जब, तुमने मुझे रुलाया.. और बहुत रुलाया...!!" . ---

बारिश का दौर 1

बरस बरस ऐ बादळी, बरस्यां पड़सी पार । नीं बरसी जे डावडी , काळ मारसी मार ।। ना हाडी ना सावणीं , खाली है कोठार । अबकै थांरी टाळ सूं , डूबां काळी धार ।। सायब बैठ्या आंतरै , करै मजूरी जाय । थांरै आयां आवसी , बादळ बेगो आय ।। खेतां चालै बायरो , भंवती दिखै रेत । थांरी छांट्यां थामसी , कर धरती सूं हेत ।। आय घमाघम बरसज्या, जळ-थळ करदे एक । मुरधर इण सूं धापसी , काम करै नीं नेक ।। हरयाळी धरती बापरै , डांगर राखै चाव । डांखळ खा खा बादळां, जीभां पड़ग्या घाव ।।

बारिश का दौर

मरुधर सावण सोवणों भरी जवानी सावण सींचै, बावड़ बरसै भादो। आस्योजां में बूढो बादल, मोती पटकै जातो।। रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर । मरुधर म्हारो सोवणों ,सगला रो सिरमौर ।। सावण भादो सजल सुरंगा, आसोजां पुरवाई। किरै काकड़ी मटकाचरला, रुत मेलांकी आई।। टम टम की बरखा बरसै, ऊठ सवांरी तड़कै। मुलकै गौरी मनभरियो, परदेसी आवै अबकै।। सावण बरस्यां मिटै सायबा, लगी धरा की जूल। मुलकै ऊबा खड्या रुंखड़ा, बेलां पसरै फूल।। घमओ तावड़ों पड़ै जेठ में, बदन ज्याय कुमलाय। आस बंधै आसाढ़ आवतां, मिटै हिये की लाय।। अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर । साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।। आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह । साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।

Su-vichar1

*सफल जीवन* *के* *सूत्र* ✍1. *जीवन* जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ। ✍2. *कठिनाइयों* जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते| ✍3. *असंभव* इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं| हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा| ✍4. *हार ना मानना* बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है| ✍5. *हार जीत* सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है| ✍6. *आत्मविश्वास* अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है ✍7. *महानता* महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है| ✍8. *गलतियां* अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है| आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है| ✍9. *चिन्ता* अगर आप उन बातों एंव परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते है, जो आपके नियंत्रण में नहीं तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य पछतावा है| ✍10. *शक्ति* ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं| वो हम हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है| ✍11. *मेहनत* हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी| ✍12. *सपने* सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते। ✍13. *समय* आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है| ✍14. *विश्वास* विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है| विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता है| ✍16. *सफलता* दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते है| ✍17. *सोच* बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही avoid कर देते है। समस्याए common है, लेकिन आपका नजरिया इनमे difference पैदा करता है। ✍18. *प्रसन्नता* यह पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है..ये आप ही के कर्मों से आती है

Joke of the day

☎ एक आदमी के फ़ोन पर अनजान नंबर से कॉल आया । 📞 लड़की - क्या आप शादीशुदा हैं ? आदमी - नहीं, पर आप कौन हो । लड़की - तुम्हारी बीवी, आज घर आना फिर बताउंगी । 📱 थोड़ी देर बाद फिर अनजान नंबर से कॉल आया । ☎ लड़की - क्या आप शादीशुदा हो ? आदमी - हाँ, पर आप कौन ? लड़की - तुम्हारी गर्लफ्रेंड, धोकेबाज़ । आदमी - सॉरी यार, मुझे लगा मेरी बीवी है । लड़की - बीवी ही हूँ कुत्ते, आज तो बस तू घर आजा । 🔫🔪💣⚡💥 😜😂😆😎 डाक्टर: – तुम्हारेे होठ कैसे जले ? आदमी: – मायके जाने के लिए पत्नी को रेल्वेस्टेशन छोड़ने गया था । खुशी के मारे इंजन को चूम लिया,,😘 😚😚😜😘😜😘😜😘

Bharat ke P.M. Modiji

मैं मोदी जी के किसी भी कदम की आलोचना नहीं करता हूँ, भले ही वो फौरी तौर पर गलत ही क्यों न हों? सोचिए अटल जी की सरकार गिरा कर हमने क्या पा लिया था, और मोदी जी को गिरा कर हम क्या पा लेंगे ? हमारे पूर्वजों की गलतियों की सजा तो हमने पाई और अब मोदी जी की आलोचना कर के हमें भी वही गलती की पुनरावर्ती नहीं होने देनी है. स्वयं और सम्पूर्ण समाज को जगाना ही अब सर्वोपरी धर्म होगा अन्यथा विनाश होना निश्चित होगा ! जेएनयू मामले पर कुछ नासमझ हिन्दू ही मोदी जी की टाँग खींच रहे थे मगर मोदी किन परिस्थितियों से लड़ रहे हैं इसका किसी को भी अंदाज़ा ही नहीं है। वो आदमी ये सब किसके लिए कर रहा है, कौन है आगे पीछे? मोदी से अगर किसी को कुछ फायदा है तो वो सिर्फ हमें हैं, हमारे बड़े होते बच्चों को है और आने वाली पीढ़ी को है। इसलिये हर परिस्थिति में मोदी का साथ देना है। अभी वक़्त अंपायर बनने का नहीं कट्टर समर्थक बने रहने का है। 2019 का चुनाव जिताने के बाद 2021 से हमें हर सवाल का जवाब बिना मांगे ही मिलने लगेगा। 60 बरसों की गंदगी इतनी जल्दी साफ़ नहीं होगी फिर भी मोदी जिस रफ्तार से सभी चुनौतियों से निपटते हुए काम कर रहे हैं ये किसी साधारण आदमी के बस की बात नहीं हैं। आज मुझे ये कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि मोदी जी कुछ दिव्य गुणों से लबरेज़ हैं, ईश्वर ने एक महान् नेता हमें दिया है। इस नेता को अगर हमने पूरी ताक़त से साथ नहीं दिया तो हम अपने बच्चों से कभी नज़रें नहीं मिला पाएंगे। न्यायपालिका, मीडिया, नौकरशाही हर क्षेत्र को कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के खाद पानी से उसकी जड़ें बहुत गहरे तक जमाकर देश की नींव को खोखला कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था, विकास की रफ़्तार को बीमार, बेहद बीमार कर दिया है। किसी भी कदम की सूचना तुरंत कांग्रेस के पास पहुँच जाती है। विरोधियों और भीतरघातियों से निपटना आसान नहीं है। साथ साथ विकास की रफ़्तार को बनाये रखना बड़ी चुनौती है। व्यापार चौपट हो जाने पर उसे फिर से सँभालने, ज़माने में ही बरसों लग जाते हैं। फिर यहाँ तो पूरा देश, पूरा सिस्टम ही चौपट है। बीमारी गंभीर है और इसकी कई बड़ी सर्जरी करनी पड़ेगी, वक़्त लगेगा, पूरी ताक़त से मोदी जी का साथ देना होगा, सेवा करनी होगी, धैर्य और विश्वास रखना होगा तभी ठीक होगी, लेकिन होगी ज़रूर। मुझे गर्व है अपने प्रधानमंत्री पर !! ... मोदी जी जैसी दिव्यात्मा पर ।।.

Su vichar1

19.इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा। 20.दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना। 21.कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो। 22.यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं। 23.मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें। 24.यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं। 25.“जिन्दगी”एक आइसक्रीम की तरह हैं टेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं और वेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं। इसलिये जिन्दगी को वेस्ट नही टेस्ट करो। 26.गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं। 27.दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं। 28.कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर। 29.जीना हैं, तो उस दीपक की तरह जियो जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता हैं जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में। 30.जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा। 31.हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती। 32.दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा. अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता। 33.जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना। (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)। 34.अगर कोई आपको नीचा दिखाना चाहता हैं तो इसका मतलब हैं आप उससे ऊपर हैं। 35.जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती हैं वही दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। 36.मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते। 37.अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो ये मत सोचिए वो बेवकूफ कितना हैं बल्कि ये सोचिए उसे आप पर विश्वास कितना हैं। 38.बहुत दूर तक जाना पड़ता हैं सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन हैं। 39.अपनी उम्र और पैसे पर कभी घमंड़ मत करना Q कि जो चीजें गिनी जा सके वो यक़िनन खत्म हो जाती हैं। 40.मैनें धन से कहा.. तुम एक कागज़ के टुकड़े हो.. धन मुस्कराया और बोला मैं बेश्क एक कागज़ का टुकड़ा हूँ लेकिन मैनें आज तक कूड़ेदान का मुँह नही देखा। 41.इंसान कहता हैं.. अगर पैसा हो तो मैं कुछ कर के दिखाऊँ, लेकिन पैसा कहता हैं तू कुछ कर के दिखा तभी तो मैं आऊँ। 42.जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना Q कि बंद पड़ी घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती हैं। 43.बचपन में सबसे ज़्यादा पूछा गया सवाल – बड़े होकर क्या बनना हैं ? जवाब अब मिला.. फिर से बच्चा बनना हैं। 44.कंडक्टर सी हो गई हैं जिंदगी.. सफर भी रोज़ का हैं और जाना भी कही नही। 45.जिंदगी मज़दूर हुई जा रही हैं और लोग “साहब” कहकर तानें मार रहे हैं। 46.एक रूपया एक लाख नही होता.. फिर भी एक रूपया अगर एक लाख से निकल जाए तो वो लाख भी नही रहता. 47.जो लोग दिल के अच्छे होते हैं, दिमाग वाले उनका जमकर फायदा उठाते हैं। 48.जली रोटियाँ देखकर बहुत शोर मचाया तुमनें.. अगर माँ की जली उंगलियों को देख लेते, तो भूख उड़ गई होती। 49.इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चुका हैं। 50.नमक की तरह हो गई हैं जिंदगी.. लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं।

Su vichar

1.क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं। 2.ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं। 3.कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं। 4.इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म। 5.सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा। 6.हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा। 7.खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो। 8.अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही। 9.इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही, अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं। 10.जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं। 11.हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो। 12.दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे.. 13.जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं। 14.जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए। 15.हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो..(run away) भाग लो..(participate) पसंद आपको ही करना हैं। 16.इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे। 17.अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं। 18.यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए।

Mother

👨👨👦माता-पिता को भूलते जा रहे हैं आज के आधुनिक युवा ..🙏 20 साल से हम देखते आ रहे हैं की अपने हिन्दू समाज का खेती(कृषि)करना अपना मुख्य व्यवसाय था और अब भी चल रहा हैं तब हम सभी सहपरिवार साथ-साथ रहते थे (संयुक्त परिवार) और माता-पिता की सेवा करते थे सो खुशहाल रहते थे।और स्वस्थ (निरोगी) रहते थे। वक्त बदला किसान के बेटे पढ़ लिखकर अपनी जन्मभूमि छोड़ नौकरी करने मुम्बई /बैंगलोर/चेन्नई /पुणे/हैदराबाद जाकर खूब मेहनत की.. व्यपार सीखा और ईमान्दारी की मिसाल कायम कर परिवार का नाम रोशन किया। आज हिन्दू समाज परम उंचाई पर है,धनवान है, हर एक पैसों से खरीदी जाने वाली चीजें खरीद सकता है। आज हम अपनी कर्मभूमि पर रहते है(मुम्बई हैदराबाद चेन्नई) और हमारे उम्र दराज़ माता -पिता जी हमारे गांवों में अकेले रहते है(जन्म भूमि)पर उन बुजुर्गों की देख-रेख और रोटी बनाकर देने वाले हम सभी अपने अपने व्यवसाय में व्यस्त है। हम आज चाहकर भी उनकी सेवा नहीं कर पा रहे.ये दुर्भाग्य की बात हैं ।. बुजुर्ग माता-पिता जो गांवों में अकेले है उनकी जान की रक्षा भी हम नहीं कर पा रहे है। 70/80 साल के माता-पिता खुद अकेले अपना भोजन बनाये कपडे धोये इस उम्र में.. हमें सोचने पे मुजबूर करता है जब हम अकेले बैठे सोचते हैं या विचार करते हैं तो कि हमने उन्हें पैसा कमाने की होड़ में कैसे अकेले छोड़ दिया।(जबकि पैसे बहुत कुछ हैं लेकिन पैसे सब कुछ नही हैं मित्रो ) हर गांवों में जहाँ ऐसे बुजुर्ग माता- पिता रहते है हमे अपने गावों में या आस पास देखने को मिलते हैं । 90% बुजुर्ग माता-पिता का गावों में ये ही हाल है वो खुद अपना काम करने पर मज़बूर है। जबकि इस उम्र में इनको अपने परिवार के साथ रहना अर्थात पोत्र पोत्री के साथ या बेटे बहु के साथ रहना पंसद करते हैं ।लेकिन आज काल के युवा एकल परिवार (पति-पत्नी व् पुत्र-पुत्री) के साथ रहना ज्यादा पसन्द करते हैं जबकि गांवों में अपने माता- पिता अकेले रहते हैं इसके लिए हमें कुछ करना होगा या एक भाई के परिवार को उनकी सेवा में उनके साथ रहना चाहिए । ये विचार मनन करना होगा। ताकि उनकी सुरक्षा व् सेवा उनको आराम से मिल सके और हम भी संतोष से काम कर सके अपने माता-पिता जो गांवों में हमारी राह ताकते हैं उनको भी सुकून मिल सके ।🙏🙏 नोट- माता -पिता की सेवा ही दुनिया की सबसे बड़ी सेवा हैं । और सेवा का मौका एक बार जरूर लेना चाहिए।

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

Rajasthani dohe

चापलूसियों चुगलियों पर निंदा पाखण्ड । बंधु बैर अर दुर बिसन घसकों झूठ घमंड ।। सैण कहेला सीख रा बळता चुभता बोल । कडवी पण हित री कही, मानों इमरत मोल ।। चापलूसियों चुगलियों पर निंदा पाखण्ड । बंधु बैर अर दुर बिसन घसकों झूठ घमंड ।। सैण कहेला सीख रा बळता चुभता बोल । गायब सद्गुण गाँठ रा अवगुण लिया अनेक ।। 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽��🏽🙏🏽

Ek housewife

: एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें । कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई। फिर बच्चों को नाश्ता कराया। पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था। इस बीच स्कूल की बस आ गयी और वो बच्चों को बस तक छोड़ने चली गई । वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये । इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो । उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए। अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना। तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या? अभी लीजिये नाश्ता तैयार है। पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले । उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी । दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी । फिर उसने सारे बर्तन धोये अब बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई में जुट गयी । अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी कि दरवाजे पर खट खट आवाज आयी । दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे । उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही । ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु आज खाने का क्या प्रोग्राम हे । उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे । उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी । खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे । बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये । उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया । इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे । उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी । खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये । इस वक़्त तीन बज रहे थे । अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था । उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी । उसने फिर से किचन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर हो गयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो । उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी । अब तक चार बज चुके थे । अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो । उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं । इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी । अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो । वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं । पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये । पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो। अच्छा लगे तो आप इसे शेयर करना। सभी ग्रहणीयों को नमन जिनकी वजह से हमारे घरों में प्यार ममता वात्सल्य की गंगा बहती है,और उनका समर्पण अतुलनीय है। धन्यवाद.. —

थोडा हंस लो

मास्टर जी : अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं, और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी? . . संता: ... 7 . . मास्टरजी: नहीं, मेरा सवाल दोबारा ध्यान से सुनों, अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी? . . संता: मास्टर जी...7 . . मास्टर जी: नहीं, मैं तुम्हें अलग तरीके से समझाता हूं... . अगर मैं तुम्हें 2 सेब दूं, फिर 2 सेब दूं और फिर 2 सेब दूं तो, तुम्हारे पास कितने सेब हो जाएंगे...? . संता : जी.. 6... . . मास्टर जी (खुश होकर): शाबाश, अब अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी? . संता : कितनी बार बोलूं...7 . मास्टर जी (गुस्से से पीटते हुये ): अबे कमीने, जब सेब 6 हो रहे हैं तो बिल्ली 7 कैसे हो जाएंगी? . संता(रोते हुए): क्योंकि, मेरे घर पर एक बिल्ली पहले से ही है.😜सात जन्मो तक साथ जीने मरने का वादा करने वाले लोग...😒 . . . . . . रोमिंग... मे जाते ही फोन ऊठाना बन्द कर देते है... कौन कमबख्त कहता है की facebook और whatsapp बच्चों को बिगड़ता है..... I I आधी अँग्रेज़ी तो हमने यहीं से सीखी है.. गुंडा – चल “हफ्ता” निकाल. एडमिन -“कैलेंडर फाड़ते हुए” ले भाई पूरा “महीना” ही रख ले हमारे एडमिन साहब की तो बात ही कुछ और है 😀😀😀😀 A Marwadi couple: बीवी : अजी सुणो हो, कि आदमी की डेथ हुवे जणा स्वर्ग में बाने अप्सरा मिले है, तो फेर लुगायां ने स्वर्ग में कांई मिले है ? 💁 पति : ( in full mood) बांदरा (monkey )मिले है बांदरा😜🙉🙈 😂😂😂😂😂😂😂😂 बीवी : (ठंडी सांस लेती हुई) आ तो गलत बात है अठ भी बांदरा बठ भी बांदरा🐵🙈🙉🙊🐒 😂😂😂😂😂😂😂आज कल के माँ बाप सुबह स्कूल बस में बच्चे को बिठा के ऐसे बाय बाय करते हैं, जैसे पढ़ने नहीं, विदेश यात्रा भेज रहें हो.... और एक हम थे जो रोज़ लात खा के स्कूल जाते थे... 😤😤😤😤

मंगलवार, 5 जुलाई 2016

थोडा हंस लो

आज कल के माँ बाप सुबह स्कूल बस में बच्चे को बिठा के ऐसे बाय बाय करते हैं, जैसे पढ़ने नहीं, विदेश यात्रा भेज रहें हो.... और एक हम थे जो रोज़ लात खा के स्कूल जाते थे... 😤😤😤😤

आपणां बडेरा -

💎हमारे दादाजी के समय के सुखी जीवन के सूत्र राजस्थानी में- *घर बनानो छोटो, कपडो पहननो मोटो ! खानो जवार को रोटो, तो कभी ना आय टोटो !! 👎आज की पीढी के नये सूत्र- घर बनानो मोटो, कपडो पहननो छोटो ! करजो लेनो मोटो, खानो होटल को रोटो, तो हमेशा रेवे टोटो ही टोटो!!

Eye care

भुने चने बिना छिलके वाले आधा किलो, बादाम 100 ग्राम , काजू 100ग्राम छोटी इलायची 50 ग्राम , मगज 100 ग्राम ।(Magaz kehte h tarbooz ya kharbooje ki giri ko ) 2 कूजा मिसरी या धागे वाली मिसरी 200 ग्राम इन सब को पीस कर चूरण बना ले। 10 गराम सुबह लेकर दूध पी ले। आखो पर लगा चश्मा उतर जायेगा। विश्वास के साथ प्रयोग करे .आजमाया हुआ है . बच्चो के लिए बहुत फायदे मन्द हें

Indian Kishan

😞 कहते हैं.. इन्सान सपना देखता है तो वो ज़रूर पूरा होता है. मगर किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है. बड़ा खुश होते हुए जाता है. बच्चों से कहता है आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊंगा फल और मिठाई भी लाऊंगा, पत्नी से कहता है.. तुम्हारी साड़ी भी कितनी पुरानी हो गई है फटने भी लगी है आज एक साड़ी नई लेता आऊंगा. 😞😞😞😞😞 पत्नी:–”अरे नही जी..!” “ये तो अभी ठीक है..!” “आप तो अपने लिये जूते ही लेते आना कितने पुराने हो गये हैं और फट भी तो गये हैं..!” जब किसान मंडी पहुँचता है . ये उसकी मजबूरी है वो अपने माल की कीमत खुद नहीं लगा पाता. व्यापारी उसके माल की कीमत अपने हिसाब से तय करते हैं. एक साबुन की टिकिया पर भी उसकी कीमत लिखी होती है. एक माचिस की डिब्बी पर भी उसकी कीमत लिखी होती है. लेकिन किसान अपने माल की कीमत खु़द नहीं कर पाता . खैर.. माल बिक जाता है, लेकिन कीमत उसकी सोच अनुरूप नहीं मिल पाती. माल तौलाई के बाद जब पेमेन्ट मिलता है. … वो सोचता है इसमें से दवाई वाले को देना है, खाद वाले को देना है, मज़दूर को देना है , अरे हाँ, बिजली का बिल भी तो जमा करना है. … सारा हिसाब लगाने के बाद कुछ बचता ही नहीं. वो मायूस हो घर लौट आता है बच्चे उसे बाहर ही इन्तज़ार करते हुए मिल जाते हैं. “पिताजी..! पिताजी..!” कहते हुये उससे लिपट जाते हैं और पूछते हैं:- “हमारे नये कपडे़ नहीं ला़ये..?” पिता:–”वो क्या है बेटा.., कि बाजार में अच्छे कपडे़ मिले ही नहीं, दुकानदार कह रहा था इस बार दिवाली पर अच्छे कपडे़ आयेंगे तब ले लेंगे..!” पत्नी समझ जाती है, फसल कम भाव में बिकी है, वो बच्चों को समझा कर बाहर भेज देती है. पति:–”अरे हाँ..!” “तुम्हारी साड़ी भी नहीं ला पाया..!” पत्नी:–”कोई बात नहीं जी, हम बाद में ले लेंगे लेकिन आप अपने जूते तो ले आते..!” पति:– “अरे वो तो मैं भूल ही गया..!” पत्नी भी पति के साथ सालों से है पति का मायूस चेहरा और बात करने के तरीके से ही उसकी परेशानी समझ जाती है लेकिन फिर भी पति को दिलासा देती है . और अपनी नम आँखों को साड़ी के पल्लू से छिपाती रसोई की ओर चली जाती है. फिर अगले दिन सुबह पूरा परिवार एक नयी उम्मीद , एक नई आशा एक नये सपने के साथ नई फसल की तैयारी के लिये जुट जाता है. …. ये कहानी हर छोटे और मध्यम किसान की ज़िन्दगी में हर साल दोहराई जाती है ….. हम ये नहीं कहते कि हर बार फसल के सही दाम नहीं मिलते, लेकिन जब भी कभी दाम बढ़ें, मीडिया वाले कैमरा ले के मंडी पहुच जाते हैं और खबर को दिन में दस दस बार दिखाते हैं. कैमरे के सामने शहरी महिलायें हाथ में बास्केट ले कर अपना मेकअप ठीक करती मुस्कराती हुई कहती हैं.. सब्जी के दाम बहुत बढ़ गये हैं हमारी रसोई का बजट ही बिगड़ गया. ……… कभी अपने बास्केट को कोने में रख कर किसी खेत में जा कर किसान की हालत तो देखिये. वो किस तरह फसल को पानी देता है. १५ लीटर दवाई से भरी हुई टंकी पीठ पर लाद कर छिङ़काव करता है, २० किलो खाद की तगाड़ी उठा कर खेतों में घूम-घूम कर फसल को खाद देता है. अघोषित बिजली कटौती के चलते रात-रात भर बिजली चालू होने के इन्तज़ार में जागता है. चिलचिलाती धूप में सिर का पसीना पैर तक बहाता है. ज़हरीले जन्तुओं का डर होते भी खेतों में नंगे पैर घूमता है. …… जिस दिन ये वास्तविकता आप अपनी आँखों से देख लेंगे, उस दिन आपके किचन में रखी हुई सब्ज़ी, प्याज़, गेहूँ, चावल, दाल, फल, मसाले, दूध सब सस्ते लगने लगेंगे. Please Send to your all groups तभी तो आप भी एक मज़दूर और किसान का दर्द समझ सकेंगे।

Indian Kishan

भारत में लगभग 75-80 करोड़ लोग खेती पर निर्भर हैं इसके विपरीत 5 करोड़ लोग सरकारी नौकर हैं। ...मित्रों सरकार का खेल देखिये,,, जो पढ़े लिखे नौकर हैं उसको बहलाया फुसलाया नहीं जा सकता इसके लिए 7 बार वेतन आयोग बनाया गया हैं... और बनाने वाले भी सरकारी नौकर ही होते हैं।...वैसे भी नेताजी कुर्सी के साथ शादी थोड़े ही करते हैं नेता तो लीव इन रिलेशनशिप में रहना पसंद करते हैं .... ऊपर ऊपर से मलाई खाओ और चलते बनो... ... नेताओं को मतलब सिर्फ मलाई खाने से होता हैं और बची खुची खुरचन यह अफसर खाते रहते हैं? ... मित्रों अब बात किसानों की...75-80 करोड़ किसानों के लिए आज तक कोई आयोग नहीं बना हैं... मित्रों अब आप भी सोचलो इतने सालो में एक सरकारी नौकर की तनख़्वाह में कितनी बढ़ोतरी हुई होगी??? क्या किसान ऐसी बढ़ोतरी का हक़दार नहीं हैं??? किसान का घर चलाना दिन ब दिन महंगा होता जा रहा हैं... उसका कर्ज बढ़ता जा रहा हैं... मज़बूरी में किसान को आत्महत्या करनी पड़ती हैं... और यदि कहीं ऐसी घटना होती हैं तो यह मीडिया वाले भी गिरजों और भूखे कुत्तों की तरह आसपास भटकना शुरू हो जाते हैं ... किसी को भी किसान के मरने से पहले की नहीं पड़ी होती हैं... सबको मजा आता हैं ऐसी न्यूज़ देते हुए ...और चैनल वाले भी बड़े चाव से चलाते हैं और बार बार चलाते हैं ... जब तक चलाते हैं तब तक सत्ताधारी पार्टी द्वारा हड्डी का टुकड़ा उनके आगे फेंक दिया जाये... और रही बात नेताओं की तो .. उनका तो खानदानी धंधा हैं आकर घड़ियाली आंसू बहाने का... जो सत्ता पक्ष में होगा वो इस आत्महत्या की वजह को कर्ज से दूसरी और धकेलने की कोशिश करेगा और जो विपक्ष में होगा वो सत्तापक्ष के अवगुण को मस्का लगा लगा कर मीडिया को बताएगा ... मरने वाले के परिवार पर क्या बीत रही है किसी को फ़िक्र नहीं होती,,,, सब अपनी रोटियां सेंकते हैं,,,, किसान क्यों आत्महत्या कर रहे हैं इस विषय पर आजतक कोई चैनल चर्चा नहीं करता हैं....किसान अपने यहाँ से कोई भी चीज बेचता हैं उससे तीन गुना दर पर वो चीज बाजार में बिकती है क्या यह फर्क सरकार कम नहीं कर सकती??? मेरा इतना ही कहना है...सरकार को चाहिए कि बिचोलिये का धंधा बन्द करवाये क्यूंकि इस ने किसान को मारा हैं? ... जब फसल निकलने का समय होता हैं यह बिचोलिये भाव को जमीन पर लाकर गिरा देता हैं.... कर्ज में डूबे किसान को अपनी फसल औने पौने दामों पर अपनी फसल बेचनी पड़ती हैं और जब पूरा चुकता नहीं होता हैं तो फांसी के फंदे को गले लगाना पड़ता हैं.. . आखिर में आप सबसे एक ही सवाल हैं ------कब तक यूँ मरते रहेंगे हम .. ??

😁अठे हर कोई भरे बटका😁 ..

घुमाबा नहीं ले जावां, तो घराळी भरे बटका ......। घराळी रो मान ज्यादा राखां, तो माँ भरे बटका ........। कोई काम कमाई नहीं करां, तो बाप भरे बटका ......। पॉकेट मनी नहीं देवां, तो बेटा भरे बटका ......। कोई खर्चो पाणी नहीं करां, तो दोस्त भरे बटका .....। थोड़ो सो कोई ने क्यूं कह दयां, तो पड़ौसी भरे बटका ....। पंचायती में नहीं जावां, तो समाज भरे बटका .....। जनम मरण में नहीं जावां, तो सगा संबंधी भरे बटका ...। छोरा छोरी नहीं पढ़े, तो मास्टर भरे बटका .......। पुरी फीस नहीं देवां, तो डॉक्टर भरे बटका ......। गाड़ी का कागज पानड़ा नहीं मिले, तो पुलिस भरे बटका .......। मांगी रिश्वत नहीं देवां, तो अफसर भरे बटका ......। टाइम सूं उधार नहीं चुकावां, तो मांगणिया भरे बटका ........। टेमूं टेम किश्त नहीं चुकावां, तो बैंक मैनेजर भरे बटका ......। नौकरी बराबर नहीं करां, तो बॉस भरे बटका .........। व्हाट्सएप्प पर मेसेज नहीं करां तो, ऐडमिन भरे बटका .........। अब थे ही बताओ, जावां तो कठे जावां, अठे हर कोई भरे बटका।😜😜

Hamara bachapan

छोटे-छोटे को स्कूल जाते हुए देखकर बचपन याद आ गया। आजकल के बच्चे तैयार होके स्कूल बस आने का इंतजार करने लग जाते हैं। हमारे वक्त तो पहले दो-तीन थप्पड़ लगा के तैयार किया जाता था और पाटी कलम देकर जबरदस्ती से स्कूल भेजा जाता था। 9 बजे रवाना होते थे और 10.30 तक स्कूल पहुँचते थे, स्कूल सिर्फ 1 किलोमीटर ही दूर थी। घर से तो बहुत ही साफ सुथरे निकलते थे मगर स्कूल पहुँचते-पहुँचतेभूत की तरह हो जाते थे। पाटी हर हप्ते नयी लानी पड़ती थी क्योंकि रास्ते में उड़ाते थे तब टूट जाती थी। कलम खा जाते थे और घरवाले को बोलते थे कि जेब फटी थी इसलिए कहीं गिर गई। दोपहर की छुट्टी के लिए एक छोटा सा टिफिन लेकर निकलते थे मगर प्रार्थना से पहले ही खाकर पूरा कर देते थे । जिस दिन लगता था आज रेसीस में भागना है तो पाटी को कमीज के अंदर छुपाकर स्कूल की दीवार कूदकर भाग जाते थे मगर पहुँचते 5 बजे तक क्योंकि पहले पहुँचते तो आपको तो सब पता ही हैं धुलाई होती थी। स्कूल में बैठने के लिए कमरे नहीं थे इसलिए बाहर खुले में पेड़ के नीचे ही बैठते थे, रस्ते से कोई गाड़ी गुजरती तो गेट के पास जाकर देखते थे और जब आसमान में कोई हवाईजहाज आवाज़ सुनाई देती तो शोर मचा देते थे वो जा रही, वो जा रही हैं भले खुद को दिखी भी ना हो । माड्साहब जब हजारी लेते थे तो दूसरे बच्चे बोलते तेरा नम्बर हैं फिर जोर से ऊछल कर बोलते थे येसोर। पाँचवीं तक स्कूल में सिर्फ एक ही माड्साहब थे अगर उनकों कहीं डाक के काम से जाना था तो उस दिन स्कूल में छुट्टी हो जाती थी इसलिए हम हमेशा भगवान से प्रार्थना करते थे बावजी आज मारसा रे डाक रो काम हो जाजो। खेलने के लिए किसी किट की आवश्यकता नहीं थी इसलिए मन हुआ जब तो लाइनें खींचकर कबड्डी का मैदान बनाकर खेल लेते। [इसे कहते है पढाई] ------------;----------------;------ समय देकर पढने के लिए धन्यवाद। इसमें आपका भी बचपन छुपा हैं। ********-******** आजकल स्कूलों में पढाई नहीं पकाई हो रही हैं। छात्रों के दिमाग भी जबरदस्ती से ठूसा जा रहा हैं। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों के साथ हम सहानुभूति प्रकट करते हैं।

Hamara bachapan

*कभी हमारे जहाज भी चला करते थे।* हवा में भी। पानी में भी। *दो दुर्घटनाएं हुई।* *सब कुछ ख़त्म गया।* एक बार क्लास में हवाई जहाज उड़ाया। टीचर के सिर से टकराया। स्कूल से निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई। कसम दिलाई गई। औऱ जहाज उडाना छूट गया। वारिश के मौसम में,मां ने अठन्नी दी। चाय के लिए दूध लाना था।कोई मेहमान आया था। हमने गली की नाली में तैरते अपने जहाज में बिठा दी। तैरते जहाज के साथ हम चल रहे थे। ठसक के साथ।खुशी खुशी। अचानक तेज बहाब आया। जहाज डूब गया। साथ में अठन्नी भी डूब गई। ढूंढे से ना मिली। मेहमान बिना चाय पीये चला गया। फिर जमकर ठुकाई हुई। घंटे भर मुर्गा बनाया गया। औऱ हमारा पानी में जहाज तैराना भी बंद हो गया। आज प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें उन दिनों की याद दिलाती हैं। बच्चे ने दस हजार का मोबाइल गुमाया तो मां बोली, कोई बात नहीं, पापा दूसरा दिला देंगे। हमें अठन्नी पर मिली सजा याद आ गई। फिर भी आलम यह है कि आज भी हमारे सर मां-बाप के चरणों में श्रद्धा से झुकते हैं। औऱ हमारे बच्चे 'यार पापा,यार मम्मी' कहकर बात करते हैं। हम प्रगतिशील से प्रगतिवान हो गये हैं। कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन।।

S.d.patel 8th rigult

: SOHANI PATEL Mother's Name : SUGANI Father's Name : GUMNA RAM PATEL Date of Birth : 02/05/2004 SubjectGrade Obtained HINDI A ENGLISH C SCIENCE A SOCIAL SC. A+ MATHS B SANSKRIT B WORK EXP. A+ H & P EDU A+ ART EDU A+

राम राम सा।

....जै श्री रजिश्विर भगवान की जय भगवान श्री राजेश्वर भगवान की भविष्यवाणीयाँ जो आज से 80 वर्ष पूर्व की गई,जो आज सत्य सिद्ध हो रही । सुणजो रे संसारी लोगों ऐसा जमाना आवेला । धर्म पुण्य में ध्यान न धरसी , पाप घणो बध जावेला । देवों ने पूजे नहीं पापी , गोविंद ने नहीं गावेला । गंगा गयो पाप घण लागे , पापियों फरमावेला । दया कियां तन दरद उपजे , दान किया दुख पावेला । पंडितों ने पूछे न कोई , गुरडा वेद सुणावेला । चेलकिया गादी चढ बैठे,गुरुजी ने ज्ञान सुणावेला । ........................................ भाई ने भाई नहीं जाणे , दुसमण जीऊं देखेला । बेटा बाप रो केयो नी माने , घुड्क तणा अखडावेला । बुढलिया में अकल नहीं अब , पागल के बतलावेला । नेम धर्म अरू कर्म तज देसी सब दिन टका कमावेला । ईश्वर ने ईश्वर नहीं जाणे , आप ब्रह्मा बण जावेला । ..................................... काली मात चलावे चक्कर ,भेरू धमक बजावेला । ..................................... स्त्रियां गेणो तज देसी , दो दो चूडी राखेला । स्वाग भाग सब छोडने बेना , केसां ने सुलजावेला । ....................................... जात पात री रीत न रेसी , एक जात बण जावेला । भांभी भील सरगरा संग में ,भंगी भोजन पकावेला । राजाराम कहे मेरे बंध्वा कर्म धर्म हट जावेला । कुदरत ऐसी आय बणेला , सभी एक होय जावेला । जय राजेश्वर !

आपणां बडेरा -

आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता धोती लोटा ले जांता हा धन री पोटां ले आंंता हा ढाका सुं मलमल ल्यांता हा लाहोरी लोटा ल्यांता हा च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा आणां टाणां औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निपट्यांता हा दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा होकां रा हबीड ऊठता चिलम भरयोडी राखता गाय भौंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा मैं न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा पैदा तो इंशान करता पालता भगवान हा कोडियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा-,,,