गुरुवार, 28 जुलाई 2016

बारिश का दौर

मरुधर सावण सोवणों भरी जवानी सावण सींचै, बावड़ बरसै भादो। आस्योजां में बूढो बादल, मोती पटकै जातो।। रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर । मरुधर म्हारो सोवणों ,सगला रो सिरमौर ।। सावण भादो सजल सुरंगा, आसोजां पुरवाई। किरै काकड़ी मटकाचरला, रुत मेलांकी आई।। टम टम की बरखा बरसै, ऊठ सवांरी तड़कै। मुलकै गौरी मनभरियो, परदेसी आवै अबकै।। सावण बरस्यां मिटै सायबा, लगी धरा की जूल। मुलकै ऊबा खड्या रुंखड़ा, बेलां पसरै फूल।। घमओ तावड़ों पड़ै जेठ में, बदन ज्याय कुमलाय। आस बंधै आसाढ़ आवतां, मिटै हिये की लाय।। अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर । साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।। आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह । साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।

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