चापलूसियों चुगलियों
पर निंदा पाखण्ड ।
बंधु बैर अर दुर बिसन
घसकों झूठ घमंड ।।
सैण कहेला सीख रा
बळता चुभता बोल ।
कडवी पण हित री कही,
मानों इमरत मोल ।।
चापलूसियों चुगलियों
पर निंदा पाखण्ड ।
बंधु बैर अर दुर बिसन
घसकों झूठ घमंड ।।
सैण कहेला सीख रा
बळता चुभता बोल ।
गायब सद्गुण गाँठ रा
अवगुण लिया अनेक ।।
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽��🏽🙏🏽
प्रीत पूराणी ना हुवे उतम जन सो लग्ग !!
जवाब देंहटाएंसौ बरसा जल में रहै, पथरी लगे ना जंग!!
मोरा बिना डुंगर किसा,महँ बिन किसा मल्हार!!
तरीया बिन तीज किसी,पिव बिन किसा सिंगार !!
मुंडेरां बैठ्यो कागलो, बोलै मीठी बाणी।
जवाब देंहटाएंपीव म्हारा परदेस बसै, बोली लागै खाणी। —
💎हमारे दादाजी के समय के सुखी जीवन के सूत्र राजस्थानी में-
जवाब देंहटाएं*घर बनानो छोटो,
कपडो पहननो मोटो !
खानो जवार को रोटो,
तो कभी ना आय टोटो !!
👎आज की पीढी के नये सूत्र-
घर बनानो मोटो,
कपडो पहननो छोटो !
करजो लेनो मोटो,
खानो होटल को रोटो,
तो हमेशा रेवे टोटो ही टोटो!!
🌸नेह झरै नित नैण में,पलकां वाळी पोळ। कहौ सखी बा कूण है?, "सांवरियौ रे लोल।।१ आली !लाली आभ भर , कंकू केसर ढोळ। आवै मन रे आंगणै, "साँवरियौ रे लोल।।२ मुखडौ टुकडौ चांद रो, पूनम रे ज्यूं गोळ। निरखण दीजै नैण सूं , सांवरियौ रे लोल।।३ रोम रोम रस री डळी, मिसरी मीठा बोल। सहियर !साकर शेलडी, साँवरियौ रे लोल।।४ हेरण दीजै हे अली, घूंघट रा पट खोल। माणीगर मन मोवणो, साँवरियौ रे लोल।।५ दरियौ भरियौ नेह रो, छलकै छल छल छोळ। कहौ सखी बा कुंण है,"साँवरियौ रे लोल।।६ थाळ बजै, बीणा बजै, डफ चँग बाजै ढोल। आयौ म्हारे आंगणै, साँवरियौ रे लोल।।७ पग धर घूंघर, पैजणी, रमूं प्हैर रमझोळ। निरखै म्हानै नेह सूं,"साँवरियौ रे लोल।।८ बिन डंडी बिन त्राकळी, लेत नेह सूं तोल! साच माच रो सेठियौ, साँवरियौ रे लोल।।९ माणक, पन्ना ,लाल अर, हीरा सूं अणमोल। मन मुंदरी रो है मणी, साँवरियौ रे लोल।।१० मोलवियौ मन देय म्है, औ गहणौ अणमोल। कदी न देस्यूं कोय नें, साँवरियौ रे लोल।।११
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