शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

सरपंच चुनाव सिनली 2020

सिनली सरपंच चुनाव 2020
आजकल गाँव मे पंचायतीराज चुनाव की  चर्चा-परिचर्चा खूब चल रही है । लेकिन अभी तक ये भी तय नही है की सीट कौनसी आयेगी । फिर भी  गांव में तो आजकल गुटबाजी शुरु हो गई है मित्रो इस गुटबाजी की वजह से ही कोई ऐसा सरपंच ना बना जाये की साइन के लिए भी हमें तरसना पड़े मित्रो आपकी क्या राय है जो भी राय है चाहे गलत है या सही है अपनी अपनी प्रतिक्रिया जरूर बताएं ताकि उसी हिसाब से कोई गाँव वाले फैसला ले सके।
बिंदास  होकर सभी अपनी-अपनी राय रखें आप सब गाँव के युवाओ से हमे पूरी उम्मीद है की अपका फेसला ही सब कुछ है अगर किसी भी नाम पर  सहमत हो तो भी जवाब जरूर दें अगर असहमत हो तो भी जवाब जरूर दें ।
आप सभी की किसी के भी नाम की  राय हो सकती है । जिसका भी नाम उम्मीदवार के लिये रख रहे हो साथ मे कारण भी अवश्य लिखे ।  लेकिन मेरी निजी राय से सरपंच कैसा होना चाहिए  वो मै बता रहा हुँ जो व्यक्ति  आपके विकास के लिए मुद्दे उठाए हर जानकारी आपको पहुंचाएं  सबको समान रूप से देखें कोई भेदभाव ना करें  टाइम पर नहीं आ रहे  सरकारी कर्मचारियों को टाइम टू टाइम आने के लिए बाध्य करें  जो सभी का  हितेषी सच्ची बात कहने वाला हो। गाँव के विकास के साथ साथ समाज की एकता बनाये रखे ।
  या फिर ऐसा सरपंच चुनना है जो जीतने के बाद आपको एक साइन के लिए पीछे पीछे घुमाता रहे ।  कुछ चंद रसुक दर लोगों के कार्य हो जाये और जिनको जरूरत हैं उनका काम ना हो ।  जिसका पहले से ही बैकग्राउंड खराब हो । समाज मे  भेदभाव करने वाला हो  अपनों को फायदा पहुंचाए और दूसरे  लोगों को आने वाली हर योजना से दूर रखने वाला । जैसे हमारे यहाँ  मनरेगा तालाब खुदाई और कार्य जो मनरेगा से ही होता है और जिसमें कार्य करने वाली महिलाएं हो या पुरुष उनको परेशान करने वाला हो फैसला आपके सभी के  हाथ में हैं जो  संघर्षशील हो पढ़ा लिखा हो । केन्द्र व राज्यसरकार की योजनाओ को आम आदमी तक पहुचाने वाला हर बात को बेबाकी से रखने वाला सरपंच चाहिए या फिर  गुटबाजी करने  वाला  सरपंच चाहिये ।

सोमवार, 25 नवंबर 2019

नेता बनने की आवस्यक सामग्री


युवा नेता" बनने की आवश्यक सामग्री :- 1 SUV दस-बारह लाख की गाड़ी  दो तीन जोड़ी सफ़ेद कलर के कुर्ते-पजामे, सफ़ेद लिनेन के शर्ट पेंट ,सोने की 2 चेन  सोने की अंगूठी-ब्रेसलेट , 2 आई फोन , ब्रांडेड जूते-सेंडिल ,ब्रांडेड कलाई घडी , 1 काला चश्मा Ray ban का , रजनीगंधा का डिब्बा , 4-6 जी हुजूरी करते चेले चमचे
  अब आप अपने SUV गाड़ी  के नंबर प्लेट में नंबर की जगह अपनी पार्टी के झंडे का चिन्ह बनवाये और अपने 4-6 चेलो को अपनी SUV गाड़ी  में सदैव बैठा कर रखे  SUV में बैठ के मोबाइल कान में ही लगा के रखे अपनी देह को कुर्ते-पजामे और सोने के आभूषण से सुसज्जित करे, और किसी भी एक नेता के इर्द गिर्द परिक्रमा प्रारम्भ करे। अपने नेता को प्रसन्न करने के लिए "मंच-माइक-माला"की यथासंभव ज्यादा से ज्यादा व्यवस्थाये करे । नेता जी के आगे पीछे घूमते हुए उनकी "सेवा-पूजा" करते रहे, अपने नेता जी के साथ और उनके भी नेता जी के साथ फोटो खिंचवा कर घर एवं अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में लगावे । हर छोटे बड़े कार्यक्रम, त्यौहार, जन्मदिन पर पुरे शहर में फ्लेक्स लगवाये ।,मीडिया के लोगो से सेटिंग कर अपनी फ़ोटो अखबारो में छपाते रहे ,समय समय पर अपने क्षेत्र में छोटे श्रेणी के सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों पर रौब झाड़ते रहे , किसी सभा या प्रोग्राम मे जाये तो एकदम सिधे कड़क होकर बैठे । कुछ ही दिनो मे नेता बन जायेंगे

ब्लेड प्रेसर के रामबाण उपाय

आज की भागती दौड़ती जिंदगी में ब्लड प्रेशर की समस्या आम-सी हो गई है। आज ये समस्या सिर्फ उम्र 40-50 की उम्र को पार कर चुके लोगों में ही नही, बल्कि टिनेजर्स में भी ब्लड प्रेशन की समस्या देखने को मिल जाती है। जिसकी वजह से बड़ी वजह से बिगड़ती लाइफस्टाइल। जिसमें इंसान का खाने से लेकर सोना तक, बिगड़ चुका है। ऐसे स्थिति में हर कोई दवाइयों का सेवन करता है। लेकिन दवाइयों के भी कई तरह के नुकसान शरीर में देखने को मिलते है। जिसके चलते आज हम आपको ऐसे घरेलू नुस्खे बताने जा रहे है। जिसको रोजाना खाने के बाद आपकी ब्लड प्रेशर की बीमारी पूरी तरह दूर हो जाएगी।

लहसुन से मिलेगा फायदा

लहसुन का सेवन ब्लड प्रेशर के लिए सबसे सही रहता है। अगर आप लहसुन का सेवन करोंगे। तो आपका शरीर में इम्युनिटी बढ़ेगी। इसके साथ ही आपकी बाल और आपकी स्किन भी काफी अच्छी हो जाएगी।लेकिन कभी भी लहसुन को पकाकर मत खाइए। ऐसा करने से इसके पोषण तत्व खत्म हो जाते है। इसलिए लहसुन को बिना पकाए ही पानी के साथ खाना चाहिए।

काली मिर्च भी है सहायक

बीपी की समस्या अचानक ही सामने आती है इसलिए अगर आपका ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाए। तो आपको आधा गिलास पानी में काली मिर्च पाउडर डालकर पी लेना चाहिए।ऐसा करने से आपको राहत मिलेगी। इसके साथ ही अगर आप काली मिर्च का रोजाना सेवन करते है तो आपकी कई सारी परेशानिया दूर हो सकती है। जिसमें पाचन क्रिया, शरीर में सूजन और दांत का दर्द शामिल है।

प्याज हैं रामबाण
प्याज जितना सब्जी के लिए जरूरी है। उतना ही शरीर के लिए। प्याज के कई सारे फायदे है। प्याज सबसे पहले आपके शरीर के ब्लड प्रेशर को कम करता है। यानी की जिसका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है।तो प्याज खाने से नॉर्मल हो जाता है। प्याज में क्वेरसेटिन नामक फ्लेवोनॉयड्स तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जिससे रक्त वाहिकाएं पतली हो जाती है। यही कारण है कि प्याज का सेवन कर ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।

आंवले से मिलेगा फायदा

आंवला शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें कई सारे गुण है। जिसका फायदा शरीर को मिलता है। आंवला ब्लड प्रेशन को नॉर्मल तो करता हैबल्कि आंवला या फिर आंवला का पाउडर पानी में डालकर पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। साथ ही अगर आंवला को शहद में मिलाकर भी खाया जाए। तो शरीर के लिए काफी ठीक रहता है।

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

सरपंच चुनाव सिनली 2020

।। राम राम सा ।।
वार्डपंच व सरपंच चुनाव मिशन 2020
               मित्रो  पंचायत चुनाव नजदीक आ गये है हमारे गाँव सिनली  मे दो तीन दिन से  सरपंचों की लिस्ट तैयार होने लगी है इसमे सिर्फ हमारा गांव ही नही बल्कि राजस्थान के सभी ग्राम पंचायतों मे यही हाल है । पहले के जमाने मे अगर किसी को वार्डपंच या सरपंच  भी बनाना होता था तो गाँव वाले मिलकर सहमती से सरपंच या वार्डपंच चुनते थे  और  आजकल सरपंच  का चुनाव लड़ने के लिये हर गांव मे चालीस पचास  लोग जरुर मिल जायेंगे भले वो अपने गांव का वार्डपंच चुनाव भी नही जित सके। पंचायत समिति सदस्य के लिये भी यही हाल है ऐसे व्यक्ति भी टिकिट के लिये हाथ बढा रहे है जिन्होने एक भी दिन पार्टी के लिये कुछ भी सहयोग नही दिया गया है  । वो अब एकदम तैयार बैठे है  वो भी पूरी तरह से युवा नेता बनने के लिये बड़े नेताओ के चक्कर लगा रहे है । जो चन्द पैसो की  लालसा मे दल बदलू हो गये है ।अपनी ही पार्टी को हराने मे कोई कसर नही छोडी है। वो भी आज टिकिट के लिये चक्कर लगा रहे हैं। उनका हक भी बनता है टिकिट के लिये लेकिन नेताजी ने एक एक गांव मे लगभग आठ दस लोगो से वादा किया है । शायद अब टिकिट तो सिर्फ खर्चा करने वाले को ही मिलेगा ।
  सरपंच के लिये भी हमारे गाँव मे लिस्ट दिनो दिन लम्बी होती जा रही है मुझे तो लग रहा है कहीं चुनाव आने तक मतदाताओं से ज्यादा  सरपंच खड़े ना हो जाये । लेकिन बहुत से भावी सरपंच  गांव के विकास और गरीब के लिये अपने द्वारा किये गये कार्यों  के आधार पर नही है बल्कि जातीय समीकरण के आधार पर या पैसों के बल पर चुनाव की तैयारी कर रहे है । वो बिलकुल गलत है । गाँव के विकास के लिए सरपंच का बहुत बड़ा योगदान रहता है।   लेकिन अधिकतर  भावी उम्मीदवारों को सरपंच की जिम्मेदारी व अधिकार का पता तक नहीं होगा, वो सरपंच पद को सिर्फ भ्रष्टाचार कर पैसा कमाने का जरीया मानते हैं । और शायद यही होता आ रहा है ।
इनमें कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिनको हमने  योगदान देकर जिताया और कुछ हारे लेकिन वे कभी भी ना तो गरीब के साथ खङे दिखाई नही दिये,ना ही किसी गरीब पारिवार की मदद की है ।
ना ही कभी सरकारी स्कुलो की बेहतरी के लिए बोले ,कभी गांव की गालियों की सडक  व बिजली -पानी पर बोले  या गांव में कोई गलत काम होता है तब भी नहीं बोले। जो लोग चन्द रुपयो के लिये बिक जाते है ।
कभी गांव में किसी गरीब के घर पर जब पुलिस आकर उन्हें परेशान करे तब वे अपना मुंह मोड़ लेते है। या फिर जो खर्चा करता है उनका साथ दे देते है । चाहे वो गलत ही क्यो ना हो ।  फिर गांव वाले जाए भी तो कहाँ जाये ,   चन्द पैसो के लालस मे चुनाव के चक्कर में वो गाँव के  व्यक्तियों से भी अनबन कर बैठते है।
और सरकारी सहायता को योग्य व्यक्ति को ना मिल के सम्पन्न  व्यक्ति को दिलवा देते है,
गरीब बिसारा देखते ही रहता है । ना कभी गरीबो कर्ज माफ करवाया गया।
अब  जिम्मेदारी हम सब जागरूक सिनली ग्रामवासियों की बनती है कि गाँव मे योग्य  सरपंच  चुनने मे लोगो को जागरुक करे ताकि  सरपंच वो बने जो गाँव को अपना घर मानकर काम करे जो गाँव के विकास  मे योगदान दे और ग्रामवासियो को शिक्षा और रोजगार व राहत प्रदान करने मे समय व  सहयोग दे  सके । अगर हम भावी सरपंच से  खर्चा करवाकर सरपंच बनायेंगे तो विकास की आशा कभी नही करे । क्योकि वो तो पाँच साल खर्चा वसूलने मे ही लगा रहेगा ।
अब फैसला आप सब ग्रामवासियो को खुद करना है कि किसको सरपंच व वार्डपंच  चुनना है । और किसको नहीं ? 
गुमनाराम पटेल सिनली

                    

सन्त श्री राजाराम जी महाराज शिकारपुरा


श्री राजारामजी महाराज का जन्म चैत्र शुल्क ९ संवत १९३९ को, जोधपुर तहसील के गाँव शिकारपुरा में, अंजना कलबी वंश की सिह खांप में एक गरीब किसान के घर हुआ था | जिस समय राजारामजी की आयु लगभग १० वर्ष थी तक राजारामजी के पिता श्री हरिरामजी का देहांत हो गया और कुछ समय बाद माता श्रीमती मोतीबाई का स्वर्गवास हो गया |
   माता-पिता के बाद राजारामजी बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी नंगे सन्यासियों की जमात में चले गए और आप कुछ समय तक राजारामजी अपने चाचा श्री थानारामजी व कुछ समय तक अपने मामा श्री मादारामजी भूरिया, गाँव धान्धिया के पास रहने लगे | बाद में शिकारपुरा के रबारियो सांडिया, रोटी कपडे के बदले एक साल तक चराई और गाँव की गांये भी बिना हाध में लाठी लिए नंगे पाँव २ साल तक राम रटते चराई | गाँव की गवाली छोड़ने के बाद राजारामजी ने गाँव के ठाकुर के घर १२ रोटियां प्रतिदिन व कपड़ो के बदले हाली का काम संभाल लिया | इस समय राजारामजी के होंठ केवल इश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे | श्री राजारामजी अपने भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों को डालते थे | जिसकी शिकायत ठाकुर से होने पर १२ रोटियों के स्थान पर ६ रोटिया ही देने लगे, फिर ६ मे से ३ रोटिया महाराज, कुत्तों को डालने लगे, तो ३ में से 1 रोटी ही प्रतिदिन भेजना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी भगवन अपने खाने का आधा हिस्सा कुत्तों को डालते थे |
   इस प्रकार की ईश्वरीय भक्ति और दानशील स्वभाव से प्रभावित होकर देव भारती नाम के एक पहुंचवान बाबाजी ने एक दिन श्री राजारामजी को अपना सच्चा सेवक समझकर अपने पास बुलाया और अपनी रिद्धि-सिद्धि श्री राजारामजी को देकर उन बाबाजी ने जीवित समाधी ले ली |
   उस दिन ठाकुर ने विचार किया की राजारामजी को वास्तव में एक रोटी प्रतिदिन कम ही हैं और किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ये काफी नहीं हैं अतः ठाकुर ने भोजन की मात्रा फिर से निश्चित करने के उद्धेश्य से उन्हें अपने घर बुलाया |
   शाम के समय श्री राजाराम जी इश्वर का नाम लेकर ठाकुर के यहाँ भोजन करने गए | श्री राजारामजी ने बातों ही बातों में ७.५ किलो आटे की रोटिया आरोग ली पर आपको भूख मिटने का आभास ही नहीं हुआ | ठाकुर और उनकी की पत्नी यह देख अचरज करने लगे | उसी दिन शाम से राजारामजी हाली का काम ठाकुर को सोंपकर तालाब पर जोगमाया के मंदिर में आकर राम नाम रटने लगे | उधर गाँव के लोगो को चमत्कार का समाचार मिलने पर उनके दर्शनों के लिए ताँता बंध गया |
   दुसरे दिन राजारामजी ने द्वारिका का तीर्थ करने का विचार किया और दंडवत करते हुए द्वारिका रवाना हो गए | ५ दिनों में शिकारपुरा से पारलू पहुंचे और एक पीपल के पेड़ के नीचे हजारो नर-नारियो के बिच अपना आसन जमाया और उनके बिच से एकाएक इस प्रकार से गायब हुए की किसी को पता ही नहीं लगा | श्री राजारामजी १० माह की द्वारिका तीर्थ यात्रा करके शिकारपुरा में जोगमाया के मंदिर में प्रकट हुए और अद्भुत चमत्कारी बाते करने लगे, जिन पर विश्वास कर लोग उनकी पूजा करने लग गए | राजारामजी को लोग जब अधिक परेशान करने लग गये तो ६ मास का मोन रख लिया | जब राजारामजी ने शिवरात्री के दिन मोन खोला तक लगभग ८०००० वहां उपस्थित लोगो को व्याखान दिया और अनेक चमत्कार बता

ये जिनका वर्णन जीवन चरित्र नामक पुस्तक में विस्तार से किया गया हैं |
   महादेवजी के उपासक होने के कारण राजारामजी ने शिकारपुरा में तालाब पर एक महादेवजी का मंदिर बनवाया, जिसकी प्रतिष्ठा करते समय अनेक भाविको व साधुओ का सत्कार करने के लिए प्रसाद के स्वरूप नाना प्रकार के पकवान बनाये जिसमे २५० क्विंटल घी खर्च किया गया | उस मंदिर के बन जाने के बाद श्री राजारामजी के बड़े भाई श्री रगुनाथारामजी जमात से पधार गये और दो साल साथ तपस्या करने के बाद श्री रगुनाथारामजी ने समाधी ले ली | बड़े भाई की समाधी के बाद राजारामजी ने अपने स्वयं के रहने के लिए एक बगेची बनाई, जिसको आजकल श्री राजारामजी आश्रम के नाम से पुकारा जाता हैं |
   श्री राजारामजी महाराज ने संसारियों को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर लाने के उद्धेश्य से बच्चों को पढाने-लिखाने पर जोर दिया | जाती, धर्म, रंग आदि भेदों को दूर करने के लिए समय-समय पर अपने व्याखान दिये | बाल विवाह, कन्या विक्रय, मृत्यु भोज जैसी बुराईयों का अंत करने का अथक प्रयत्न किया | राजारामजी ने लोगो को नशीली वस्तुओ के सेवन से दूर रहने, शोषण विहीन होकर धर्मात्न्माओ की तरह समाज में रहने का उपदेश दिया |    राजारामजी एक अवतारी महापुरुष थे, इस संसार में आये ओर समाज के कमजोर वर्ग की सेवा करते हुए, श्रावण वद १४ संवत २००० को इस संसार को त्याग करने के उद्धेश्य से जीवित समाधि ले ली |

राजस्थानी भजन

राजस्थानी भजन
अमरापुर से चली भवानी गोरख छलबा आयी रे
आयी बठे उठ ज्याओ भवानी ओ जोगी मेरी माई रे
1⃣
कुण योगी तेरी बहन भाणजी कोण कहिजे माता रे
कुण योगी तेर संग रमे है कोण करे मुख बातां रे
2⃣
धूणी कहिजे बहन भाणजी,झोली कहिजे माता रे
भष्मी हमारे संग रमे है,सुरतां करे मुख बातां रे
2⃣
काई को तेरो घूमे घाघरो, काई का ओढ़े चीरा रे
काई को तेर बण्यो कांचलो, कोण पुरुष संग सिरा रे
3⃣
धरती को मेर घूमे घाघरो,अमरापुर का चीरा रे
तारा मंडल को बण्यो कांचलो, अलख पुरुष संग सिरा रे
4⃣
तन्ने बाँध गुरु तेरा बांधू, बांधू कंचन काया रे
काना ढलकता मदरा बांधू, जोग कठे से ल्याया रे
5⃣
मन्ने खोल गुरु मेरा खोलूं ,खोलूं कंचन काया रे
काना ढलकता मदरा खोलूं ,जोग जुगत से ल्याया रे
6⃣
उठत मारूँ बैठत मारूँ,मारुं जागत सुत्या रे
तीन लोक म भंग पसारुं, कठै ज्याव गोरख अवधूता रे 6⃣
उठत सिमरुं बैठत सिमरुं,सिमरुं जागत सुत्या रे
तीन लौक से न्यारा खेलूं ,के जाणे गोरख अवधूता रे
7⃣
ब्रह्मा न छलिया विष्णु न छलिया ,शंकर जटाधारी न
सकत भवानी यूं उठ बोली, तेर द्वारे हारी में
8⃣
जननी न जायो औघड़ लोथियो ,ना मन्ने गोद खिलायो रे
सिर पर हाथ मछेन्द्र जोगी धरियो,गोरखनाथ कुहायो रे

सोमवार, 18 नवंबर 2019

राजस्थानी कविता चकवी और चकवो

।। राम राम सा ।।

।। चकवी अर चकवो।।
अेक रात री बात बताऊं
सुणी जकी सागण समझाऊं
चकवो चकवी बोलण लाग्या
रात अंधारो तोलण लाग्या
पीपळ पर चकवी रो बासो
चकवै रो बड़ अळगो खासो
बातां करता टेम बितावै
इतरै में आंधी आ ज्यावै
चकवी रो मन डरपण लागै
डरती बड़लै कानी भागै
चकवै री संगत वा चावै
अपणै मन री बात बतावै
चकवो बोल्यो सुण अे राणी
परापरी री रीत पुराणी
रात बिताणी पड़सी न्यारी
मरजादा री कर रखवारी
परापरी रो नेम बावळी
रात बगत रो टेम बावळी
आपांरो इतिहास बतावै
रात साथ में नहीं बितावै
मरजादा टूट्यां सूं गैली
दुनिया में बदनामी व्हेली
तरह तरह रा अनरथ होसी
जदै कोई मरजादा खोसी
सगळां री हद न्यारी न्यारी
हद में रहणो पड़सी प्यारी
चकवो चकवी साथ रवैला ?
सोच लोगड़ा कंई कवैला ?
चकवी रै कंवळै भावां पर
लूण न्हाखियो ज्यूं घावां पर
चकवै वाळी बात अखरगी
बोली चकवा तैं हद कर दी
मिनखां रो डर मनैं बतावै
काळी रातां रोज सतावै
पकड़्यां बैठो रीत पुराणी
जिणमें कांई आणी जाणी
नयै समै री नई कहाणी
बदळ्या राजा बदळी राणी

मिनखां री आंख्यां रो पाणी
सूख गयो सुण ले साच्याणी
चलती सड़कां नार लुटीजै
निरदोसां रा करम कुटीजै
घर, बारै, पोसाळ, बजारां
अबला लुटती देख हजारां
जिण हाथां मरजादा डोरी
बांरी नीयत जाबक फोरी
रिस्ता-नाता तार-तार है
कठै बता मरजाद कार है
नानै नातिन दादै पोती
मानीजी आंख्यां री जोती
पण वां भी मिजळाई धारी
रिस्तां पर चाली दुधारी
ईं धरती पण काण छोड़ दी
फाटण वाळी बाण छोड़ दी
मिंदर मस्जिद अेका ढाळो
धोळै दिन बंदी उजियाळो
चकवा भलां कछू भी कीजे
मिनख तणो म्यानो मत दीजे
मिनख मिनख नैं चावै कोनी
मानव धरम निभावै कोनी
लोपी सब लिछमण रेखावां
क्यूं फिर कूड़ी कार कढ़ावां
सांवरियै री लीला सगळी
मिनखां आज सरासर बदळी
सुणतां पींपळ रोवण लाग्यो
जाणै समंद उफाणै आग्यो
पींपळ चकवी नै पुचकारी
आज्या बेटा रात अंधारी
देखा देखी दौड़ मती ना
धीर धरम नै छोड़ मती ना
मोटा बोल न बोल धीवड़ी
न्याय ताकड़ी तोल धीवड़ी
मिनख खुदोखुद बणग्यो मोटो
मिनखपणै रो आयो टोटो
ज्यूं खूंटां रै खाद न लागै
मोटां रै मरजाद न लागै
मोटां रै मारग मत चाली
लहू लुहान हुज्याली लाली
मोटां बंधियो मरियां छूटै
बठै उजाळा इज्जत लूटै
भलै बामणां ब्याव हुयो है
थारै हाथां न्याव हुयो है
म्हैं देख्यो जगती रो धारो
मिनख घणो ओ कामणगारो
समै बायरो बाजै जैड़ो
ओ बण ज्यावै जाबक बैड़ो
म्हारो गट्टो घणै मरम रो
ओ ठायो हो धरम करम रो
चोर लुटेरा तक सरमाता
इण गट्टे रै सारै आता
झूठ कपट रो न्याय कर्यो म्हैं
कदै नहीं अन्याय कर्यो म्हैं
हर घर म्हारो हो साखीणो
पीपळ रो जीवण लाखीणो
जद ई कोई झूठ बोलतो
म्हारै बो परपूठ बोलतो
म्हारै सामी आतां आतां
साची बात बतातो हातां
काती न्हाती बहू बडेरी
राती माती देती फेरी
पींपळ सींचण सगळा आता
मन री साची बात बताता
अब तू देख कबाड़ो बेटी
गिरगी मानवता हद हेटी
अब भी पींपळ सींचण आवै
गट्टै बैठी कूड़ घूंकावै
सास-बहू री चुगली सारी
सुण सुण कान पाकग्या प्यारी
पींपळ रो ले नाम निकळज्या
झांसां में फंस धोरां ढळज्या
बिन सोच्यां पड़थाव रचावै
पाछै रो-रो जूण बितावै
धोखा खाय कई आ ज्यावै
कई कठै ई कट मर ज्यावै
जकी कुटम री लाज कहाती
फिरै भटकती गोता खाती
पण चकवी थूं डरजे मत ना
मिनखां री गत मरजे मत ना
पंछीड़ां री परकत न्यारी
राखै इज्जत री रखवारी
म्हनैं भरोसो है बस अतरो
थारी अस्मत नैं नीं खतरो
रात अकेली भलां बितावै
दिन भर पगली मौज मनावै
जे तूं मिनखां जलमी होती
रात दिवस दोनूं ई खोती
सुण रे चकवा थूं क्यूं दौरो
थूं तो सागण डालो-बौरो
गरज मिटयां गुजराणी नट्टै
मरजादा रो कांई बट्टै
पाप-धरम रै भाईचारो
के करसी करमां रो भारो
चोरां नै कुण बरजे नाटै
पींपळ गट्टै हिस्सा बांटै
चकवी मन री भोळी-ढाळी
इणरी बात कदे मत टाळी
सावळ सर इणनैं समझाजे
इण विध थारी टेक निभाजे
साख राख थूं थारी सखरी
मत ना देय मिसाल मिनख री
चकवी रोती-रोती रुकगी
उणरी आंख्यां नीचै झुकगी
बोली चकवा माफ करीजे
दरद दाग नै साफ करीजे
सेजां साथ मनां में घातां
वां सूं आछी सूनी रातां
संग रहै पण साथ कठै है ?
हैंडसेक में हाथ कठै है ?
समझौतां री संड़का नापै
आं सूं रिश्ता-नाता कांपै
हेत विहूणां आं रा हेला
गत बिगड़्योड़ा गूंगा गेला
लख चैरासी जूणां मांही
दूजो कुण है मिनखां दांई
चकवा मत पिछतावो कीजे
रीस आयगी माफ करीजे
नेम धरम पर चाल दिखास्यां
सत रै मारग हाल दिखास्यां
पंछी हां पंछी ही रहस्या
खुद नैं मिनख कदे नीं कहस्या।

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

पानी की प्यास

।। राम राम सा ।।

पानी दिखता ही नहीं, पाया कारावास।
होठों पर जलने लगी, अंगारों सी प्यास।।पीने की खातिर बचे, मिट्टी–बालू–रेत।
मौन कुएँ के सामने, पंछी पड़ा अचेत।।
गरम टीन सा तप रहा, हर कोमल एहसास।कोलतार पिघला मिला, सड़कें मिली उदास।।
प्यासी है सारी प्रजा, सोया है सम्राट।अग्निकुंड से हो गए, पानी वाले घाट।।
गरम धूल आँखों भरी, भरा न कोई घावसीधे मँुह अब क्या कहें , औंधे मँुह की नाव।।आपस में करने लगीं, किरणें क्रूर सलाह।
बड़े सवेरे हो गया, सूरज तानाशाह।।

म्हारौ प्यारौ राजस्थान

।। राम राम सा ।।
झुर झुर रोवै रुँखङा, रोवै धरा पाषाण।
एक र पाछो आवजो राजस्थानी भाण।
के दिन. हा केवल वे जद करता किरसाण
भुलो ना भुलीजे , राखु हिरदे मे पॆछाण
जय जय मारो प्यारो प्यारो राजस्थान

मोदी थारी माया रो पायो कोनी पार

मोदी थारी माया रो पायो कोनी पार
थारो भेद कणेई नी जाणीयो रे....
भारत रा पहरेदार
नवखंड मे थे भ्रमण किदो लियो जस अपार
अमरिका ओर इग्लेड मे थारी बोली जय जयकार
ढाका जाए ढाकेश्वरी पूजी नेपाल पशुपतिनाथ
पाकिस्तान ओर चिन मच गयो हाहाकार
पाकिस्तान री पोल खोली सयुँक्त राष्ट्र रे माय
आधी रात मे छोडी मिलटरी आतँकि मारइया हजार
हजार पाँचो री नोट बंद करा दी
बंद कियो काळो बजार
आम जनता रो भलो कर दियो
अब सुख पावो नर नार
370 धारा हटाई एक पलक रे माय
राम मन्दिर अब भव्य बणे ला अयोध्या रे माय
अब देश रा लूटेरा भी  जायेगा कैद खाना
आवणा वाला पाँच साल मे ये क्या क्या होगा ये किसी ने नही जाणा।  
मोदी थारी माया रो पायो कोनी पार
थारो भेद कणेई नी जाणीयो रे
भारत रा पहरेदार
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जयजय भारतमाता
वँदे मातरम् 🌹

परदेसी री प्रीत


।। राम राम सा ।।
कीडी नगरो सहर है मोटर बंगला कार ।
जठै जमारो बेच कै मिनख करै रूजगार ॥
अजब रीत परदेस री एक सांच सौ झूँठ ।
हँस बतळावै सामनै घात करै पर पूठ ॥
खेत खळा अर रूंखडा बै धोरा बै ऊंट ।
बाँ खातर परदेस के तज देवूँ बैकूँट ॥
देह मशीना मै गळै आयो मौसम जेठ ।
बिरथा खोयी जूण म्हे परदेसा मँ बैठ ।।
ऊमस महीना जेठ रो बो पीपळ रो गांव ।
संगळियाँ संग खेलता चोपङ ठंडी छाव ॥
गाता गीत न गा सक्या करता करया न कार ।
जीतै जी ना जी सक्या मरिया पडसी पार ॥
ठीडै ठाकर ठेस रा ठीडै ही ठुकरेस ।
बिना ठौड अर ठाईचै क्यूँ भटकै परदेस ॥
समरथ जाणु लेखणी सांचो जाणू रोग ।
गावैला जद चाव सूँ दरद दिसावर लोग ।।
सूना सा दिन रात है सूनी सूनी सांझ ।
बंस बध्यो है पीर रो खुशिया रै गी बांझ ।।
हिरण्याँ हर ले नीन्द नै किरत्याँ कैदे बात ।
तारा गिणता काटदे नित परदेसी रात ॥
रिमझिम बरसै भादवो झरणा री झणकार ।
परदेसी रै आन्गणै रूत लागी बेकार ॥
साखीणो संसार है कद तक राखा साख ।
साख राखताँ गांव मँ मिटगी खुद री साख ॥
तन री मौज मजूर हा मन री मौज फकीर ।
दोनूँ बाताँ रो कठै परदेसाँ मँ सीर ॥
ऊंचा ऊंचा माळिया ऊची ऊंची छांव ।
महला सूँ चोखो सदा झूंपडियाँ रो गांव ॥
बाट जोंवता जोंवता मन हुग्यो बैसाख ।
छोड प्रीत री आस नै प्रीत रमाली राख ॥
जद सूँ छोड्यो गांव नै हिवडै पडी कुबाण ।
गीत प्रीत री याद मँ आवै नित मौकाण ॥
प्रीत आपरी सायनी होगी म्हारै गैल ।
भारी पडज्या गांव नै जिया कंगलौ छैल॥
प्रीत करी नादान सूँ हुयो घणो नुकसान ।
आप डूबतो पांडियो ले डूब्यो जुजमान ॥
हेत कामयो देश मँ परदेसा मँ दाम ।
किण री पूजा मै करू गूगो बडो क राम ॥
बाबो मरगो काळ मै करग्यो बारा बाट ।
घर मँ टाबर मौकळा कै करजै रो ठाठ ॥
मारै आह गरीब री करदे मटिया मेट ।
पण कंजूसी सेठ रो रति ना सूकै पेट ॥
किण नै देवाँ ओळमाँ किण नै कैँवा बात ।
टाबरियाँ रै पेट पर राम मार दी लात ॥