राजस्थानी भजन
अमरापुर से चली भवानी गोरख छलबा आयी रे
आयी बठे उठ ज्याओ भवानी ओ जोगी मेरी माई रे
1⃣
कुण योगी तेरी बहन भाणजी कोण कहिजे माता रे
कुण योगी तेर संग रमे है कोण करे मुख बातां रे
2⃣
धूणी कहिजे बहन भाणजी,झोली कहिजे माता रे
भष्मी हमारे संग रमे है,सुरतां करे मुख बातां रे
2⃣
काई को तेरो घूमे घाघरो, काई का ओढ़े चीरा रे
काई को तेर बण्यो कांचलो, कोण पुरुष संग सिरा रे
3⃣
धरती को मेर घूमे घाघरो,अमरापुर का चीरा रे
तारा मंडल को बण्यो कांचलो, अलख पुरुष संग सिरा रे
4⃣
तन्ने बाँध गुरु तेरा बांधू, बांधू कंचन काया रे
काना ढलकता मदरा बांधू, जोग कठे से ल्याया रे
5⃣
मन्ने खोल गुरु मेरा खोलूं ,खोलूं कंचन काया रे
काना ढलकता मदरा खोलूं ,जोग जुगत से ल्याया रे
6⃣
उठत मारूँ बैठत मारूँ,मारुं जागत सुत्या रे
तीन लोक म भंग पसारुं, कठै ज्याव गोरख अवधूता रे 6⃣
उठत सिमरुं बैठत सिमरुं,सिमरुं जागत सुत्या रे
तीन लौक से न्यारा खेलूं ,के जाणे गोरख अवधूता रे
7⃣
ब्रह्मा न छलिया विष्णु न छलिया ,शंकर जटाधारी न
सकत भवानी यूं उठ बोली, तेर द्वारे हारी में
8⃣
जननी न जायो औघड़ लोथियो ,ना मन्ने गोद खिलायो रे
सिर पर हाथ मछेन्द्र जोगी धरियो,गोरखनाथ कुहायो रे
गुरुवार, 21 नवंबर 2019
राजस्थानी भजन
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें