गुरुवार, 21 नवंबर 2019

सरपंच चुनाव सिनली 2020

।। राम राम सा ।।
वार्डपंच व सरपंच चुनाव मिशन 2020
               मित्रो  पंचायत चुनाव नजदीक आ गये है हमारे गाँव सिनली  मे दो तीन दिन से  सरपंचों की लिस्ट तैयार होने लगी है इसमे सिर्फ हमारा गांव ही नही बल्कि राजस्थान के सभी ग्राम पंचायतों मे यही हाल है । पहले के जमाने मे अगर किसी को वार्डपंच या सरपंच  भी बनाना होता था तो गाँव वाले मिलकर सहमती से सरपंच या वार्डपंच चुनते थे  और  आजकल सरपंच  का चुनाव लड़ने के लिये हर गांव मे चालीस पचास  लोग जरुर मिल जायेंगे भले वो अपने गांव का वार्डपंच चुनाव भी नही जित सके। पंचायत समिति सदस्य के लिये भी यही हाल है ऐसे व्यक्ति भी टिकिट के लिये हाथ बढा रहे है जिन्होने एक भी दिन पार्टी के लिये कुछ भी सहयोग नही दिया गया है  । वो अब एकदम तैयार बैठे है  वो भी पूरी तरह से युवा नेता बनने के लिये बड़े नेताओ के चक्कर लगा रहे है । जो चन्द पैसो की  लालसा मे दल बदलू हो गये है ।अपनी ही पार्टी को हराने मे कोई कसर नही छोडी है। वो भी आज टिकिट के लिये चक्कर लगा रहे हैं। उनका हक भी बनता है टिकिट के लिये लेकिन नेताजी ने एक एक गांव मे लगभग आठ दस लोगो से वादा किया है । शायद अब टिकिट तो सिर्फ खर्चा करने वाले को ही मिलेगा ।
  सरपंच के लिये भी हमारे गाँव मे लिस्ट दिनो दिन लम्बी होती जा रही है मुझे तो लग रहा है कहीं चुनाव आने तक मतदाताओं से ज्यादा  सरपंच खड़े ना हो जाये । लेकिन बहुत से भावी सरपंच  गांव के विकास और गरीब के लिये अपने द्वारा किये गये कार्यों  के आधार पर नही है बल्कि जातीय समीकरण के आधार पर या पैसों के बल पर चुनाव की तैयारी कर रहे है । वो बिलकुल गलत है । गाँव के विकास के लिए सरपंच का बहुत बड़ा योगदान रहता है।   लेकिन अधिकतर  भावी उम्मीदवारों को सरपंच की जिम्मेदारी व अधिकार का पता तक नहीं होगा, वो सरपंच पद को सिर्फ भ्रष्टाचार कर पैसा कमाने का जरीया मानते हैं । और शायद यही होता आ रहा है ।
इनमें कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिनको हमने  योगदान देकर जिताया और कुछ हारे लेकिन वे कभी भी ना तो गरीब के साथ खङे दिखाई नही दिये,ना ही किसी गरीब पारिवार की मदद की है ।
ना ही कभी सरकारी स्कुलो की बेहतरी के लिए बोले ,कभी गांव की गालियों की सडक  व बिजली -पानी पर बोले  या गांव में कोई गलत काम होता है तब भी नहीं बोले। जो लोग चन्द रुपयो के लिये बिक जाते है ।
कभी गांव में किसी गरीब के घर पर जब पुलिस आकर उन्हें परेशान करे तब वे अपना मुंह मोड़ लेते है। या फिर जो खर्चा करता है उनका साथ दे देते है । चाहे वो गलत ही क्यो ना हो ।  फिर गांव वाले जाए भी तो कहाँ जाये ,   चन्द पैसो के लालस मे चुनाव के चक्कर में वो गाँव के  व्यक्तियों से भी अनबन कर बैठते है।
और सरकारी सहायता को योग्य व्यक्ति को ना मिल के सम्पन्न  व्यक्ति को दिलवा देते है,
गरीब बिसारा देखते ही रहता है । ना कभी गरीबो कर्ज माफ करवाया गया।
अब  जिम्मेदारी हम सब जागरूक सिनली ग्रामवासियों की बनती है कि गाँव मे योग्य  सरपंच  चुनने मे लोगो को जागरुक करे ताकि  सरपंच वो बने जो गाँव को अपना घर मानकर काम करे जो गाँव के विकास  मे योगदान दे और ग्रामवासियो को शिक्षा और रोजगार व राहत प्रदान करने मे समय व  सहयोग दे  सके । अगर हम भावी सरपंच से  खर्चा करवाकर सरपंच बनायेंगे तो विकास की आशा कभी नही करे । क्योकि वो तो पाँच साल खर्चा वसूलने मे ही लगा रहेगा ।
अब फैसला आप सब ग्रामवासियो को खुद करना है कि किसको सरपंच व वार्डपंच  चुनना है । और किसको नहीं ? 
गुमनाराम पटेल सिनली

                    

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