सिनली
।। राम राम सा ।। झुर झुर रोवै रुँखङा, रोवै धरा पाषाण। एक र पाछो आवजो राजस्थानी भाण। के दिन. हा केवल वे जद करता किरसाण भुलो ना भुलीजे , राखु हिरदे मे पॆछाण जय जय मारो प्यारो प्यारो राजस्थान
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