1. कैयां बेरो पड़ै की मतीरो पाच्गो/पाक्गो ?
जद मतीरा रो रंग पिंदा सूं पीलो सो पड़ ज्याय अर् बीको सूत(नाळ/तांतो) सूख ज्याय अर् ठोलो मारां जद ठन ठन री उवाज करबा लाग जावे जन मानल्यो की इको लम्बर आयगो !
आजकाल तो बेचबा आळा चाकू सूं च्यार कूंट को कूक्लो काड अर् भी चखावे हैं..
2. मतीरा न कैयांवणु काटणु चाहीजै ?
मतीरा न आडो काटणु चहिजे, काटबा को जुगाड़ न होवे जद कुहनी की देयर फोड़ नाखो !
3. मतीरा कतरा भांत का हूवैं हैं ?
भांत भी कई भांत की होवे है :
आकृति – गोळ, लांप
आकार – ढबल॒डी, बिल्डो
सतह – हरी धारी, छीमकाळो, धोळो
मांय सूं – लाल गिरी को, धोळी गिरी को, भुरभुरा, भरवां
स्वाद – मीठो, फीको, काचो
बीज – काळा बीज को, धोळा बीज को, भूरा बीज को
4. मतीरा का कुण कुणसा भाग हूवैं हैं ?
फोड़े जद बण ज्याय - खपरीया
काटता ही दो – ढबरीया.. बाने काट्यां सिपळिया
आंके अलावा मांय हुवे है गिरी अर् बीज
5. मतीरो और काई काई काम म् आवै ?
मतीरै रै काचै फळ नै लोइयो कैवै अर ईं री सबजी घणी सवाद बणै।
ढांढां न घाल देओ, बीज आगली साल बाबा म अर् बीजा न भून क भी खाया जावे.
जद दीवाळी रो त्यूंहार आवै जद लिछमी पूजा करे अर् इण मतीरै री गिरी निकाळ'र इण में बेजका कर देवै अर रात रै टेम टाबर इण में दीवो मेलै जद ओ सरूप घणू लागे.
होळी मंगळावै जद ईं नै होळी री झळ मांखर काढै तो आगली साल नाज जोरको होवे.
मतीरा में प्रति आक्सीकारक, एंथोसाइनिन, काक्सी-2 प्रतिरोधी, केरोटीन, ग्लूकोसाइडस, एल्कोलोइडस रसायन मिलते हैं।
6. मतीरा क ठोल्या मारबा को चक्कर काई है ?
अनुभवी ताऊ तो ठोल्या मार अर् मतीरा की ठन ठन उवाज सूं ही बेरो पाड़ लवें की कसोक निकल्सी मांय !
7. मतीरे की लड़ाई कठे हुई ?
बीकानेर और नागौर रियासतों के बीच एक अजब लडाई लड़ी गयी थी. एक मतीरे की बेल बीकानेर रियासत की सीमा में उगी किन्तु नागौर की सीमा में फ़ैल गयी. उस पर एक मतीरा यानि तरबूज लग गया. एक पक्ष का दावा था कि बेल हमारे इधर लगी है, दूसरे का दावा था कि फ़ल तो हमारी ज़मीन पर पड़ा है. उस मतीरे के हक़ को लेकर युद्ध हुआ. इतिहास में इसे "मतीरे की राड़" के नाम से जाना जाता है.
देवलियों पर उत्कीर्ण इबारत के मुताबिक यह लड़ाई विक्रम संवत् 1600 आसोज सुदी चौदस को हुई थी।
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