एक बार शहर की मोकळी पढ़ेड़ी बीनणी पैली चोट सासरे आई...
तो बीकि सासु दिन उगे ई बोली -
'ये बीनणी जा भैंस न फूस घाल्या'....
बीनणी गयी..
बा देख्यो की भैंस तो उगाळी करबा क लूम री ही अर मुंडा म "झाग" सा आ रिया हा !
जको बा तो, बा पगां ही पाछी आयगी...
सासु पुछ्यो की घाल आई के ?
बीनणी बोली -
"सासु जी भैंस अभी खाना नहीं खाएगी,
.... अभी तो वो मंजन कर रही है"
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