आप बसों परदेस में, बिलखु थां बिन राज
सूख गयी रागनी, सुना पड्या म्हारा साज।।
देस दिशावर जाय कर धन है खूब कमाया !
घर आँगन ने भूलगया ,वापिस घर ना आया।।
पापी पेट रै कारन छुट्या घर और बार ।
कद आवोगा थे पिया,बिलख रही घर री नार ।।
बिलख रही घर री नार, जाव रतन चौमासौ।
न चिठ्ठी- न सन्देश मत करो म्हासु तमासौ।।
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