मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

"बिलखती नार"

आप बसों परदेस में, बिलखु थां बिन राज सूख गयी रागनी, सुना पड्या म्हारा साज।। देस दिशावर जाय कर धन है खूब कमाया ! घर आँगन ने भूलगया ,वापिस घर ना आया।। पापी पेट रै कारन छुट्या घर और बार । कद आवोगा थे पिया,बिलख रही घर री नार ।। बिलख रही घर री नार, जाव रतन चौमासौ। न चिठ्ठी- न सन्देश मत करो म्हासु तमासौ।।

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