।। राम राम सा ।।
मित्रो काफी दिनों से मै कुछ राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों की अलग अलग पोस्ट को ध्यानपूर्वक देख रहा हूं, और इसको पढकर निष्कर्ष करने के बाद जो मै लिखने जा रहा हूं वो शायद बहुतों मित्रो को अच्छा नहीं लगेगा, शायद मुझे "अंध भक्त" के सीवाय और भी बहुत कुछ कहेंगे पर मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता है जो चाहे कह सकते हो
यदि हम हिन्दू एकत्रीकरण के इतिहास को देखें तो यह राम जन्म भूमि आंदोलन के वक़्त हुआ था, हां... यह बीजेपी के लिए राजनैतिक सफलता थी, इस आंदोलन ने हिन्दुओं को नई उम्मीद दी और इसके साथ कई अन्य उम्मीदें जुड़ी, कभी कभी इस विचारधारा को मानने वाले भी सत्य से कोसो दूर दिखाई पड़ते है....
जब अटल बिहारी बाजपेई जी सत्ता में थे तो वह गठबंधन सहयोगियों की दया पर थे, कहने का मतलब है कि पूर्ण बहुमत से सत्ता में नहीं थे, लोग कहते है कि नरेंद्र मोदी जी राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश क्यों नहीं ले आते?? निश्चित ही यहां कुछ समस्याएं है, यदि वर्तमान सरकार ऐसा कर भी देती है उसके बाद याद कदा यदि यूपीए सरकार सत्ता में आ गई तो वह भी इसी तरह अध्यादेश लाकर राम जन्म भूमि को मस्जिद की भूमि घोषित कर देगी तब क्या करेंगे आप?? क्युकी आप तो जानते ही है कांग्रेस मुस्लिमो की पार्टी है, राम मंदिर के खिलाफ कांग्रेस के वकील सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे है, कांग्रेस ने ही राम के काल्पनिक होने का एफीडेविट दिया था, वो कांग्रेस ही थी जो राम सेतु को तोड़ना चाहती थी...
ऐसी बड़ी समस्याओं/मुद्दों के लिए एक योजनाबद्ध रणनीति होनी चाहिए, क्या हम न्यायपालिका से किसी भी प्रकार के समर्थन कि उम्मीद रख सकते है? जब एक ओर शहरी माओवादी/नक्सलवादी और आतंकवादीयों के प्रति सहानुभूति रखने वालों की सुप्रीम कोर्ट में 2 घंटे के भीतर सुनवाई मिल जाती है, देशद्रोहियों को बेल मिल जाती है?? परन्तु राम मंदिर पर फैसला कई वर्ष बीतने के बाद भी नहीं आता, तारीक पर तारीक आगे बढ़ा दी जाती है...
क्या मोदी सरकार के पास न्यायपालिका में व्याप्त कांग्रेसी मानसिकता को समाप्त करने का कोई तरीका है?? नहीं... सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे नियुक्त किए जाते है?? यह तो आप जानते ही होंगे..?? खुद के द्वारा... क्या होगा यदि कोलेजियम कांग्रेस का समर्थन करने वाले लोगों को चुने?? कुछ भी नहीं किया जा सकता... वे पहले से ही नियमों में छेड़छाड़ कर चुके हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यायपालिका तंत्र में कभी कोई राष्ट्रवादी विचारक (राइट विंग) नहीं घुसने पाए...
ऐसी परिस्थितियों में, राष्ट्रवादियों के लिए नरेंद्र मोदी ही एक आशा की किरण है, इन सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है, हिन्दुओं का संगठित रहना और नरेंद्र मोदी जी का अधिक से अधिक समय तक पूर्ण बहुमत से सत्ता में बने रहना... विपक्ष यह बात अच्छी तरह से जानता है कि हिन्दुओं में फूट डालकर ही सत्ता हासिल की जा सकती है, इसीलिए विपक्ष सवर्ण दलित, पेट्रोल प्राइस, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन इत्यादि मुद्दों को बढ़ावा दे रहा है और हमें आपस में लड़वा रहा है, एकीकृत हिन्हुओ में फुट डाल रहा है, इसके लिए विपक्ष न्यायपालिका, एनजीओ इत्यादि का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है...
क्या राइट विंग (राष्ट्रवादी हिन्दुओं) को समेकित बल के रूप में अपनी शक्ति का एहसास हुआ है?? अफसोस अभी तक नहीं हुआ... कुछ को सस्ता पेट्रोल चाहिए, कुछ एससी एसटी एक्ट को बने रहने देना चाहते है तो कुछ इसमें बदलाव चाहते है, कुछ को आरक्षण चाहिए तो कुछ आरक्षण के खिलाफ है। भारत के अस्तित्व के लिए, हिन्दुओं के अस्तित्व के लिए हम आपस में यूं ही लड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते है, हिन्दुओं की संगठित रहने में ही भलाई है, और संगठित रहना ही होगा...
इसको इस प्रकार से समझिए, हम सदियों से अंग्रेजो, विदेशी आक्रांताओं और पश्चिमी विचारधारा वाली कांग्रेस की गुलामी से बाहर आने का इंतजार कर रहे थे, अब जा कर हमें इस दासता से छुटकारा मिला है, इसलिए हमे नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सत्ता को बनाए रखना होगा, क्युकी नरेंद्र मोदी जी को सबक सिखाने से आपको कुछ नहीं हासिल होगा, मोदी जी का कुछ नहीं बिगड़ेगा क्युकी उनको सत्ता की लालच नहीं है, परन्तु हां भारत एक मौका अवश्य खो देगा, हिन्दू हिंदुत्व को बचाने का अंतिम मौका अवश्य खो देगा...
एक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने में सदियां लगती है, हकीकत में कांग्रेस ने इस पारिस्थितिकी तंत्र को नहीं बनाया है, कांग्रेस को अंग्रेजो से यह तंत्र विरासत में मिला, अंग्रेजो को यह तंत्र मुगलों से विरासत में मिला, यह ऐसे ही चलता चला आ रहा था, इसी सम्पूर्ण लचर सिस्टम को समाप्त करना है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी यह काम बखूबी कर रहे है, हमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर भरोसा रखना ही होगा....
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