गुरुवार, 31 जनवरी 2019

सहस्त्र लिंगा सिरसी


।। राम राम सा ।।
मित्रो आज कर्नाटक के  सिरसी शहर के पास मे शलमाला नदी के एक प्रसिध स्थल सहस्त्र लिंगा मे शिवलिंग के दर्शन किये वहाँ बने शिवलिंगो पर नदी के पानी से अपने आप जलअभिषेक  होता है  शलमाला नदी में एक साथ सैकड़ों शिवलिंग बने हुए हैं। इन सभी शिवलिंगों की एक खासियत है कि ये नदी के बीचों बीच बने हुए हैं। नदी के बीच में उभरी हर चट्टान पर शिवलिंग बना हुआ है। इसके साथ ही आस-पास की चट्टानों पर भी शिव परिवार, नंदी तथा सांप की मूर्तियां भी  बनी हुई हैं
घने जंगलों के बीच से होकर बहने वाली शलमाला नदी दूर से बिल्कुल शांत सी बहती दिखाई देती है।
यहाँ पर महाशिवरात्रि मे इन नदी किनारें हजारों शिवभक्त यहां पूजा-अर्चना करने के लिए एकत्रित होते हैं और भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। आसपास हरियाली और शांति होने के कारण यह कर्नाटक घूमने आने वाले वाले पर्यटकों के भी आकर्षण का केन्द्र है।  वहाँ कि कुछ बाते भी हमे असंभित करती है कि बहते पानी मे ये सेन्कडौ शिवलिंग कैसे बनाये होंगे
वहाँ के लोग कहते हैं कि सिरसी के  राजा सदाशिवराज ने 16 वी शताब्दी मे  यहां पर एक हजार शिवलिंग का निर्माण कराया था



सोमवार, 28 जनवरी 2019

गठबंधन की चक्कर

गठबंधन सरकार 2019

#गठबंधन#
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शंख बजा है महा समर का, वीरों की मच धूम रही..
धूर्त लोमड़ी लिए निमंत्रण, जंगल जंगल घूम रही..

सांप, नेवले, बंदर, भालू, राग भैरवी गा बैठे..
एक सिंह से डरकर सारे, इक पंगत में आ बैठे..

इसीलिए सबसे कहता हूं,सोच समझकर आना है....
हमको अपने सपनों वाला हिंदुस्तान बचाना है.....

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एक, वंश का ध्रुव सितारा, केवल बांह चढ़ाता है..
देखो भैया-देखो भैया कहके क़दम बढाता है..

वो हरदम नौटंकी करता, करता नहीं हारता है..
उसे वोट क्या देना जो संसद में आंख़ मारता है..

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एक शख़्स ऐसा है जिसमें संस्कार का नाम नहीं..
टोंटी चोरी, छीना,झपटी सिवा कहीं कुछ काम नहीं..

इसको अपना चाचा, ताऊ, भाई, कोय नहीं भाया...
ये शातिर तो वृद्ध पिता की साइकिल तक छीन लाया...

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एक भुवाजी बिना तवे के अपनी रोटी सेक रही..
लोग रात को सपने देखे, ये दिन में ही देख़ रही..

भ्रष्टाचारी नक़दी पाकर अटल अड़ी है छाती पर..
जातिवाद का झंडा लेकर, ख़ड़ी हुई है हाथी पर..

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एक "आप" का ढ़ोंगी चहरा मफ़लर बाज शिकारी है..
येन-केन-प्रकरेण चाहता, वोटों का व्यापारी है..

अन्ना के सिद्धांत सभी अब उसको सपने लगते हैं...
भारत राष्ट्र तोड़ने वाले, उसको अपने लगते हैं...

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एक मुई कलकत्ते वाली रातों में भी जगती है..
बंग्लादेसी घुसपैठी की असल भुवाजी लगती है..

वो यदि दिल्ली आय गई तो, नीयत साफ़ जना देगी..
पूरा भारत देश हमारा, बंग्लादेश बना देगी..

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इसीलिए कहता हूं सबसे ध्यान लगाकर बात सुनो..
सिर्फ़ नहीं है मेरे, पूरे भारत के जज़्बात सुनो..

वोट उसे दो जिसके आगे हर दुश्मन थर्राता है...
वोट उसे दो जिसका चर्चा परदेसों तक जाता है...

वोट उसे दो जिसने ताक़त का प्रयोग भरपूर किया..
पाकिस्तानी हुक्कामों को झुकने पर मजबूर किया..

वोट उसे दो जिसके कारण उत्पाती भय खाते हैं...
रोज़ जनाज़ा उठता है,आतंकी मारे जाते हैं...

वोट उसे दो जिसके कारण भारत का बल जाग गया..
डोकलाम से पूंछ दबाकर,धूर्त चायना भाग गया..

वोट उसे दो जिसकी ताक़त सकल विश्व पहचान रहा...
अमरीका भी हाथ जोड़कर जिसको जीजा मान रहा...

सोन चिरैया के स्वरूप को अब फ़िर से चमकाना है
हमको अपने सपनों वाला हिंदुस्तान बचाना है.....

ज्वारे का जूस


ज्वारे का जूस.
ये सिर्फ जूस नहीं परफेक्ट औषधि है ,क‌ई असाध्य रोगों का इलाज है खास कर खून की कमी वाले लोगों के लिए ब्लड यूनिट का काम करता है इसलिए इसको "ग्रीन ब्लड" कहते हैं।इसको बनाना बहुत आसान है,,घर में ही ट्रे,गमला, मिट्टी या प्लास्टिक के कुंडिए में गेंहू को उगाकर लगभग सात दिन के ज्वारे का हरा जूस सुबह खालीपेट पीना इतना गुणकारी है कि हमारे शरीर में खून की कमी को पूरा कर हीमोग्लोबिन को उच्चतम स्तर तक बढा देता है। कोई बीमार है तो पिलाइए और आप स्वस्थ हैं तो भी पीजिए क्योंकि हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा ही कार्यक्षमता तय करती है। जितना ज्यादा  हीमोग्लोबिन होगा उतने घंटे बिना थके आराम से काम कर सकते हैं। वाकई ये ज्वारे का जूस इतना इफेक्टिव है कि किसी को कोई भी बीमारी हो, शरीर बिल्कुल कमजोर हो गया हो, कोई दवाई काम नहीं कर रही हो, तो उसको  महीने भर सुबह शाम खाली पेट ये ग्रीन जूस पिला दीजिए। 10 दिन बाद ही चमत्कारिक चेंज नजर आएगा और 1 महीने बाद तो आप ही नहीं डॉ. भी हैरान रह जाएंगे कि ये वही मरीज है,, इसलिए हमारे सांस्कृतिक धार्मिक मान्यताओं में भी ज्वारे को हर शुभ काम में सम्मिलित किया गया है,, विश्वास न हो तो गूगल पर सर्च कीजिए,,बाजार में व्हीट ग्रास पैकिंग बिकता है,, मैं ये सब आपको इसलिए बता रहा हूं ये अनुभव मेरा खुद का है जब कुछ साल पहले पिताजी के ऑपरेशन के बाद स्थिति बिगड़ गई थी और लगातार बुखार व हिमोग्लोबिन की अत्यधिक कमी,,क‌ई यूनिट ब्लड और 36 यूनिट प्लाजमा चढाने और डेढ महीने एडमिट रखने के बाद डॉक्टरों ने हाथ झटक दिए कि अब कुछ नहीं हो सकता,, हॉस्पिटल से घर आ गए,,उस दौरान मैंने ये ज्वारा जूस के असाधारण गुणों के बारे में पढा था,,आयुर्वेद पे इंटरेस्ट था तो  हमने ये जूस रेग्युलर सुबह शाम पिलाना शुरू किया,,और इस ग्रीन ब्लड का चमत्कार देखिए कि खुद उठने की स्थिति में नहीं थे और अब कुछ दिनों में ही तेजी से सुधार होने लगा,,और फिर हम वापस सिर्फ दिखाने के लिए हॉस्पिटल ग‌ए, हिमोग्लोबिन टेस्ट करवाया तो डॉ.भी हैरान,, हिमोग्लोबिन 10.5 आया,वे डॉक्टर जिन्होंने जिसके अब तक दिन बीत जाने की सोची थी वो ही इंसान उनके सामने बिना सहारे चल के आ रहा है,,ये कैसे हुआ,,हमने बताया ये ज्वारे के जूस का कमाल है और उन्होंने माना,,उसके बाद से हर साल हम ये ज्वारा उगा कर जूस सभी पीते हैं,,आज ये वाकया इसलिए याद आया और आपके साथ शेअर करने का सोचा कि तीन दिन से अपने गांव में चल रहे RSETI कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में कल खेती की बातों के साथ विशेषज्ञ डॉ श्याम लाल हर्ष किसानों को ज्वारे के जूस का महत्व बता रहे थे,,हम पहले से कर रहे हैं उनको पता चलने पर फिर वो अपने घर आए और हमारे जैविक खेती सिस्टम के साथ ज्वारे का स्टेंड  देखा और बातों बातों में उन्होंने भी कहा कि हमारे साथ भी ऐसा ही अनुभव हो चुका है,, उनके नजदीकी रिश्तेदार को भी बीमार होने पर डॉक्टरों ने काफी डरा दिया,,क‌ई तरह के टेस्ट के बाद ब्लड चढाया, रोज अनेकों टेबलेट्स, इंजेक्शन वगैरह के साथ अनेकों हिदायतें,, हमेशा कुछ दवाइयां लेते रहना होगा,, रिश्तेदारों की तरह तरह की  सलाह दिल्ली ले जाइए, अहमदाबाद जाइए,,फिर इन्होंने भी मिली जानकारी से ज्वारे उगाए और जूस पिलाना शुरू किया,,और वाकई अभी उनकी सभी दवाइयां बंद है और ज्वारे के साथ गाजर, टमाटर, चुकंदर,पालक का मिक्स जूस पिलाते हैं,,और स्वस्थ जिंदगी फिर से,,आप सबके साथ ये लंबें और ऊबाऊ अनुभव शेअर करने का मकसद यही है कि प्रकृति ने हमें स्वस्थ रखने के लिए इतनी सारी चीज़ें उपलब्ध कराई है तो क्यों ना हम सब इसका लाभ उठाएं,, ऐसे आसान और फ्री में उपलब्ध इतनी गुणकारी चीज का लाभ हर घर तक पहुंचे,,हालांकि मार्केट में यही डिब्बा बंद व्हीट ग्रास 500 सौ रूपए तक में उपलब्ध है,, इसके कैप्सूल भी बिकते हैं,,मगर हम क्यों खरीदें जब घर पर इसको बिल्कुल आसानी से बना सकते हैं, अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी है तो आप लगाइए ज्वारे,, पीजिए और पिलाइए,, और स्वस्थ जिंदगी का लुत्फ उठाइए

थोड़ी सी जिन्दगानी मे

।। राम राम सा ।।
आंख्यां मीच अपुठो दोङै, लारै खाडा कावळ है,
सावचेत हु पग धर करणी, कोनी ठीक ऊतावळ है,
सोने रा डूंगर मत जाणी, अळगा जितरा सावळ है,
चेत रेत में रळ जावेला, तिलक माथला चावळ है,
नदी किनारे पांव पसारया, रीजे मत न भोळे में,
है कितनी औकात बावळा, जासि पैल हबोळै में,
बिरथा गाल बजावे झूठा, फ़स कर झामरझोळै में,

अधबीच रामत छोड़ अधूरी,
पलक झपे उठ जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
हाथ मसळतो रह जावेला,
कीं नीं आणी जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,

बङसी कुणसी जाय बाङ में, लुकसी कुणसी खाळी में,
हीयै माहीं फेर कांगसी, आसी अटक दंताळी में,
भौ भौ भटक बारणै आयो, रह्ग्यो करम खुजाळी में,
ठाणे पूग भुंवाळी खाई, फंसग्यो फेर पंजाळी में,

लख चौरासी फिरौ भटकता,
फेर पिलिज्यो घाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
काया- माया बादळ छाया,
खोज मिटे ज्यूँ पाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,

माया - मद में भूल मति मन, रहणो ठौङ ठिकाणे में,
पाव रति सारो नी लागे, आयां पछै निसाणै में,
घाणी - माणी खींचा - ताणी, जीवण जग उळझाणै में,
चेत मुसाफिर कीं नीं पङियो, गांठा घणी घुळाणै में,

कुण जाणे किण टेम बुलावो ,
आ जावे अणजाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
काया- माया बादळ छाया,
खोज मिटे ज्यूँ पाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में, —

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

गहने और विज्ञान

    राम राम सा
।। शुभ संध्या ।।
हिंदू महिलाओं में कलाइयों में चूड़ियां पहनना, पैरों में पायल पहनना, माथे पर बिंदी, नाक में कील, गले में मंगलसूत्र आदि पहनना कई लोगों को फैशन से ज्यादा कुछ नहीं लगता होगा। यहां तक कि इन्हें अपने बुजुर्गों के कहने पर धारण करने वाली महिलाएं भी इन्हें बोझ या फैशन समझकर पहन लेती हैं। लेकिन, सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियां, लौंग और पायल इन सबसे जुड़ा विज्ञान कम ही लोग जानते हैं। आइए जानें...
1⃣सिंदूर लगाने के पीछे क्या है विज्ञान : सदियों से विवाहित हिंदू महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती रही हैं। सिर के बालों के दो हिस्से(parting)में सिंदूर लगाया जाता है। इस बिंदु को महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जाता है। इस जगह सिंदूर लगाने से दिमाग हमेशा सतर्क और सक्रिय रहता है। दरअसल, सिंदूर में मरकरी होता है जो अकेली ऐसी धातु है जो लिक्विड रूप में पाई जाती है। यही वजह है कि सिंदूर लगाने से शीतलता मिलती है और दिमाग तनावमुक्त रहता है। सिंदूर शादी के बाद लगाया जाता है क्योंकि माना जाता है शादी के बाद ही महिला की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और दिमाग को शांत और व्यवस्थित रखना जरूरी हो जाता है।
2⃣ कांच की चूड़ियां : शादीशुदा महिलाओं का कांच की चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है। नई दुल्हन की चूड़ियों की खनक से उसकी मौजूदगी और आहट का एहसास होता है। लेकिन इसके पीछे एक विज्ञान छुपा है। दरअसल, कांच में सात्विक और चैतैन्य अंश प्रधान होते हैं। इस वजह से चूड़ियों के आपस में टकराने से जो आवाज़ पैदा होती है वह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है।
3⃣ मंगलसूत्र पहनने से जुड़ा विज्ञान : माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से रक्तचाप(ब्लड प्रेशर) नियमित रहता है। कहा जाता है कि भारतीय हिंदू महिलाएं काफी शारीरिक श्रम करती हैं इसलिए उनका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहना जरूरी है। बड़े-बुजुर्ग सलाह देते हैं कि मंगलसूत्र छिपा होना चाहिए। इसके पीछे का विज्ञान यह है कि मंगलसूत्र (उसमें लगा सोना) शरीर से टच होना चाहिए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा असर कर सके।
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4⃣ बिछुआ पहनने के पीछे का विज्ञान : शादीशुदा हिंदू महिलाओँ में पैरों में बिछुआ जरूर नजर आ जाता है। इसे पहनने के पीछे भी विज्ञान छिपा है। पैर की जिन उंगलियों में बिछिया पहना जाता है उसका कनेक्शन गर्भाशय और दिल से है। इन्हें पहनने से महिला को गर्भधारण करने में आसानी होती है और मासिक धर्म चक्र भी नियम से चलता है। वहीं, चांदी(आमतौर पर बिछुआ चांदी की होती है) होने की वजह से जमीन से यह ऊर्जा ग्रहण करती है और पूरे शरीर तक पहुंचाती है।
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5⃣ नाक की लौंग से जुड़ा विज्ञान : नाक में लौंग पहने के पीछे का विज्ञान कहता है कि इससे श्वास को नियमित होती है।
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6⃣ कुमकुम से जुड़ा विज्ञान : कुमकुम भौहों के बीच में लगाया जाता है। यह बिंदु अज्ना चक्र कहलाता है। सोचिए जब भी आपको गुस्सा आता है तो तनाव की लकीरें ङोहों के बीच सिंमटी हुई नजर आती हैं। इस बिंदु पर कुमकुम लगाने से शआंति मिलती है और दिमाग ठंडा रहता है। यह बिंदु भगवान शिव से जुड़ा होता है। कुमकुम, तिलक, विभूति, भस्म सब माथे पर ही लगाए जाते हैं। इनसे दिमाग को शांति मिलती है।
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7⃣ कान में बालियां, झुमके पहनने का विज्ञान : कानों में झुमके, बालियां आदि पहनना फैशन ही नहीं। इसका शरीर पर अक्युपंचर प्रभाव भी पड़ता है। कान में छेद कराकर उसमें कोई धातु धारण करना मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक होता है। शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए सोने के ईयररिंग और ज्यादा ऊर्जा को कम करने के लिए चांदी के ईयररिंग्स पहनने की सलाह दी जाती है। इसी तरह अलग-अलग तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अलग-अलग धातु के ईयररिंग्स पहनने की सलाह दी जाती रही है।
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8⃣ पैरों में पायल पहनने से जुड़ा विज्ञान : चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी, घुटनों के दर्द और हिस्टीरिया रोगों से राहत मिलती है। साथ ही चांदी की पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफी फ़ायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मज़बूती मिलती है।
💐💐💐💐 अपनी धार्मिक संस्करो को हर एक माँ बाप अपने बचो को जरुरु दें।

बेटो बोल्यो , पिताजी ने

सुप्रभातम्.
@@
बेटो बोल्यौ,
"पिताजी"
मैं लव मेरीज करूंला ।
नीतर बैरे बावड़ी पड़ूला ।
पिताजी जमाने नै देख नै डर गिया ।
यूं लागौ जाणै जीवता ई मर गिया ।
पिताजी बेटे नै समझावता बोल्या,
बेटा लव मेरीज में कांई पड़ियौ है?
ब्याव री मौज थूं ले नी सके।
शादी रा कार्ड कीनी दे नी सके।
नानैरा वाला मायरौ भर नी सके।
मेहमानों रौ स्वागत थूं कर नी सके।
"और बेटा"
जो लड़की उण रै मॉ बाप रै,
ईज्जत रा कांकरां कर सके।
वा लड़की कदैई थारा माथा में,
जूता भी धर सके।
इण वास्ते बेटा ऐक ई कायदो है के।
समाज री लड़की लावण में ई फायदो है।
😀

रंगीलो राजस्थान

>>> शुभरात्री। <<<
मानसरोवर सूं उड़ हंसौ, मरुथळ मांही आयौ
धोरां री धरती नै पंछी, देख-देख चकरायौ
धूळ उड़ै अर लूंवा बाजै, आ धरती अणजाणी
वन-विरछां री बात न पूछौ, ना पिवण नै पाणी
दूर नीम री डाळी माथै, मोर निजर में आयौ,
हंसौ उड़कर गयौ मोर नै, मन रौ भेद बतायौ
अरे बावळा, अठै पड़्यौ क्यूं, बिरथा जलम गमावै
मानसरोवर चाल�र भाया, क्यूं ना सुख सरसावै
मोती-वरणौ निरमळ पाणी, अर विरछां री छाया
रोम-रोम नै तिरपत करसी, वनदेवी री माया
साची थारी बात सुरंगी, सुण सरसावै काया
जलम-भोम सगळा नै सुगणी, प्यारी लागै भाया
मरुधर रौ रस ना जाणै थूं, मानसरोवर वासी
ऊंडै पाणी रौ गुण न्यारौ, भोळा वचन-विलासी
दूजी डाळी बैठ्यौ विखधर, निजर हंस रै आयौ
सांप-सांप करतौ उड़ चाल्यौ, अंबर में घबरायौ
मोर उतावळ करी सांप पर, करड़ी चूंच चलाई
विखधर री सगळी काया नै, टुकड़ा कर गटकाई
अब हंस नै ठाह पड़ी आ, मोरां सूं मतवाळी
मानसरोवर सूं हद ऊंची, धरती धोरां वाळी

राम राम सा


चौकीदार चोर बतलाया,गला फाड़ कर चिल्लाए,
चोर चोर कहते कहते तुम तीन प्रदेश जीत लाये,

मूर्ख जनता बहकावे मैं साथ तुम्हारे चल बैठी,
कुछ जनता नोटा के चक्कर मे खुद को ही छल बैठी,

60 साल का लुटा कृषक बस 4 साल में टूट गया,
गुस्सा सारे नेताओ का भाजपा पर फूट गया,

तुम रफेल और बस रफेल पर भाषण देकर सिद्ध हुए,
घायल तन पर चोंच मारते,अवसरवादी गिद्ध हुए,

तुक्का लगकर जीत गए हो भली तुम्हारी राम करे,
बकरे की माँ कब तक खैर मनाकर के आराम करे,

धीरे धीरे रहो देखते परतें सब खुल जाएगी,
एक साल के अंदर ही सबकी आंखे सब खुल जायेंगी,

रिहा जमानत पर जो राहुल,हरिश्चन्द्र का पौत्र हुआ,
दादा शुद्ध पारसी जिनका बामन उनका गोत्र हुआ,

छद्म विरासत वाले,सच्चाई कमज़ोर बताते हो,
लूट पचाकर पले हुए मोदी को चोर बताते हो,

न्यायालय उच्चतम तुम्हारे सारे भांडे फोड़ गया,
और तुम्हारी ठगी कथाओं में इक पन्ना जोड़ गया,

पांच साल में इक रफेल का घोटाला ही पकड़ सके,
और इसी का मुद्दा लेकर मोदी पर तुम अकड़ सके,

न्यायालय ने दूध दूध,पानी का पानी कर डाला,
सौदा शुद्ध रफेल हुआ शुचिता का सानी कर डाला,

अब राहुल चुल्लू भर पानी ले कर उसमें डूब मरो,
इक त्यागी को चोर बताया,शर्म बची तो शर्म करो,

बकते जाओ,मोदी को शिकवा है नही बकैतों से,
भारत माँ का सच्चा सेवक डरता नही डकैतों से,

मैं लेखन की सच्चाई का छोटा सा परवाना हूँ,
भाजप्पा का भक्त नही हूँ,मोदी का दीवाना हूं

ईमानों पर तंज कसोगे,कमर तुम्हारी तोड़ेगी,
मोदी को बदनाम करोगे,कलम न तुमको छोड़ेगी,

जिनकी रक्त धमनियों में ही रक्त मिला है गोरों का,
वंश लुटेरों का है,उनका पूरा कुनबा चोरों का,

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

हम वो आखिरी पीढ़ी है

।। जय श्री कृष्णा ।।
*👍🏻👍🏻हम वो आखरी पीढ़ी  हैं जिन्होंने -*
कई कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनी

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने -*
जमीन पर बैठ कर खाना खाया है,  प्लेट में चाय पी है।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने -*
बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली डंडा, छुपा छिपी, खो खो, कबड्डी कंचे.. जैसे खेल खेले ।

*👍🏻👍🏻 हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं जिन्होंने -*
कम (या बल्ब की पीली)  रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं।

*👍🏻👍🏻हम वही पीढ़ी के लोग हैं जिन्होंने-*
अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं ।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं जिन्होंने -*
कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने -*
अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा  तेल लगा  कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं जिन्होंने-*
स्याही वाली  दवात या पेन से कॉपी,  किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये।

*👍🏻👍🏻 हम वो आखरी लोग हैं जिन्होनें-*
टीचर्स से मार खाई है।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जो-*
मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देखकर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने -*
अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगाकर चमकाये हैं।

*👍🏻👍🏻हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने -*
गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर  शेव बनाई है।  जिन्होंने गुड़  की चाय पी है । काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर ही इस्तेमाल किया है।

*👍🏻👍🏻हम निश्चित ही  वो आखिर लोग हैं जिन्होंने-*
चांदनी रातों में रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो जैसे  प्रोग्राम सुने हैं।

*👍🏻👍🏻कभी वो भी ज़माने थे-*

उस दौर के लोग बेशक़ ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते थे, उन लोगों के घर भले ही पक्के और  ऊंचे नहीं होते थे। मगर क़द में वो आज के इंसानों से कहीं ज्यादा बड़े हुआ करते थे।

अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता और अकेलेपन, व निराशा,  में खोते जा रहे हैं 🤔🤔

*हम ही वो खुशनसीब लोग हैं जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है।*

रविवार, 20 जनवरी 2019

मेरे देश के लोग

मेरे देश के लोग:

GDP नहीं जानते
प्रति व्यक्ति आय नहीं जानते
फिस्कल डेफिसिट नहीं जानते
करंट अकाउंट डेफिसिट नहीं जानते
भुगतान संतुलन नहीं जानते
मुद्रास्फीति नहीं जानते
सब्सिडी का अर्थशास्त्र नहीं जानते
मुफ्त में बटने वाली चीजों का पैसा कौन देता है? नहीं जानते
भारत का टैक्स स्ट्रक्चर नहीं जानते
आर्थिक विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर की भूमिका नहीं जानते

लेकिन:

मुफ्त का लैपटॉप जानते हैं
मुफ्त की टीवी जानते हैं
मुफ्त का मंगलसूत्र (तमिलनाडु) जानते हैं
कर्ज माफ़ी जानते हैं

और:

ये जानते हैं कि किसको जिताने से उनकी जाति या धर्म का 'भला' होगा!

अनपढ़ बहु और पढ़ी लिखी बहु

इस बात को
गांठ में बांध लें..👇👇
गठीला शरीर
स्मार्ट व्यक्तिव
गोरा रंग
आदमी की लम्बाई
हैंडसम लुक
इन बातों से
पत्नी को कोई मतलब
नहीं होता क्योंकि,
रितिक रोशन की
पत्नी उसे छोड़ ग‌ई,
लेकिन लालू की पत्नी उसके लिए
पूजा-पाठ कर रही है..! 😂😂

आखिर फर्क कहाँ है ?

एकता की ताकत


आज एक नई सीख़ मिली
जब अँगूर खरीदने बाजार गया ।
पूछा “क्या भाव है?
बोला : “80 रूपये किलो ।”
पास ही कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे ।
मैंने पूछा: “क्या भाव है” इनका ?”
वो बोला : “30 रूपये किलो”
मैंने पूछा : “इतना कम दाम क्यों..?
वो बोला : “साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!!
लेकिन … अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।”

मैं समझ गया कि … संगठन…समाज और  परिवार से अलग होने पर हमारी कीमत……आधे से भी कम रह जाती है ।

भारत के किसानो का दर्द

भारत के किसानो का दर्द
स्कूल प्रिंसिपल ने बहुत ही कड़े शब्दों मे जब किसान की बेटी ख़ुशी से पिछले एक साल की स्कूल फीस मांगी ,तो ख़ुशी ने कहा मैडम मे घर जाकर आज पिता जी से कह दूंगी , घर जाते ही बेटी ने माँ से पूछा पिता जी कहाँ है ? तो माँ ने कहा तुम्हारे पिता जी तो रात से ही खेत मे है बेटी दौड़ती हुई खेत मे जाती है और सारी बात अपने पिता को बताती है ! ख़ुशी का पिता बेटी को गोद मे उठाकर प्यार करते हुए कहता है की इस बार हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है अपनी मैडम को कहना अगले हफ्ता सारी फीस आजाएगी,
क्या हम मेला भी जाएंगे ?? ख़ुशी पूछती है
हाँ हम मेला भी जाएंगे और पकोड़े, बर्फी भी खाएंगे ख़ुशी के पिता कहते है
ख़ुशी इस बात को सुनकर नाचने लगती है और घर आते वक्त रस्ते मे अपनी सहेलियों को बताती है की मै अपने माँ पापा के साथ मेला देखने जाउंगी,पकोड़े बर्फी भी खाउंगी ये बात सुनकर पास ही खड़ी एक बजुर्ग कहती है ,बेटा ख़ुशी मेरे लिए क्या लाओगी मेले से ??
काकी हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है मे आपके लिए नए कपडे लाऊंगी ख़ुशी कहती हुई घर दौड़ जाती है !
अगली सुबह ख़ुशी स्कूल जाकर अपनी मैडम को बताती है की मैडम इस बार हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है ,अगले हफ्ते सब फसल बिक जाएगी और पिता जी आकर सारी फीस भर देंगें
प्रिंसिपल : चुप करो तुम, एक साल से तुम बहाने बाजी कर रही हो
ख़ुशी चुप चाप क्लास मे जाकर बैठ जाती है और मेला घूमने के सपने देखने लगती है तभी
ओले पड़ने लगते है
तेज बारिश आने लगती है बिजली कड़कने लगती है पेड़ ऐसे हिलते है मानो अभी गिर जाएंगे
ख़ुशी एकदम घबरा जाती है
ख़ुशी की आँखों मे आंसू आने लगते है वोही डर फिर सताने लगता है डर सब खत्म होने का , डर फसल बर्बाद होने का ,डर फीस ना दे पाने का ,स्कूल खत्म होने के बाद वो धीरे धीरे कांपती हुई घर की तरफ बढ़ने लगती है। हुआ भी ऐसा कि सभी फसल बर्बाद हो गई और खुशी स्कूल में फीस जमा नही करने के कारण ताना सुनने लगी।
उस छोटी सी बच्ची को मेला घुमने और बर्फी खाने की शौक मन में ही रह गई।
छोटे किसान और मजदूरों के परिवार में जो दर्द है उसे समझने में पूरी उम्र भी गुजर जाएगी तो भी शायद वास्तविक दर्द को महसूस नही कर सकते आप।।।
भारत के आम किसान का वास्तविक दर्द यह है।