बुधवार, 16 मार्च 2016

थोडा हंस लो 1

आई एम खेजङी कटारा ! मजदूरी :- 750* रीपीया रोकड़ी l * - अगर कोई न लागै है की मैं 750 रिप्या म टेम पास करूँ हूँ तो खेजड़ी का हिसाब सूं पिसा लगा लेस्यां ( एक खेजड़ी काटबो - 100 रिपिया, काटबो + गेरबो - 150 रिपिया) अन्य इच्छित सुविधा :- चोपड़ेडि रोटी, मिराज पुड़िया,गणेश खैनी, बीड़ी बण्डल ,4 चाय भरेङो गिलास विद एक्स्ट्रा चीणी टेमूटेम और शाम को एक पायो देशी को गंडासी मेरी, निसरणी खेत आले की खेजङी काटने का समय :- 09बजे से 05* बजे तक l * - खेजड़ी का हिसाब सूं पिस्सा लेवांला जद दिन उगे काम चालु करांला और अंधेरो हूबा ताणी लाग्या रेवांला.. थारो पेट बळेलो की 10 खेजड़ी काट नाखी.. पण बात खेजड़ी पर पिस्सा की हॉवे जद म्हे काम फटाफट करां.. दिन की दिहाड़ी पर तो होळे होळे ही करणु पड़ै मोबाइल नम्बर :- भुगाना काका कन सूं लेल्यो । खेजङी काटनी होवै तो 5 दिन पैली बतावै l विशेष सूचना :- खेजङी पैली कटगी तो रोहिड़ा,झाड़ी कोनी काटूंला l # खेजड़ी काटना - वार्षिक रूप से उसकी डालियाँ काटना (छांगना) होता है, ना की जड़ से काट देना अगर हर साल खेजड़ी की डालियाँ नहीं काटी जाएँ तो खेजड़ी का पेड़ एक-दो साल में चल बसता है । इसकी डालियाँ ईंधन के काम आती हैं और सूखी पत्तियां बकरियों का फेवरेट आहार होती हैं । डाली कट जाने के बाद वहां से चिकना दृव्य निकलता है जो फिर सूख कर कड़क हो जाता है और इसे गूंद कहा जाता है । आटे, चीनी, देशी घी के साथ इस गूंद को मिश्रित किया जाकर लड्डू बनाये जाते हैं जो अत्यंत ऊर्जा देते हैं और इन्हें गोंद के लड्डू कहा जाता है पुराने ज़माने में हर साल सर्दियों में ऐसे लड्डू बनाये जाते थे और इनका सेवन किया जाता था परंतु आजकल के टाबरों में इन लड्डुओं को पचाने की क्षमता नहीं रही है जो की दुःखद है ।।

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