सोमवार, 21 मार्च 2016

राजस्थानी

दादी ल्याई उँखळी , पाड़ोसीयाँ री जाय ! मोठ बाजरी गौ रांध्यों खिचड़ो , टाबर कूद कूद गे खाय !!गंडकड़ो गोदी में चढ़ग्यो, भैंसी करै जुगाळ । माणसियो माणस रो बैरी, काढ़ै भूँडी गाळ ।। .............................................

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