मंगलवार, 31 जुलाई 2018

आज की बात

।। राम राम सा ।।
मित्रो आज हमारे गाँव मे राजकीय सेवानिवृत्ति की दो अलग-अलग सभाए हुई एक सिनली गावँ  मे तो दूसरी जोधपुर  मे हुई
आज हमारे आदर्श गनायत श्रीमान गोकुल राम जी (काग)पटेल (सिनली)  खनिज विभाग मे उच्चतम आधिकारी से  सेवानिवृत्त होने के अवसर पर  जोधपुर कार्यक्रम हुआ था और दुसरा हमारे फौजी साहब श्रीमान हेमारामजी (काग) army  से सेवानिवृत्त होने पर गाँव मे कार्यकर्म रखा गया था  दोनो सभाए बहुत ही शानदार  रही थी मै तो सभा मे नही जा पाया लेकिन  आजकल  मल्टीमीडिया के माध्यम से सब कुछ सम्भव  हैं  सेवा निवृत होना भी जीवन का बहुत ही बड़ा हिस्सा  है जिसमे इन्होने बड़ी इमानदारी से सेवा दी गई । दोनो भाईयो को मेरी तरफ बहुत बहुत बधाई हो


आप बसों परदेश

।।राम राम सा।।
मारवाडी  कविता 

धोळी-धोळी चांदनी, ठंडी -ठंडी रात।
सेजआ बैठी गोरड़ी,कर री मन री बात ।।
बाट जोवता -जोवता में कागा रोज उडाऊ ।
जे म्हारा पिया रो आव संदेशो सोने री चांच म ढा उ ।।
धोरा ऊपर झुपड़ी,गोरी उडिके बाट !
चांदनी और चकोर को, छुट गयो छ साथ।।
झड़ लागी बरखा की ,टिप -टिप बरसे मेह।
योवन पाणी भिजता, तापे सगळी देह ।।
झिर -मिर मेवो बरसता,बिजली कड़का खाय ।
साजन का सन्देश बिना,छाती धड़का खाय ।।
काली -पीली बादली,छाई घटा घनघोर ।
घर -जल्दी सु चाल री,बरसगो बरजोर ।।
सावन का झुला पड्या,गीतड़ला को शोर ।
नाडी-सरवर लोट रहया,टाबर ढाढ़ा -ढोर ।।
चित उचटावे बीजली,पपिहो बैरी दिन -रैण।
"पिहू-पिहू" बोले मसखरो, मनड़ो करे बैचैण ।।
आप बसों परदेस में, बिलखु थां बिन राज १
सुख गयी रागनी, सुना पड्या महारा साज।।
गरम जेठ रो बायरो,बरसाव है ताप !
ठंडी रात री चांदनी,देव घणो संताप !!
देस दिशावर जाय कर धन है खूब कमाया !
घर आँगन ने भूलगया ,वापिस घर ना आया।।
पापी पेट के कारन छुट्या घर और बार ।
कद आवोगा थे पिया,बिलख घर की नार ।।
बिलख घर की नार, जाव रतन सियालो ।
न चिठ्ठी- सन्देश मत म्हारो हियो बालो ।।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

अब और तब

राम राम सा
मित्रो अब और तब मे फर्क देखिये
         "तब ,,
*एक तौलिया से पूरा घर नहाता था।*
*दूध का नम्बर बारी-बारी आता था।*
*छोटा माँ के पास सो कर इठलाता था।*
*पिताजी से मार का डर सबको सताता था।*
*बुआ के आने से माहौल शान्त हो जाता था।*
*पूड़ी खीर से पूरा घर रविवार व् त्यौहार मनाता था।*
*बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इन्तजार रहता था।*
*स्कूल मे बड़े भाई की ताकत से छोटा रौब जमाता था।*
*बहन-भाई के प्यार का सबसे बड़ा नाता था।*
*धन का महत्व कभी कोई सोच भी न पाता था।*
*बड़े का बस्ता किताबें साईकिल कपड़े खिलोने पेन्सिल स्लेट स्टाईल चप्पल सब से छोटे का नाता था।*
*मामा-मामी नाना-नानी पर हक जताता था।*
*एक छोटी सी सन्दुक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था।*
                        
                   *~~ अब ~~*
N⛪⛩️📦⇑Ή📜⇗⁉️➖x*तौलिया अलग हुआ, दूध अधिक हुआ,*
*माँ तरसने लगी, पिता जी डरने लगे,*
*बुआ से कट गये, खीर की जगह पिज्जा बर्गर मोमो आ गये,*
*कपड़े भी व्यक्तिगत हो गये, भाईयो से दूर हो गये,*
*बहन से प्रेम कम हो गया,*
*धन प्रमुख हो गया,अब सब नया चाहिये,*
*नाना आदि औपचारिक हो गये।*
*बटुऐ में नोट हो गये।*
*कई भाषायें तो सीखे मगर संस्कार भूल गये।*
*बहुत पाया मगर काफी कुछ खो गये।*
*रिश्तो के अर्थ बदल गये,*
*हम जीते तो लगते है*
*पर संवेदनहीन हो गये।*
धन्यवाद

रविवार, 29 जुलाई 2018

अखिल भारतीय आँजणा (पटेल) युवा महासंगठन जोधपुर द्वारा आयोजित विशाल जन चेतना नशा मुक्ति वाहन महारैली

राम राम सा
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भाईयों आज अखिल भारतीय आँजणा (पटेल) युवा महासंगठन जोधपुर  द्वारा आयोजित विशाल जन चेतना नशा मुक्ति वाहन महारैली जोधपुर से शिकारपुरा धाम तक निकाली गई थी  और यह बहुत ही सराहनीय काम किया है सभी का जोश देखकर बहुत ही खुशी हुई भाईयो  आँजणा युवा महासंगठन की नशा मुक्त समाज एवं बेटी बचाओ महारैली जिसमे  हजारो की तादाद मे समाज के युवा बन्धुओ ने भाग लिया साथ ही जगह जगह मार्ग में सभी समाज के द्वारा स्वागत करके युवाओ का हौसला भी बढ़ाया तथा इसे समाज की नशा मुक्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाया । वैसे मुझे तो रैली राजनितिक लग रही थी जो भी हो अच्छे काम की प्रशंसा करनी ही चाहिये ओर वो भी नशा मुक्ति का हो भाईयो तो आज उस रैली से हमारे गनयात पुखराज जी जोधपुर ने कुछ झलकियां भेजी है वो आप देख सकते हैं
नशा करने वाला व्यक्ति तो पहले खुद बर्बाद होता है। फिर अपने परिवार को बर्बाद कर देता है। नशे से तन, मन और धर सब पर असर पड़ता है।  नशा मुक्ति के ऐसे कार्यक्रम में आम लोगों भी आगे आना होगा तभी व्यापक स्तर पर इसका उद्देश्य फलीभूत हो सकता है। नशा के शिकार युवक अपना ही नहीं बल्कि समाज का भी नुकसान करते हैं। इसे हर हाल में त्यागना होगा।
स्वस्थ समाज के लिए नशामुक्ति अत्यंत ही आवश्यक है।जनसमुदाय को नशे से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारीया देकर जीवन में नशे से दूर रहने के संकल्प दिलाना चाहिये । नशे की लत से दूर रहने या नशा मुक्ति के लिए हर व्यक्ति को स्वयं शुरूआत करनी होती है और यह रैली हार साल होनी चाहिये और मात्र  आन्जणा समाज ही नही सभी समाजों को साथ मे लेकर करनी चाहिये । जब कुछ लोग कहते है कि  मृत्युभोज ,शादी ,या अन्य किसी भी प्रकार के कार्यकर्म मे नशा बन्दी हो , ये बात तो ठीक है पर आजकल युवा नोजवान नशे की गिरप्त में ज्यादा है तो उनको समय समय पर जनजागृत करने से नयी पीढ़ी इनकी चपेट से दूर  रहेगी 
विशेष आज की रैली मे करीब 30%  से ज्यादा युवा नोजवानो के गुट्खे से मुहँ भरे हुये थे कोई बात नही एकदम तो कोई भी लत नही छूटती है अगर कोशिश करते रहने से छुट जायेगी
एकबार फिर से सभी युवाओ को धन्यवाद है जिन्होने  अपना कीमती समय  दिया और भव्य आयोजन की शोभा बढ़ाई
गुमनाराम पटेल सिनली


शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

गुरु पूर्णिमा 2018

                                   राम राम सा
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मित्रो आज गुरु पूर्णिमा है
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आप सबको बहुत बहुत  बधाई  मित्रो वास्तविक गुरु वह हाेता है जाे अपने अनुयाइयाें काे परमात्मा मिलन का सच्चा मार्ग दिखाये, ना की स्वयं की पूजा-अर्चना करवायें। जाे गुरु स्वयं की पूजा-अर्चना करवाता हैं वह गुरु नहीं राक्षस(दैत्य) है, वह आपकाे परमात्मा से विमुख(दुर) कर रहा हैं। जबकी एक सच्चा गुरु ऐसा कभी नहीं करता।

मनुष्य कभी किसी मनुष्य का उद्धार(निर्वाण या मोक्ष) नहीं कर सकता, यहा तक कि साधु-संताे का भी उद्धार करने के लिए स्वयं परमात्मा काे आना पड़ता हैं। अर्थात: मनुष्य कभी किसी मनुष्य का उद्धार नहीं कर सकता।
ईश्वर और मानवीय गुरु में सम्बन्ध को लेकर कबीर दास के दोहे को प्रसिद्द किया जा रहा हैं।
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥
गुरुडम कि दुकान चलाने वाले कुछ अज्ञानी लोगों ने कबीर के इस दोहे का नाम लेकर यह कहना आरम्भ कर दिया हैं कि ईश्वर से बड़ा गुरु हैं क्यूंकि गुरु ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताता हैं। मै एक सरल से उदहारण को लेकर इस शंका को समझने का प्रयास करता हुँ । मान लीजिये कि मैं भारत के प्रधान-मंत्री मोदीजी से मिलने  के लिये PMO ऑफिस  गया। PMO  का एक कर्मचारी मुझे उनके पास मिलवाने के लिए ले गया। अब यह बताओ कि   प्रधान-मंत्री बड़ा या उनसे मिलवाने वाला कर्मचारी बड़ा हैं? आप कहेगे कि निश्चित रूप से प्रधान-मंत्री  कर्मचारी से कही बड़ा हैं, प्रधान-मंत्री के समक्ष तो उस कर्मचारी कि कोई बिसात ही नहीं हैं। यही अंतर उस गुरुओं कि भी गुरु ईश्वर और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताने वाले गुरु में हैं। अपने समाज के विभिन्न मतों में गुरुडम कि दुकान को बढ़ावा देने के लिए गुरु कि महिमा को ईश्वर से अधिक बताना अज्ञानता का बोधक हैं। इससे अंध विश्वास और पाखंड को बढ़ावा मिलता हैं।
हमारे देश मेबीते पन्द्रह बीस वर्षो मे तो इतने गुरु पैदा हो गये है कि  गिनती करना भी मुस्किल है अब चेले भी हाईटेक बैन गये है
जो ज्यादा रुपया देवे वो अच्छा चेला कोई बिसारा मेरी तरह कुछ  नही  देवे वो खराब चेला अरे भाईयो जो दान तो वो होता है जो दाएँ हाथ से दे और बाएँ को पता नही चलता है उसी को दान कहते हैं  आजकल लम्बे लम्बे चन्दन के टिके लगाए हुए बहुत 
गुरु बन कर घूम रहे हैं और  हमारे भाईयो को ये कबीर दास जी दोहा सुना सुना कर लुट रहे हैं  पहले के जमाने मे गुरु दस बीस  रूपये मे भी खुश थे अब तो जैसे किसी चीज के अलग अलग  वैरयटी होती है उसी  तरह आजकल गुरुओ कि भी कई श्रेणियाँ हो गई है  कम से कम सौ रुपये ओर ज्यादा की कोई सीमा नही है वैसे सौ रुपये वाले को टेढ़ी नजर से ही देखेंगे पाँच सौ वाले के सामने देखेंगे दो हजार पच्चिसो देने वाले लोगों के सामने थोड़ा मुस्कराएंगे एक दो सेल्फी भी निकलेन्गे।
मित्रो  इन बाबाओँ के पास कुछ नही है सदा अपने माता पिता का कहामानकर चलो    जीवन मे जो मर्गदर्शक का काम करते हैं असल गुरु तो वही है  सन्त कहते है कि पहला गुरु तो
माँ ही होती है
“पितुरप्यधिका माता   
गर्भधारणपोषणात् ।
अतो हि त्रिषु लोकेषु 
नास्ति मातृसमो गुरुः”॥
गर्भ को धारण करने और पालनपोषण करने के कारण माता का स्थान पिता से भी बढकर है। इसलिए तीनों लोकों में माता के समान कोई गुरु नहीं अर्थात् माता परमगुरु है।
“नास्ति गङ्गासमं तीर्थं 
नास्ति विष्णुसमः प्रभुः।
नास्ति शम्भुसमः पूज्यो
नास्ति मातृसमो गुरुः”॥
गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं, विष्णु के समान प्रभु नहीं और शिव के समान कोई पूज्य नहीं और माता के समान कोई गुरु नहीं।

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

बरस बरस ए बादली

बादली
बरस बरस ऐ बादळी, बरस्यां पड़सी पार ।
नीं बरसी जे डावडी , काळ मारसी मार ।।
ना हाडी ना सावणीं , खाली है कोठार ।
अबकै थांरी टाळ सूं , डूबां काळी धार ।।
सायब बैठ्या आंतरै , करै मजूरी जाय ।
थांरै आयां आवसी , बादळ बेगो आय ।।
खेतां चालै बायरो , भंवती दिखै रेत ।
थांरी छांट्यां थामसी , कर धरती सूं हेत ।।
आय घमाघम बरसज्या, जळ-थळ करदे एक ।
मुरधर इण सूं धापसी , काम करै नीं नेक ।।
हरयाळी धरती बापरै , डांगर राखै चाव ।
डांखळ खा खा बादळां, जीभां पड़ग्या घाव ।।

रविवार, 22 जुलाई 2018

कलयुग मे मोबाइल का जन्म

कलयुग में भगवान एक खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ईण रो नाम मोबाइल रखवायो।
मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजब अनोखो।
धरती रे इन्साना न ओ, लाग्यो घणो चोखो।।
इन्साना सुं भगवन बोल्या, बात राखज्यो याद।
सोच-समझ के वापरो, वरना होज्याओ बर्बाद।।
होज्याओ बर्बाद, चस्को लागेड़ो अति भारी।
ईण रे  लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।
सद् उपयोग करजो कोई, काम घणो ओ आई।
दुरूपयोग ज्यो होवण लाग्यो, टाबर बिगड़ जाई।।
टाबर बिगड़ जाई, कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी, काम नहीं करेला।।
टाबरां की छोड़ो, बडोड़ा की अक्कल जाई।
काम-धंधो छोड़ बैठ्या मोबाइल  ने चलाई।
मोबाइल ने चलाई  और खेले ला दिनभर गेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही, बीत जावेला  टेम।।
छोरियां और लुगायां लेवे इंटरनेट कनेक्शन।
हाथां में मोबाइल रखणो बण जावेला फ़ैसन।।
बण जावेलो फ़ैसन, ए तो फेसबुक चलावेला।
रामायण और भगवद्गीता पढणो भूल जावेला।।
अपणे-अपणे मोबाइल मे, रहवे सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्ता नाता,सब हो जाई ध्वस्त।।
हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार।
थें म्हाने बतावो, यो थांरो ओ केड़ौ है अवतार'।।

शनिवार, 21 जुलाई 2018

कर्नाटक यात्रा

राम राम सा
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दोस्तो आज18 जुलाई  मुंबई से कर्नाटक के जाने के लिये कुर्ला टर्मिनल से मत्स्यगन्धा एक्सप्रेस से रवाना हुआ हूँ  coach no S/12  53 और गाड़ी 19जुलाई को सुबह 5:30 बजे कुमटा पहुँच गई वहाँ से मै  6 बजे की बस से सिरसी के लिये रवाना हो गया  बरसात का मौसम है तो बरसात भी खूब थी  टेढे मेढे रस्ते पर बहुत ही सुन्दर नजारा था 7:30 बजे सिरसी पहुँच गया वहाँ हमारे गनयात जोगाराम जी  के यहाँ  मेहमान पहले से ही आये हुये थे  बाद मे और भी मेहमान आये जिसमे आतिथीगण भी बहुत आये पुरे दिन शानदार सभा रही सभा मे रोहिसा खुर्द से  गणेश राम जी गैया,
भिमाराम जी कडवड़,सिदापुर विरम  भाई मालवी (कुमटा), रोहिसा कल्ला से  पोकर भाई (सिदापुर)  दुन्दाडा से बुदाराम रतनाजी , केवलराम जी सिद्दापुर  ,   बाबूजी सिदापुर ,और सागर से नेमाराम जी , तिरथहल्ली से हडमान रामजी लोलासनी भग्गाराम जी ,भवरलाल जी,रामपुरा 
चित्रदुर्गा से बाबुलालजी
शिमोगा से भीकजी भासरणा सुजाराम जी धुन्धाडा  और सिरसी से मंगल जी ,आम्बाराम जी विजली  लक्ष्मण जी, शंकर जी, केवल जी , भवरलाल जी देवोण्जी  बाबुलाल जी सिरवी, और भी लोग आये थे
फिर खाना खाकर दोपहर के बाद जोगाराम जी के साथ  सिद्दापुर के लिये निकल गये सिरसी से सिद्दापुर 35 किलोमीटर की दूरी पर है वहाँ केवलराम जी भिमाराम जी पोकर भाई, ओम जी , भाभी वभाई नारायण पटेल भतीज दिनेश जीतु से मिले रात वहीँ रुककर सुबह वापस सिरसी आ गये   और सिरसी मे प्राचीन काल में बना मारिखम्भा जी का  मन्दिर है वहाँ पर गये अणदा राम जी रोहिसा कल्ला  के घर गये फिर भवरलाल जी देवोन्जी के वहाँ  खाना खाकर 2:15 बजे कुमटा के लिये रवाना हो गये  क्योकि शाम 4:40 बजे की मुम्बई की गाड़ी मे जाना था और समय पर कुमटा आ गये  और  वहाँ से मुंबई की ट्रेन मे बैठ गये  वापस आते समय भी S/12 -13,14,ही सिट थी  और आराम के साथ बैठ कर रवाना हो गये और सुबह 6:30 बजे कुर्ला टर्मिनल पहुच गये 




सोमवार, 16 जुलाई 2018

हमारे खेत में बाजरा निरिक्षण करते हुये किसान पुत्र

राम राम सा
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हमारे खेत मे आज बाजरे का ंंनिरिक्षण करते हुये धरती पुत्र लक्ष्मण पटेल, चेतन पटेल, गौतम पटेल ,
पहली बरसात भी थोड़ी कम ही थी कल हुई वह भी कम ही है अभी वर्षा का इन्तज़ार है

रविवार, 15 जुलाई 2018

मेरे गाँव मे मेहझाल

राम राम सा
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आज  हमारे गांव सिणली के दक्षिणी कान्कड़ मे झोकानाडा  पर मेहझाल (हल्ला) महोत्सव था गाँव के छोटे बच्चो औरतो बुजुर्गो  सहित सभी लोग इकट्ठा हुये नाडा की तलाई आगोर आडो  मे          साफ सफाई की गई इस बार वुवाई तो सिणली गावँ की पूरी कोंकड मे हो गई है आज सुबह बरसात भी हुई थी
  मित्रौ यदि समय पर पानी नहीं बरसता है तो इन्द्र देवता को  मनुहार पहुंचानी पडती  है इन्द्र देवता खुश हो कर बरसते हैं
 परन्तु आज इन तालाबों  की भी स्थिति दयनीय हो चुकी है पहले के जमाने में हल्ला के दिन सभी लोग सुबह जल्दी ही  नाडी पर पंहुच जाते थे दिनभर खुदाई करते थे शाम को (घुघरी)प्रसाद बनती थी सभी मिल बांटकर खाते थे वो बात  तो अभी नहीं है  फिर भी गाँव वाले शामिल होकर  आज भी इन्द्र देव की पूजा करने जाते है
कोई भी तालाब अकेला नहीं  होता है। वहाँ किसी ना किसी देवता का स्थान जरुर होता है वहाँ मामाजी का स्थान है  आज गाँव वालों ने अच्छी बरसात होने कामना की
पश्चिमी राजस्थान में जल के महत्त्व पर जो पंक्तियाँ लिखी गई हैं उनमें पानी को घी से बढ़कर बताया गया है।
‘‘घी ढुल्याँ म्हारा की नीं जासी।
पानी डुल्याँ म्हारो जी बले।।’’
आजकल के लोग तो पानी को  इतना महत्व नहीं देते हैं पर जो बुजुर्ग है वो बहुत महत्व देते हैं

गुरुवार, 12 जुलाई 2018

श्री राजाराम जी महाराज आश्रम शिकारपुरा धाम

राम राम सा
श्री राजाराम आश्रम ंंमे 27 जुन 2018 को दर्शन करने के लिये गये थे
पहले ंंनये ंंमन्दिर और बद ंंमे जूना ंंमन्दिर भी दर्शन करने के लिए
कुछ समय रुके फिर लुनी रोहिसा  होते हुये गाँव आ गये

श्री राजाराम जी ंंमहाराज का जिवन परिषय




श्री राजाराम जी महाराज का जन्म चेत्र शुक्ला ९ सवंत १९३९ को,जोधपुर तहसील के गांव शिकारपुरा में,आंजना कलबी वंश की सींह खांप में एक गरीब किसान के घर हुआ था | जिस समय आपकी आयु लगभग दस वर्ष की थी आपके पिता श्री हरिरामजी का देहांत हो गया और उसके कुछ समय बाद आपकी माता श्रीमती मोतीबाई का भी स्वर्गवास हो गया |
माता-पिता के मृतोप्रांत आपके बड़े भाई श्री रघुनाथ रामजी नंगे सन्यासियों की जमात में चले गये और आप कुछ समय तक अपने चाचा श्री थानाराम जी व कुछ समय अपने मामा श्री मदाराम जी भूरिया,गांव धांधिया के पास रहने लगे |बाद में शिकारपुरा के रबारियो की साधियों को रोटी कपड़ो के बदले एक साल तक चराई और गांव की गायें भी बिना हाथ में लाठी लिए नंगे पाँव दो साल तक राम रटते चराई |
गांव की गवाली छोड़ने के बाद आपने गाँव के ठाकुर के घर १२ रोटिया प्रतिदिन व कपड़ो के बदले हाली का काम संभाल लिया | इस समय आपके होठ केवल ईश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे |एक दिन आपके मन में दान पुण्य करने का विचार आया लेकिन आप एक सम्पति रहित व्यक्ति होने के कारण दान पुण्य में देने के लिए अपने पास अन्य कोई वास्तु न देखकर अपने को मिलने वाले भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तो को डालना शुरू कर दिया | जिसकी शिकायत ठाकुर से होने पर ठाकुर ने १२ रोटियों के स्थान पर ६ रोटियां,फिर ६ में से ३ रोटियां व ३ में से १ रोटी ही प्रतिदिन भेजना शुरू कर दिया | लेकिन दानवीर ने दानशीलता नही छोड़ी और आधा भाग नियमित रूप से कुत्तो को डालते ही रहे |
इस प्रकार की ईश्वर भक्ति और दानशील स्वाभाव से प्रभावित होकर देव भारती नाम के एक पहुच्वान बाबाजी ने( जो शिकारपुरा के तालाब पर मीठ्वानियाँ के पास,जिस पर श्री राजाराम जी रिजका पिलाने का काम करते थे अपना आसन जमाकर रहा करते थे )एक दिन श्री राजाराम जी को अपना सच्चा सेवक समझकर अपने पास बुलाया और अपनी रिधिसिधि श्री राजाराम जी को देकर उन बाबाजी ने जीवित समाधि ले ली |
उसी दिन उधर ठाकुर ने विचार किया की राजिया ( श्री राजाराम जी का ग्रामीण नाम ) को वास्तव में एक रोटी प्रतिदिन कम ही है और किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने के लिए काफी नही है अतः ठाकुर ने आपके भोजन की मात्रा फिर से निश्चित करने के उद्देश्य से उन्हें अपने घर भोजन करने बुलाया |
शाम के समय श्री राजाराम जी ईश्वर का नाम लेकर ठाकुर के यहा भोजन करने के लिए गये | आपने बातों ही बातों में साढे सात किलो वजन के आटे की रोटियां आरोग ली, फिर भी आपको भूख मिटाने का आभास नही हुआ | ठाकुर व उसकी पत्नि यह देखकर अचरज करने लगे | उसी दिन शाम को राजाराम जी अपना हाली का धंधा ठाकुर को सौपकर तालाब पर योग माया के मंदिर में आकर राम नाम रटने बैठ गये |उधर गाँव के लोगो को चमत्कार का समाचार मिलने पर उनके दर्शनों के लिए आने का तांता बंध गया |
दुसरे दिन आपने द्वारका तीर्थ करने का विचार किया और आप दंडवत करते करते द्वारका रवाना हुए | पांच दिनों में शिकारपुरा से पारलू पहुचे और एक पीपल के पेड़ के नीचे हजारो नर नारियों के बीच अपना आसन जमाया और उनके बीच से एकाएक इस प्रकार गायब हुए की किसी को पता न लगा |
दस मास बाद द्वारका तीर्थ कर आप शिकारपुरा में जोगमाया के मंदिर में प्रकट हुए और अदभूत चमत्कारी बातें करने लगे, जिस पर विश्वास कर लोग उनकी पूजा करने लग गए | आपको जब लोग अधिक परेशान करने लगे तो आपने ६ मास का मौन रखा | जब आपने शिवरात्रि के दिन मौन खोला उस समय उपस्थित अस्सी हज़ार नर नारियों को व्याख्यान दिया और अनेक चमत्कार बताये जिनका वर्णन आपकी जीवन चरित्र नामक पुस्तक मे विस्तार से किया गया है |
महादेव जी के उपासक होने के कारण आपने शिकारपुरा तालाब पर एक महादेव जी का मंदिर बनवाया, जिसको आजकल हम श्री राजराम जी के मंदिर के नाम से पुकारते है | जिसकी प्रतिष्ठा करते समय अपने भाविको व साधुओं का सत्कार करने के लिए प्रसाद के स्वरुप नाना प्रकार के पकवान बनवाये जिसमे २५० क्विंटल घी खर्च किया गया | उस मंदिर के बन जाने पर आपके बड़े भाई श्री रघुनाथराम जी जमात से पधार गये और दो साल साथ साथ तपस्या करने के बाद श्री रघुनाथराम जी ने समाधि ले ली | आपके भाई की समाधि के बाद आपने अपने स्वयं के रहने के लिए एक बगीची बनाई,जिसको आजकल आश्रम के नाम से पुकारा जाता है |

राजस्थानी औरतों की बीमारिया

राजस्थानी औरतों
की बीमारियां..
जिनसे
डॉक्टर भी परेशान है..

1. कोई भी काम में मन  नही लागे
2.सुबह से गड़बड़ है सा
3. जीव घणो घबरावे 
4. कोई भी खाओ तो उप्पर आवे...
5. पगतल्यां घणी बले
6. हात पाँव खेचीजे घणा
7.थोड़ी क दूर चालू तो हा भरीज जावे
8. कम्मर घणी फाटे 
9. दांत में कच कची आवे...
10. जबान फीकी फच लागे
11 .हाथ पग में भाईन्टा आवे
12.आंख्या में रेत पड़गी एड़ो लागे
13. गळा में कांटा गडयोड़ा जाणै
14. माथो भचक भचक करे
15. गर्दन सीधीज नीं वे है
16. उबो ई नी रेहिजे
17.आज तो कोई नी भावै
18.आंख्या आडी अन्धाली आवे
19.कालजौ डाकण्ँ खायगी जाणे
20.पुरो रो पुरो शरीर चमचमाट करे

गावँ की बीती बातों

राम राम सा
▪▪▪▪

गाँव रा गुवाड़ छुट्या, लारे रह गया खेत ।
धोरां माथली झीणी झीणी,उड़ती बाळू रेत ।।
उड़ती बाळू रेत,नीम री छाया छूटी ,
फोफलिया रो साग ,छूटी बाजरी री रोटी ।।
अषाढ़ा रे महीने में जद,खेत बावण जाता ।
हळ चलाता,तेजो गाता, कांदा रोटी खाता ।।
कांदा रोटी खाता,भादवे में काढता 'नीनाण'।
खेत मायला झुपड़ा में,सोता खूंटी ताण ।।
गरज गरज कर मेह बरसतो,खूब नाचता मोर ।
खेजड़ी रा खोखा खाता,बोरटी रा बोर ।।
बोरटी रा बोर ,खावंता काकड़िया मतीरा ।
'सिराधां' में जीमता ,देसी घी रा सीरा ।।
आसोजां में बाजरी रा,सिट्टा भी पक जाता ।
काती रे महीने में सगळा,मोठ उपाड़न जाता ।।
मोठ उपाड़न जाता,सागे तोड़ता गुवार ।
सर्दी गर्मी सहकर के भी, सुखी हो परिवार ।।
गाँव के हर एक घर में, गाय भैंस रो धीणो ।
घी दूध भी घर का मिलता, वो हो असली जीणो ।।
वो हो असली जीणो, कदे नहीं पड़ता था बीमार ।
गाँव में ही छोड़ आया ,ज़िन्दगी रो सार ।।
सियाळे में धूंई तपता, करता खूब हताई ।
आपस में मिलजुल कर रहता,सगळा भाई भाई ।।
कहे कवि गाँव की,आज भी याद सतावे ।
एक बार जो समय बीत ग्यो,अब पाछो नहीं आवे ।।

वर्षा

अगन जळे ज्यों धरती तपे,
म्हारे धोरा वाळे देश मथे।
बरस बादळीया बरस अठे।
म्हारा मरूधर रा मुल्क मथे।

दादा जी के साथ 1

 राम राम सा
मेरे दादाजी बुधाराम जी मालवी

दोस्तो कदैई कदैई  कुछ पुराणी यादे आ जाती है जो आज एक अचंभित लगती है  हमने बचपन ंंमे  बहुत कुछ सिखा  है और उसमे हम बहुत ही कीमती बातो को टाल देते थे और वो आज हमे बड़ी भुल लगती है।
मेरे दादाजी बुधाराम जी की कई स्मृतियाँ मेरे मन में यदा कदा अपना मुखड़ा उठाती है | हम सभी परिवार के भाई बहिन उन्हें बापु कहते थे यु कहे  तो उनकी बहुत सारी बाते है पर कुछ बाते उनकी खास है पहले ंंनशे के सम्बन्ध में है |  वो चिलम ंंनियमित पीते थे कभी कभी हुक्का भी पी लेते थे बीड़ी भी पिते थे वैसे चिलम बीड़ी मेरे पिताजी भी पिते थे उनको देखकर ंंमैने भी एक दिन बीड़ी का छोटा टुकड़ा लिया और  पीने लगा जब ंंमै तीसरी कक्षा ंंमे पढता था उम्र लगभग 8 वर्ष । कभी कभी चिलम भी पीने लगा तो एक बार जब ंंमै बीड़ी पीकर दादाजी के पास आया तो ंंमुझे कहा बेटा बीड़ी पिया है क्या ?  ंंमै तो एकदम डर गया था फिर ंंमेने सफै देते हुये कहा ंंनही तो ंंमेने तो ंंनही पी  और वो बोले की बीडी पीना खराब है तो ंंमै भी बोल पड़ा फिर आप क्यो पिते हो तब वह बोले कि ंंमुझे तो लत पड़  गई है उस रात ंंमैने सोचा की ंंमैने इतनी चुपके से बीड़ी पी थी फिर ंंमालुम कैसे पड़ा किसी ंंने देखा भी ंंनही और ंंमालुम कैसे पड़ा  तो दोस्तो उस बात का  तब पता चला  जब कोई बीड़ी या चिगरेट पीकर ंंमेरे पास आता है और  ंंमुहँ से ंंमहक आती है  उसका चिलम से बड़ा मोह था पर सभी को ंंमना बोलते रहते थे कि चिलम बीड़ी ंंमत पीयो ंंमेरे घर ंंमे एक फिलिप्स का ंंमर्फी रेडियो था तो उसमे समचार और गाने बजते थे तो ंंमैने एक बार दादाजी से पुछा कि इतने छोटे रेडियो ंंमे गाने  कौन गा रहे है  तो उन्होने बोल दिया  कि छोटे छोटे आदमी है और आखिर  ंंमैने एक दिन जब घर पर कोई ंंनही थे तो उन  छोटे छोटे आदमियो  का गला घोट दिया  और रेडियो को रिपेयरिंग करवाना पड़ा और  ंंमुझे अपना सिर खुजाना पड़ा ।
उनका तर्क सुनकर मैं अवाक उनका मुंह ताकता रह जाता था | लोग उनके बारे में बड़ी नकारात्मक राय रखते थे कि बापू किसी की पंचायती ंंमे जाते नहीं थे , बस अपनी धूंई और चिलम को ही जानते थे | पर आज मुझे लगता उन्होंने दुनिया को पढ़ रखा था हमे वो जब बोलते थे कि पढाई किया करो तो हम ंंनजर अंदाज कर दिया करते थे
 जब गर्मियो ंंमे स्कूलों की छुट्टियाँ होती जीना  सुरानाडा ंंमे पांणी री  प्याऊ ही उठे  ंंमामा जी  थान हो वहाँ पर दो ंंमहिने हमारी  बारी आती थी कभी कभी दादा जी साथ ंंमे चलते थे सुवह से शाम पाणी री ंंमटकिया    भरते और लोगो को पाणी पिलाते थे पहले आना जाना  पैदल ही होता था कोई बीड़ी पिवण वालो आवतो तो उण ने कहता कि ंंमोमोजी     थारे   घणौ भलौ करेला दो तीन बीड़ी ंंमोमोजी रे थानं आगे रखा दो | कोई कोई  तो ंंम्होरी बात ंंने समझ जावता वे बापू सु शिकायत करता हा बापू  ंंम्हांनै गालियो काडता कदैई ंंमारने रे चक्कर ंंमे लारे दौडता  हा  जब पकड़  ंंमे आवता तो दो  तीन झपिड़ा लगाय देता और कह देता  कि आज रे बाद बीड़ी ंंमत पिया कर ंंमै भी कहा देता  की  क्यू  तो वो बोलते थे की बाद ंंमे  बताऊंगा  और  एक दिन ंंमुझे  उन्होँने बता ही दिया और  ंंमै समझ भी गया , पर मुझे उनके गुणी और ज्ञानी होने का प्रमाण मिल गया था| बातें तो उनकी बहुत सारी है कभी और बताऊंगा



बुधवार, 11 जुलाई 2018

गाँव री याद

राम राम सा 
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राम राम जी
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गाँव रा गुवाड़ छुट्या, लारे रह गया खेत ।
धोरां माथली झीणी झीणी,उड़ती बाळू रेत ।।
उड़ती बाळू रेत,नीम री छाया छूटी ,
फोफलिया रो साग ,छूटी बाजरी री रोटी ।।
अषाढ़ा रे महीने में जद,खेत बावण जाता ।
हळ चलाता,तेजो गाता, कांदा रोटी खाता ।।
कांदा रोटी खाता,भादवे में काढता 'नीनाण'।
खेत मायला झुपड़ा में,सोता खूंटी ताण ।।
गरज गरज कर मेह बरसतो,खूब नाचता मोर ।
खेजड़ी रा खोखा खाता,बोरटी रा बोर ।।
बोरटी रा बोर ,खावंता काकड़िया मतीरा ।
'सिराधां' में जीमता ,देसी घी रा सीरा ।।
आसोजां में बाजरी रा,सिट्टा भी पक जाता ।
काती रे महीने में सगळा,मोठ उपाड़न जाता ।।
मोठ उपाड़न जाता,सागे तोड़ता गुवार ।
सर्दी गर्मी सहकर के भी, सुखी हो परिवार ।।
गाँव के हर एक घर में, गाय भैंस रो धीणो ।
घी दूध भी घर का मिलता, वो हो असली जीणो ।।
वो हो असली जीणो, कदे नहीं पड़ता था बीमार ।
गाँव में ही छोड़ आया ,ज़िन्दगी रो सार ।।
सियाळे में धूंई तपता, करता खूब हताई ।
आपस में मिलजुल कर रहता,सगळा भाई भाई ।।
कहे कवि गाँव की,आज भी याद सतावे ।
एक बार जो समय बीत ग्यो,अब पाछो नहीं आवे ।।

म्हारौ गाँव ंंम्हारौ खेत

राम राम जी  
भाईयो बाजारी और ंमूँग री बुवाई तो कर दी हो हमे बरसात री बाट जोह रिया हो कदे बरसात हुई ंने कदे ंनिनाण करा भायड़ा ंम्हारे गाँव ंमे  ंम्होलौ भाइड़ो भलजी सुगण विचारे है उण तो 13 जुलाई सु 22जुलाई  बताई ही इन्तज़ार ंमे बेठा हो भाई आज 12 तो हुगी  बरसात तो जोरदार बताई ही 
भगवान के भरोसे बैठा हो बाकी सुगनीयो ऊपर भी थोड़ौ भरोसो करणो पड़े 
गाँव ंमे आजकल बिना धंंणियौ रो धन घन्णो हुगौ लोग दुध दे जिणनै  तो बांध ंंने राखे ंंनही दे जिणनै बारे काडे 
 जिण सारू भगवान थोड़ौ तो ंंनीचे जरूर देखेला ओ तो पक्को भरोसो है बाकी दुनिया रा लखण तो कम ईज है पण जिनवरा रे खातिर तो भगवान जरुर  देखेला



आजकल रो ब्याव

राम राम सा 
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समझदार और पढयो लिख्यो आपांको सभ्य समाज।*
शादी ब्याँव में लाखों और करोड़ों खरचे आज।।
*(करोड़ों खरचे आज, नाक सब ऊँची रखणी चावे।*
कुरीत्याँ के दळदळ मांही सगला धँसता जावे।।
*'होटल और रिसोर्ट' मे जद सुं होवण लागी शादी।*
आंधा होकर लोग करे है, पैसा री बरबादी।।
*पैसा री बरबादी, सब ठेके सुं होवे काम।*
'इवेंट मेनेजमेंट' वाला ने चुकावे दुगुणा दाम।।
*'केटरिंग' वालां को चोखो चाल पड्यो व्यापार।*
छोटा मोटा रसोईया भी बणगया ठेकेदार।।
*बणगया ठेकेदार, प्लेटाँ गिण गिण कर के देवे।*
खड़ा खड़ा जिमावे और मुहमांग्या पैसा लेवे।।
*ब्याँव रा नूंता रो मैसेज 'मोबाइल' मे आग्यो।*
'कुंकुंपत्री' देवण जाणो दोरो लागण लाग्यो।।
*दोनों दोरो लागण लाग्यो, घर घर कुणतो धक्का खावे।*
पाड़ोसी रो कार्ड भी 'कुरियर' सुं भिजवावे।।
*'जीमण' में भी करणे लाग्या आईटम बेशुमार।*
आधे से ज्यादा खाणों तो जावे है बेकार।।
*जावे है बेकार, जिमावण ताँई वेटर लावे।*
'मेकअप' करोड़ी दो चार, 'सर्विस गर्ल' बुलावे।।
*गीत गावणे की रीतां तो अजकळ सारी मिटगी।*
'संगीत संध्या'तक ही अब, सगळी बात सिमटगी।।
*सगळी बात सिमटगी, उठग्या सारा नेगचार।*
सग्गा और प्रसंग्याँ की भी नहीं हुवे मनुहार।।
*आपाँणी 'संस्कृती' को देखो, पतन हो गयो सारो।*
देखादेखी भेड़ चाल में, गरीब मरे बिचारो।।
*पुकार रह्यो समाज, कोई तो करो सुधार।*
*डूब रही 'समाज' री नैया, कुण थामे पतवार।

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

मरूधर री माटी

मरुधर री माटी मिली, धन काया धन भाग।
माथा सूं मूंगी अठे, लागे सबने पाग।।
लूरां लेवे आँधियाँ, तपे तावड़ो जोर।
बाँवळ घेरे खेत ने, पग-पग ऊबा थोर।।
सावण,फागण चेत रा, घणा सुहाणा रंग।
रळ मळ रैवे मानखो, जाणे जीवण ढंग।।
खीच मायने घी घणो,साग मायने तेल।
मुळक परोसे बीनणी, हँस-हँस जीमै छैल।
टाबर खैले बारणै, बूढा बैठा पोळ
बीड़ी,डोडा बायनो, घोळे हेत रा घोळ।।
हेत घणो है आपसी, मिसरी घुळता बोल।
मिनखपणो मूंगों अठे, रुपयाँ रो नीं मोल।।
घूमर घालै गौरङी,गावै ढोलो फाग।
गाजा-बाजा है घणा, घणा सुरीला राग।।
केर सांगरी कुमठिया, फोफळियां रो साग।
दूध, राबड़ी छाछ सून, जीेमां म्हे बड़भाग।।
ठंडी बालू मखमली,न्यारी इणरी शान।
रंग रंगिले रूप रो,म्हारो राजस्थान।।
ऊँचा डूँगर है कठी, कठ नदियां री धार।
धोरां बीचे मुळकतो, हरियाळो सिणगार।।
मेल माळिया है घणा, घणी भली हर ठौड़।
कोई कोनी कर सके, मरुधर थारी हौड़।।

गाँवो ंमे विलुप्त होता हुआ माटी का चूल्हा


राम राम सा
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भाईयो अपने भारतवर्ष में ऐसा कोई इन्सान नही है जिसने मिट्टी का चूल्हा नही देखा है अथवा सुना नही होगा। हालांकि उन्होंने चूल्हे का उपयोग करने का नसीब न मिला होगा वो अलग बात है।
दोस्तों एक कहावत है “घर-घर में माटी का चूल्हा” ।सैंकडों शताब्दियाँ बीत गयी चूल्हे को जलते, अब चूल्हा नहीं रहा। उसके अवशेष
ही बाकी हैं, इस मुहावरे को बदलने की जरुरत है। ये
वही चूल्हा है जिसने मानव के प्राण बचाए, संस्कृतियों एव
सभ्यता को बचाया, चूल्हा जलाकर मानव सभ्य कहलाया।
वर्तमान-भूत-
भविष्य सभी में चूल्हे का स्थान माननीय है। कैसी विडम्बना है। क्या इस मिट्टी के चूल्हे को हम
भूल सकते हैं?
रात को ही माँ चूल्हे को लीप-पोत कर सोती थी और भोर में
ही चूल्हा जल जाता था। पानी गर्म करने से लेकर भोजन
तैयार होने तक चूल्हा जलता ही रहता था। गांव में
किसी बदनसीब का ही घर होता था जिसके घरों या छप्पर से धूंआ नहीं निकलता था। मनुष्य से अधिक
चूल्हे को भूख असहनीय हो जाती थी। वह अपने प्राण होम
कर घर मालिक की जान बचाता था।
आज भी माँ सुबह उठती है और चूल्हा जला देती है। चूल्हे पर
खाना तैयार भले ही न हो लेकिन गर्म पानी तो हो जाता है।
इसमें सेंके हुए आलू,
शकरकंद, के स्वाद के तो क्या कहने। अब
तो गुजरे जमाने की याद हो गयी है। चूल्हे पर मिट्टी के तवे पर
बनी हुई रोटियों की मस्त खुश्बू रह-रह कर याद आती है।
चूल्हे का निर्माण कोई जानकार महिला ही करती है।
उसे सुंदर मांडने से सजाया भी जाता है। घर में चूल्हे स्थान
महत्वपूर्ण है और इससे महत्वपूर्ण है “पूरा घर एक ही चूल्हे
पे भोजन करता है”। चूल्हे ने परिवार का विघटन नहीं होने
दिया। नया चूल्हा रखना बहुत कठिन होता है परिवार को तोड़
कर। घर में दूसरा चूल्हा रखने से पहले लाख बार
सोचना पड़ता है क्योंकि उसके साथ बहुत कुछ बंट जाता है।
विश्वास के साथ आत्मा, कुल देवता, पीतर और भगवान भी।
इसलिए बड़े बूढे कहते थे-अपना-अपना धंधा बांट लो लेकिन
चूल्हे को एक रहने दो। संयुक्त परिवार में दो कमाने वालों के
सहारे एक निखट्टू के परिवार का निर्वहन भी यही चूल्हा कर
देता ।
 शहरों में लोग
लाखों करोड़ों रुपए कमाते हैं, उनके यहाँ चूल्हा नहीं जलता।
गाँव में 100 रुपए रोज कमाने वाले के यहाँ भी चूल्हा जलता है।
इसका मतलब यह नहीं है कि शहरों में खाना नहीं बनता। गैस
या बिजली हीटर चलता है खाना बनाने के लिए। अब एक चूल्हे
के 10 गैस सिलेंडर हो गए हैं।गैस ने माटी के चूल्हों को अपनों से दूर कर दिया। चूल्हा बंटने के साथ लोगों के मन
भी बंट गए। दूर की राम-राम भी खत्म हो गयी है। चूल्हे ने
जिस परिवार को बांध रखा था वह अब खंड-खंड हो गया। कोने
में पड़ा हुआ चूल्हा अपनी बेबसी पर सिसक रहा है।


मेरा गाँव मेरा खेत

राम राम सा
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मित्रों  यह बार हमारे गाँव सिनली मे बरसात आद्रा ंनक्षत्र ंमे हुई और  खेतो मे बुवाई भी कर दी गई है अब तो सिर्फ वापस बरसात का इन्तज़ार कर रहे है और बरसात के लिये हमारे भाई भलाराम जी ंमालवी जो हर वर्ष की भांति ईस वर्ष का भी पुर्वनुमान लगया गया है की बरसात 13 जुलाई से 22जुलाई तक अच्छी वर्षा के योग हैं और उनका पुर्वनुमान सही हुआ तो हमारे गावँ ंमे अच्छी फसले होगी और किसांनो के लिए बहुत खुशी की बात है  और विशेष रूप से आदरा  ंनक्षत्र  ंमे बुवाई किया गया बाजरा बहुत ही अच्छा होता है  बाकी आसपास के क्षेत्र में अभी तक वर्षा ंनही हुई है जो बहुत चिन्ताजनक है 
 ंमुझे एक कहावत याद आ गई  है जो ंमेरे दादा जी कहा करते थे कि 
"डाली चुको वोन्दरो,, और "आषाढ चुको किसान,, सम्भालियो ही ंनही  सम्भले   



रविवार, 8 जुलाई 2018

राजस्थानी- कहावत है


पाडा बकरा बांदरा,
 चौथी चंचल नार ।
इतरा तो भूखा भला,
 धाया करे बोबाङ ।।

भला मिनख ने भलो सूझे, कबूतर ने कुओं ।
अमलदार ने एक ही सूझे, किण गाँव मे मुओl

गरज गैली बावली,
 जिण घर मांदा पूत।
 सावन घाले नी छाछङी,
 जेठां घाले दूध ।।

 बाग बिगाङे बांदरो,
 सभा बिगाङे फूहङ।
लालच बिगाङे दोस्ती,
 करे केशर री धूङ. ।।

जोधपुर शादी समारोह मे

जोधपुर शहर में  शादी समारोह आयोजित

म्हारी पहचान

सिनली  गाँव है मेरा गुमना नाम रखता हूं जोधपुर  जिला का चौधरी  हूँ और दबंग पहचान रखता हूँ, जाती आन्जणा है दिल मे ईमान रखता हूं, बाहर शांत हूँ,अंदर तूफान रखता हूँ, रख के तराजू मेँ अपने दोस्तोँ की खुशियां,दूसरे पलडे मेँ अपनी जान रखता हूँ 
गुमान जी चौधरी 
सिनली