रविवार, 8 जुलाई 2018

राजस्थानी- कहावत है


पाडा बकरा बांदरा,
 चौथी चंचल नार ।
इतरा तो भूखा भला,
 धाया करे बोबाङ ।।

भला मिनख ने भलो सूझे, कबूतर ने कुओं ।
अमलदार ने एक ही सूझे, किण गाँव मे मुओl

गरज गैली बावली,
 जिण घर मांदा पूत।
 सावन घाले नी छाछङी,
 जेठां घाले दूध ।।

 बाग बिगाङे बांदरो,
 सभा बिगाङे फूहङ।
लालच बिगाङे दोस्ती,
 करे केशर री धूङ. ।।

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