रविवार, 15 जुलाई 2018

मेरे गाँव मे मेहझाल

राम राम सा
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आज  हमारे गांव सिणली के दक्षिणी कान्कड़ मे झोकानाडा  पर मेहझाल (हल्ला) महोत्सव था गाँव के छोटे बच्चो औरतो बुजुर्गो  सहित सभी लोग इकट्ठा हुये नाडा की तलाई आगोर आडो  मे          साफ सफाई की गई इस बार वुवाई तो सिणली गावँ की पूरी कोंकड मे हो गई है आज सुबह बरसात भी हुई थी
  मित्रौ यदि समय पर पानी नहीं बरसता है तो इन्द्र देवता को  मनुहार पहुंचानी पडती  है इन्द्र देवता खुश हो कर बरसते हैं
 परन्तु आज इन तालाबों  की भी स्थिति दयनीय हो चुकी है पहले के जमाने में हल्ला के दिन सभी लोग सुबह जल्दी ही  नाडी पर पंहुच जाते थे दिनभर खुदाई करते थे शाम को (घुघरी)प्रसाद बनती थी सभी मिल बांटकर खाते थे वो बात  तो अभी नहीं है  फिर भी गाँव वाले शामिल होकर  आज भी इन्द्र देव की पूजा करने जाते है
कोई भी तालाब अकेला नहीं  होता है। वहाँ किसी ना किसी देवता का स्थान जरुर होता है वहाँ मामाजी का स्थान है  आज गाँव वालों ने अच्छी बरसात होने कामना की
पश्चिमी राजस्थान में जल के महत्त्व पर जो पंक्तियाँ लिखी गई हैं उनमें पानी को घी से बढ़कर बताया गया है।
‘‘घी ढुल्याँ म्हारा की नीं जासी।
पानी डुल्याँ म्हारो जी बले।।’’
आजकल के लोग तो पानी को  इतना महत्व नहीं देते हैं पर जो बुजुर्ग है वो बहुत महत्व देते हैं

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