मरुधर री माटी मिली, धन काया धन भाग।
माथा सूं मूंगी अठे, लागे सबने पाग।।
लूरां लेवे आँधियाँ, तपे तावड़ो जोर।
बाँवळ घेरे खेत ने, पग-पग ऊबा थोर।।
सावण,फागण चेत रा, घणा सुहाणा रंग।
रळ मळ रैवे मानखो, जाणे जीवण ढंग।।
खीच मायने घी घणो,साग मायने तेल।
मुळक परोसे बीनणी, हँस-हँस जीमै छैल।
टाबर खैले बारणै, बूढा बैठा पोळ
बीड़ी,डोडा बायनो, घोळे हेत रा घोळ।।
हेत घणो है आपसी, मिसरी घुळता बोल।
मिनखपणो मूंगों अठे, रुपयाँ रो नीं मोल।।
घूमर घालै गौरङी,गावै ढोलो फाग।
गाजा-बाजा है घणा, घणा सुरीला राग।।
केर सांगरी कुमठिया, फोफळियां रो साग।
दूध, राबड़ी छाछ सून, जीेमां म्हे बड़भाग।।
ठंडी बालू मखमली,न्यारी इणरी शान।
रंग रंगिले रूप रो,म्हारो राजस्थान।।
ऊँचा डूँगर है कठी, कठ नदियां री धार।
धोरां बीचे मुळकतो, हरियाळो सिणगार।।
मेल माळिया है घणा, घणी भली हर ठौड़।
कोई कोनी कर सके, मरुधर थारी हौड़।।
माथा सूं मूंगी अठे, लागे सबने पाग।।
लूरां लेवे आँधियाँ, तपे तावड़ो जोर।
बाँवळ घेरे खेत ने, पग-पग ऊबा थोर।।
सावण,फागण चेत रा, घणा सुहाणा रंग।
रळ मळ रैवे मानखो, जाणे जीवण ढंग।।
खीच मायने घी घणो,साग मायने तेल।
मुळक परोसे बीनणी, हँस-हँस जीमै छैल।
टाबर खैले बारणै, बूढा बैठा पोळ
बीड़ी,डोडा बायनो, घोळे हेत रा घोळ।।
हेत घणो है आपसी, मिसरी घुळता बोल।
मिनखपणो मूंगों अठे, रुपयाँ रो नीं मोल।।
घूमर घालै गौरङी,गावै ढोलो फाग।
गाजा-बाजा है घणा, घणा सुरीला राग।।
केर सांगरी कुमठिया, फोफळियां रो साग।
दूध, राबड़ी छाछ सून, जीेमां म्हे बड़भाग।।
ठंडी बालू मखमली,न्यारी इणरी शान।
रंग रंगिले रूप रो,म्हारो राजस्थान।।
ऊँचा डूँगर है कठी, कठ नदियां री धार।
धोरां बीचे मुळकतो, हरियाळो सिणगार।।
मेल माळिया है घणा, घणी भली हर ठौड़।
कोई कोनी कर सके, मरुधर थारी हौड़।।
निम्बोली खाते हुए
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