रविवार, 22 जुलाई 2018

कलयुग मे मोबाइल का जन्म

कलयुग में भगवान एक खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ईण रो नाम मोबाइल रखवायो।
मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजब अनोखो।
धरती रे इन्साना न ओ, लाग्यो घणो चोखो।।
इन्साना सुं भगवन बोल्या, बात राखज्यो याद।
सोच-समझ के वापरो, वरना होज्याओ बर्बाद।।
होज्याओ बर्बाद, चस्को लागेड़ो अति भारी।
ईण रे  लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।
सद् उपयोग करजो कोई, काम घणो ओ आई।
दुरूपयोग ज्यो होवण लाग्यो, टाबर बिगड़ जाई।।
टाबर बिगड़ जाई, कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी, काम नहीं करेला।।
टाबरां की छोड़ो, बडोड़ा की अक्कल जाई।
काम-धंधो छोड़ बैठ्या मोबाइल  ने चलाई।
मोबाइल ने चलाई  और खेले ला दिनभर गेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही, बीत जावेला  टेम।।
छोरियां और लुगायां लेवे इंटरनेट कनेक्शन।
हाथां में मोबाइल रखणो बण जावेला फ़ैसन।।
बण जावेलो फ़ैसन, ए तो फेसबुक चलावेला।
रामायण और भगवद्गीता पढणो भूल जावेला।।
अपणे-अपणे मोबाइल मे, रहवे सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्ता नाता,सब हो जाई ध्वस्त।।
हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार।
थें म्हाने बतावो, यो थांरो ओ केड़ौ है अवतार'।।

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