पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार
यदि पीलिया है तो बण्डाल के फल को १ कप पानी मेँ भिगो देँ और अगले दिन इस कप के पानी से २-२ बून्द पानी नाक मेँ डाल लेँ। इस फल का रस इतना कड़ुवा होता है कि मुँह से इसे नहीँ लिया जा सकता है इसलिये नाक मेँ डाला जाता है। इसको नाक मेँ डालने से रोगी को जुकाम हो जायेगा जिससे बलगम बनता है।
इसको डालने के पश्चात रोगी को पीला बलगम, पीली पेशाब और पसीना पीला निकलेगा।
रोगी दस बारह दिनोँ मेँ ठीक हो जायेगा।बण्डाल का फल पन्सारी की या किसी आयुर्वेदिक वैद्य के यहाँ से प्राप्त करेँ। यह लगभग 1 इञ्च लम्बा काँटेदार फल गेहूँ के रङ्ग का होता है।
बण्डाल (बन्दाल) का फल।
हमारे आसपास देखने को मिल जाता है लेकिन उसको गोखुरू कहते हैँ जो कि बण्डाल से भिन्न है।...उसका उपयोग ना करे
बन्दाल के डोडे (जो पंसारी के यहाँ मिलते हैं) 4 या 5 नग लेकर रात को मिट्टी के सिकोरे या बर्तन में पौन कप पानी में डालकर भिगो दें। सुबह मसलकर उस पानी को छान लें। रोगी को सीधा लिटाकर, गर्दन थोड़ी झुकी रखकर, दो-तीन बूंद रूई से नाक के प्रत्येक नथुने में टपका दें। केवल एक दिन एक बार डालने से नाक-आँख से पीला पानी बहकर, भयंकर पीलिया दो ही दिन में ठीक हो जाता है।
गुमानजी चौधरी पटेल
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