सिनली
राम राम सा
मैं थानै कैवूं सायबा, कोई सियाळै भल आय सियाळो फिर आवसी,जोबन फेर ना आय थारै आयां सायबा, आ सरदी जासी भाग रातां होसी रंगीन, कोई मनड़ौ करसी राग घर आया थांरे सायबा,आंगण ढूकसी चाव घिरती फ़िरती नाचसु ,मन में उठसी उमाव
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