।। राजस्थानी दोहा ।।
--------------------------
आडै पौठै ढाणकी,
रिन रौही रै मांय।।
खेती खातिर खेत में,
करसा बसता जाय।।(१)
गोल़ जावता गाँव रा,
धण रै खातर सीम।।
ढांणी रैता ढंग सू,
दूध दही नै जीम।।(२)
गोबर माटी गार री,
चंवरां भींत चुणाय।।
छजिया झूंपा खींप सूं,
बाढ़ै खेत जमाय।।(३)
टूल़ै पाखी ओटियो,
मन सूं लियौ बणाय।।
ठाढ़ी छांया ठावकी,
ठरको राख्यौ ठाय।।(४)
बकरै पाल्यै बैठकर,
चरै खेत में चार।।
बैलौ लाई बैलियां,
बकरौ बकरी त्यार।।(५)
खेतां मतीर खावता,
गुर गुलाबियौ रंग।।
चिमनी रौ कर चांदणो,
ढांणी रैता ढंग।।(६)
पखाल पाणी लावता,
टांकै देता ढाल़।।
एवड़ कुंडी पावता,
सगल़ी सार सँभाल।।(७)
टाल़ै लाता टोगड़ा,
गउओं जाता ग्वाल़।।
चउड़ा भर भर दूधरा,
दुहता नैंजण टाल़।।(८)
दूध ठारता रात रौ,
जमांण खातिर जोर।।
गोरल दही बिलोवती,
मकड़ी बांधै डोर।।(९)
माछर नांही होवता,
सोता माँचौ ढाल़।।
गैरी आती ऊँगड़ी,
ढांणी रा ए हाल।।(१०)
धवल़ रैत रा धोरिया,
ढांणी ठाई खेत।।
ठसको राखै ठावकौ
मिनखां मिलणो हेत।।(११)
रसतै वैता रोकता,
जबरी जान जपान।।
गूगठ उठता गौठ रा,
जानी करै बखान।।(१२)
मनवारां डोढी करै,
रुकवाता पण रात।।
वंतल़ करता रात री,
ढांणी रैणों भात।।(१३)
ढांणी रा ठरका घणा,
ठाट बाट हर रोज।।
मारग वैता जातरू,
जीमै करता मौज।।(१४)
मनवारां डोढी करै,
रुकवाता पण रात।।
वंतल़ करता रात री,
ढांणी रैणों भात।।(१५)
2.🌹हकीकत रा दोहा🌹
----------------------------------------
घटत घणी धर वापरी,
राकस धरणी खौफ।।
अबल़ा निबलां आफतां,
मिनखां मिटग्यौ रौफ।।(१)
सत छोड़्यां पत जावसै,
अवनी पसर्यो पाप।।
करणी आपो आपरी
फल़ भोगो धर धाप।।(२)
ना मिनख रौ मिनखपणो,
नहीं मिनख मरजाद।।
मिनख'ज बिगड़ै बांदरौ,
आज फिरै आजाद।।(३)
आदू रीतां छोड़दी,
रल़पट बणिया रौल़।।
संसकार जन भूलगो,
मिनखां घटियौ मौल।।(४)
मिनखां सूं दिवलौ भलौ,
पालै उजल़ी प्रीत।।
तम भागै झट दीपतै,
चालै थैटू नीत ।।(५)
लिछमी लेखा लैवती,
धरम करम परियांण।।
देवै धरणी धापनै,
खरी करै पहचाण।।(६)
लिछमी बरगत नीत सूं,
करतो जग पंपाल़।।
रेवै फिरती रातदिन,
खपग्या नर भूपाल।।(७)
धनबल भुजबल धाइणै,
धरा बणावै धाम।।
चोरी जारी चोंचला,
कर कर ऊंधा काम।।(८)
दिवलौ हर घर दीपसै
पूजा रै परियांण।।
सगती भगती सांतरी,
अवनी शुभ अवसाण।।(९)
दीप जल़ै दीपावली,
तम रौ झटकै नास।।
सगल़ां रै सुख संपदा,
लिछमी रौ घर वास।।(१०)
धरणी पर दीपावली,
सकल नहीं उछवास।।
अवल घणी व्है आफतां,
कठैक होत प्रकास।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें