मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

रुपाजी तरक (आन्जणा) किलवा

।। राम राम सा ।।
राजस्थान के जालोर जिले की सांचौर तहसील से लगभग दस किलोमिटर दुर एक ऐसा ऐतिहासिक गांव जो ऑजणा चौधरी समाज के पूर्वजो के ऐतिहासिक समाज सुधारक कार्यो से प्रसिद्द है।
उसे आन्जणा समाज मे हर कोई जानता ही है जिसका नाम  किलवा गाँव है

कलबी समाज के सर्वप्रथम समाज सुधारक रूपाजी तरक ने समाज सुधार मे ऐसे ऐतिहासिक कार्य किये जिससे कलबी समाज बहुत ही अच्छी सभ्यता वाले समाजो मे प्रसिद्ध हुआ।

ऐतिहासिक कार्य आज भी धरातल पर बोल रहा है ऐसे ऐतिहासिक कार्यो की पहचान आज आँजणा पटेल चौधरी के पुरखो की राव द्वारा नामों की पोथी (राव नामो वाचे ) पढते समय सबसे पहले रूपाजी तरक के नाम से समाज का इतिहास मालुम पङता है समाज में उस समय मारवाङ के रियासतों के सहयोग से अपनी ज्ञान रूपी गंगा को प्रवाहित कर समाज के हजारों कन्याओं का विवाह रचाया सोने रो टको देकर सारों रों सुख कियो हो  ऐसे रूपाभाई तरक जिन्होंने  समाज का नाम रौसन किया हजारों बच्चियों रो भविष्य उज्जवल किया ।  आने वाली पिंडी पिंडी का सुख कर दिया।  उस दिन से आँजणा समाज में दहेज प्रथा नहीं है तूराभाट सोने का टक्का लेने के बिना कन्या विवाह नहीं करते थे इस से उस समय केई बच्चीयों का विवाह नहीं होता था ऐसी प्रथा को खत्म किया और समाज के उज्जवल भविष्य की एक नई शुरूआत की थी। तुरियो को इकट्ठा कर एक बाड़े मे बिठाकर आग लगा दी थी । किलवा में आज भी रूपाजी तरक के स्तम्भ है ।

श्री रूपाजी  तरक ने  तुरियो का नाश कर एक साथ सोलह हजार कन्याओं का विवाह रचाकर इतिहास रचा  था  राव वरजांगजी के शासन काल में किलवा  सांचौर मैं ऐतिहासिक दर्शनीय स्तम्भ मौजूद हैं ।l आज हमारे आॅजणा पटेल समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है

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