। राम राम सा ।।
धीरे धीरे खतम हो रह्यो,कपड़े रो व्पापार। नगदी में लेवाल नहीं है,देता रहो उधार।
देता रहो उधार पेमेंट रो मत ना कहीज्यो,
वरना माल रिटर्न लेवण ने त्यार रहिज्यो।
वेकेसन मे व्याव आ गयौ ईद रो व्यापार मंदो चौथी मे बरखा गणी हुई दो दिन चाल्यो धन्धो ।
नवरात्रा तो सरासरी मे, अब थी दिवाली री आशा ।
बरखा बैरण रिमझिम बरसे अब तो हुवण लागी निराशा ।।
एक महीना सूं पेमेंट भेजे, टक्का काटे चार,
तीन महीना" सू भेजे वो, वेपारी साहूकार। वेपारी साहूकार,क्लेम तो देणो पड़ेला,
पेमेंट तो उण री कंडीसन सू,लेणो पड़ेला।पेमेन्ट रो फोन करो जद सामा धौंस दिखावे,
म्हे हां जद सलटायो नहीं तो,सगलो पाछो
जावे।
सगलो पाछो जावे क्वालिटी और सुधारो,
वरना आइन्दा सू बिल,मत बनाज्यो म्हारो। इतने पर भी बेचण वाला,ऊणा रे तेल लगावे, दलाला री दलाली रा,टका और भी बढ़ावे।
कहे कवि पटेल अब व्यापार कैसे चलेगा,
दिवाली रे बाद कई व्यापारीओ को बोरिया-बिस्तर,भेला करना"पड़ेला।
गुमनाराम पटेल
सोमवार, 21 अक्टूबर 2019
कपड़ा रो व्यापार 2019
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