सोमवार, 29 अप्रैल 2019

जोधपुर लोकसभा चुनाव 2019 मे

राम राम सा
मित्रो आज हमारे यहाँ चुनाव जरूर था लोगो मे उत्साह तो थोड़ा कम दिख रहा था।  फिर भी ज्यादतर लोगो ने रास्ट्र हित के लिए और किसी ने पप्पू के लिये मतदान जरूर किया है ।  
मित्रो वैसे  आमतौर पर चुनावो मे तो पुरे देश मे छोटी बड़ी घटनाएँ होती ही है । वो भी पंचायत चुनावों मे ज्यादा होती है पर इस बार लोक सभा चुनाव मे जो हो रहा है इससे पहले कभी नहीं देखा था।  नेता अपने सता के अंहकार मे आचार संहिता का उल्लंघन करने से नही चूकते है । आज जो राजस्थान मे चुनाव हुये हैं वहाँ सत्ता के अंहकार मे कानुन् की धज्जियां कैसे उडी आप सब ने भी देखी ही है । जब पैसो का इस्तेमाल होगा तो लोग नेताओं के लिये सब कुछ करने को तैयार हो जाते है ।
मित्रों, ऐसा भी नहीं है कि चुनाव आयोग इस समस्या से अनभिज्ञ है. उसने प्रत्येक स्तर के चुनाव के लिए खर्च की सीमा तय कर रखी है. उम्मीदवारों से खर्च का लिखित हिसाब भी लिया जाता है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि सबकुछ दिखावा होता है, औपचारिकता होती है. चुनावों के दौरान पैसे जब्त भी होते हैं लेकिन वो बहुत कम होते हैं.
मित्रों, कहने को तो चुनावों की घोषणा के साथ ही आचार-संहिता लागू हो जाती है लेकिन उनका पालन नहीं होता. कई बार उद्दण्ड उम्मीदवारों के खिलाफ आचार-संहिता उल्लंघन के मुकदमे भी दर्ज होते हैं लेकिन आज तक किसी नेता को इन मामलों में सजा मिली हो देखा नहीं गया. मैं पूछता हूँ कि आखिर क्या आवश्यकता है ऐसी आचार-संहिता की जो वास्तव में एक आचार संहिता ना होकर  लाचार-संहिता हो गई है ?  कहना न होगा कि जैसे हमारे देश में कानून बनते ही टूटने के लिए हैं.आज c.m.का बेटा भी अचार संहिता  कानुन का उल्लंघन करने लगे तो आम आदमी से क्या आशा कर सकते हैं।
और हमे तो  चुनावी माहौल देखकर पता चला है कि
अशोक जी देखेला आँखो से , भाई वैभव हारेला  लाखों से ।
जय हिन्द जय भारत

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

ननद का भाभी को निवेदन

ननद का भाभी को निवेदन
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वो मेरी माँ है, जो तुम्हारी सास है,
आज वो मुझसे दूर, मगर तुम्हारे पास है

तुम मेरी जगह कभी ना आना..अपने लिये नई राह बनाना
जब कभी वो तुम्हें लाड़ ना करें..इस का कसूरवार मुझे ना बताना

मुझे तो माँ लाड़ कम, डांटती ज्यादा थी, आसान नहीं था तब भी उन्हें मनाना
"नये घर जाना है" हर रोज सुनाती थी, ऐसा कहकर हर काम सिखाती थी

कभी मन से कभी बेमन से चुपचाप , बिना कुछ कहे मैं भी सीख जाती थी
मगर मैं जानती थी वो ऐसा मुझे मजबूत बनाने को करती हैं

जग हंसाई ना हो वो इस बात से डरती हैं, नहीं तो कौन माँ ये सब कहती है

भाभी! यही उमीद वो तुमसे लगा बैठी, मेरी ही तरह तुम्हें समझा बैठी
उनके लाढ़ के तरीके ही ऐसे हैं, हम दोनों ही उनकी नज़र में एक जैसे हैं

आज दूर हूं ओर कभी कभार आती हूं, वक्त कम होता है, माँ का लाढ़ पाती हूं
तुम्हें लगता है "ननद को इतना प्यार क्यूं? मुझे नसीहत हर बार क्यूँ?"

आज तुम बहु हो वहां की, मैं हूं बहु अपने यहां की
तो मुझसे ये ईर्ष्या कैसी, मैं भी हूं भाभी किसी की

मत रख भाभी मन में मलाल कोई, औरत जान मुझे ना कर सवाल कोई
सास बहु में ननद का शोर ना रख
मेरी प्यारी भाभी, अपने मन मे कोई चोर ना रख

माँ के बाद भाभी तुझसे ही निभानी है
तु मेरे मायके की लक्ष्मी, भैया के दिल की रानी है

"भाभी ❤ ननद" का रिश्ता, खट्टा मीठा आचार है
भाई भाभी हैं तो ननद के तीज त्यौहार है 😊

किसान की बेटी

किसान की बेटी

एक किसान को गाँव के साहूकार से कुछ धन उधार
लेना पड़ा।
बूढा साहूकार बहुत चालाक और धूर्त था, उसकी नज़र किसान की खूबसूरत बेटी पर थी।
अतः उसने किसान से एक सौदा करने का प्रस्ताव
रखा। उसने कहा कि अगर किसान अपनी बेटी की शादी साहूकार से कर दे
तो वो उसका सारा कर्ज माफ़ कर देगा।
किसान और उसकी बेटी, साहूकार के इस प्रस्ताव से कंपकंपा उठे। तब साहूकार ने उनसे कहा कि ठीक है,
अब ईश्वर को ही यह
मामला तय करने देते हैं।
उसने कहा कि वो दो पत्थर उठाएगा,एक काला और एकसफ़ेद, और उन्हें एक खाली थैले में डाल देगा। फिर किसान की बेटी को उसमें से एक पत्थर उठाना होगा-
१-अगर वो काला पत्थर उठाती है तो वो मेरी पत्नी बन जायेगी और किसान का सारा कर्ज माफ़ हो जाएगा ,
२-अगर वो सफ़ेद पत्थर उठाती है तो उसे साहूकार
से शादी करने की जरूरत नहीं रहेगी और फिर
भी किसान का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा,
३-पर अगर वो पत्थर उठाने से मना करती है
तो किसान को जेल में डाल दिया जाएगा।
वो लोग किसान के खेत में एक पत्थरों से भरी पगडण्डी पर खड़े थे, जैसे ही वो बात कर रहे
थे, साहूकार ने नीचे झुक कर दो पत्थर उठा लिये,
जैसे ही उसने पत्थर उठाये, चतुर बेटी ने देख लिया कि उसने दोनों ही काले पत्थर उठाये हैं और उन्हें थैले में डाल दिया।
फिर साहूकार ने किसान की बेटी को थैले में से एक पत्थर उठाने के लिये कहा।
अब किसान की बेटी के लिये बड़ी मुश्किल हो गयी, अगर वो मना करती है तो उसके पिता को जेल में डाल
दिया जाएगा,
और अगर पत्थर उठाती है तो उसे साहूकार से शादी करनी पड़ेगी।
किसान की बेटी बहुत समझदार थी, उसने थैले में
हाथ डाला और एक पत्थर
निकाला, उसे देखे बिना ही घबराहट में पत्थरोंसे भरी पगडण्डी पर नीचे गिरा दिया,
जहां वो गिरते ही अन्य पत्थरों के बीच गुम
हो गया।
"हाय, मैं भी कैसी अनाड़ी हूँ", उसने कहा, " किन्तु कोई बात नहीं, अगर आप थैले में दूसरा पत्थर
देखेंगे तो पता चल जाएगा कि मैंने कौनसा पत्थर
उठाया था।"
क्योंकि थैले में अभी दूसरा पत्थर है, किसान की बेटी जानती थी कि थैली से केवल काला पत्थर निकलेगा और यही माना जायेगा कि उसने सफ़ेद पत्थर उठाया था और साहूकार भी अपनी बेईमानी को स्वीका नहीं कर पाता इस तरह होशियार किसानकी बेटी ने असंभव
को संभव कर दिखाया।

भगवान को पाये सब चीज तुम्हारी हो जायेगी

एक राजा ने यह ऐलान करवा दिया कि कल सुबह जब मेरे महल का मुख्य दरवाज़ा खोला जायेगा तब जिस शख़्स ने भी महल में जिस चीज़ को हाथ लगा दिया वह चीज़ उसकी हो जाएगी।

इस ऐलान को सुनकर सब लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं तो सबसे क़िमती चीज़ को हाथ लगाऊंगा।

कुछ लोग कहने लगे मैं तो सोने को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग चादी को तो कुछ लोग कीमती जेवरात को, कुछ लोग घोड़ों को तो कुछ लोग हाथी को, कुछ लोग दुधारू गाय को हाथ लगाने की बात कर रहे थे।

जब सुबह महल का मुख्य दरवाजा खुला और सब लोग अपनी अपनी मनपसंद चीज़ों के लिये दौड़ने लगे।

सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद चीज़ों को हाथ लगा दूँ ताकि वह चीज़ हमेशा के लिए मेरी हो जाऐ।

राजा अपनी जगह पर बैठा सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग दौड़ को देखकर मुस्कुरा रहा था।

उसी समय उस भीड़ में से एक शख्स राजा की तरफ बढ़ने लगा और धीरे-धीरे चलता हुआ राजा के पास पहुँच कर उसने राजा को छु लिया।

राजा को हाथ लगाते ही राजा उसका हो गया और राजा की हर चीज भी उसकी हो गयी।

जिस तरह राजा ने उन लोगों को मौका दिया और उन लोगों ने गलतियां की।

ठीक इसी तरह सारी दुनिया का मालिक भी हम सबको हर रोज़ मौक़ा देता है, लेकिन अफ़सोस हम लोग भी हर रोज़ गलतियां करते है।

हम भगवान को पाने की बजाए भगवान् की बनाई हुई दुनियां की चीजों की कामना करते है। लेकिन कभी भी हम लोग इस बात पर गौर नहीं करते कि क्यों न दुनिया के बनाने वाले भगवान् को पा लिया जाऐ।

अगर भगवान् हमारा हो गया तो उसकी बनाई हुई हर चीज भी हमारी हो जाएगी 🙏

दुःखद समाचार



        🌹दुःखद समाचार🌹

  बड़े दुख के साथ सुचित किया जाता है कि  आज श्रीमान जगाराम  सुपुत्र  लखाराम जी मालवी  निवासी -सिणली का  जो कुछ दिनो से बिमार थे जिनका  पेर्थक गांव सिनली  में दिनांक  27/04/2019 को अकस्मात देहांत (स्वर्गवास) हो गया है। हरि इच्छा प्रबल है। भगवान उस महान आत्मा को शांति प्रदान करे व इस दुःख की घड़ी में परिवार को सहने की आत्मबल हिम्मत दे।
🙏🙏"उस दिवंगत आत्मा को मेरा सत - सत नमन"🙏🙏
                  !!!नम आंखों से श्रदाँजलि !!!

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

हमे गठबन्धन सरकार नही चाहिये

।। राम राम सा ।।

अब बहुमत के वोट से , बने देश सरकर !
सांठ गांठ करके नहीं , करे देश स्वीकार !!

👉👉गधे ने बाघ से कहा!   घास नीले रंग की होती है !
  बाघ ने कहा!   नहीं  घास का रंग हरा है !
* दोनों के बीच चर्चा तेज हो गई।  चर्चा विवाद का रूप ले ही रही थी ,  कि किसी ने सुझाया ,  क्यों ना जंगल के राजा से निर्णय करवाते !
*  दोनों ही अपने-अपने तर्को पर दृढ़ता से अड़े थे !    इस विवाद को

  समाप्त करने के लिए, दोनों जंगल के राजा शेर के पास गए ! 

*  पशु साम्राज्य के बीच में, सिंहासन पर एक शेर बैठा था ! 
*   बाघ के कुछ कहने से पहले ही गधा चिल्लाने लगा ! !
   महाराज! !   
  घास नीला है ना? 
  शेर ने कहा,
   'हाँ!
   घास नीली है।

*   गधा बोला !    ये बाघ नहीं मान रहा!    उसे ,  ठीक से इसकी  सजा दी जाए।  
  *  राजा ने घोषणा की !  
" बाघ को एक साल की जेल होगी " राजा का फैसला गधे ने सुना , और वह पूरे जंगल में खुशी से झूमता फिरे , कि  
" बाघ को एक साल की जेल की सजा सुनाई गई " ! !

*  बाघ शेर के पास गया  और पूछा ! !   
  क्यों महाराज ?    घास हरी है , 
  क्या यह सही नहीं है?? ? 
  शेर ने कहा !    हाँ!    घास हरी है !  मगर . .  तुम को  सज़ा !   उस मूर्ख , गधे के साथ बहस करने के लिये दी गई हैं ! ! . . .   आप जैसे बहादुर और बुद्धिमान जीव , ने , गधे से बहस की ! ! ! 
  और निर्णय कराने , 
  मेरे पास , चले आये  ! ! !

*   कहानी का सार ! ? !
*   2019 में अपना वोट सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार को दें !     
   ... बस !. . .     गधों से , बहस ना ,  करें !   
अपने दिमाग का उपयोग करे , 

नही तो,  आपको , अगले 5 साल तक की सजा हो जाएगी !

गठबंधन कर लूटते , करते भ्रष्टाचार !
आखिर चुनते आप हम , क्यो ऐसी सरकार !!

जय हिंद जय भारत
वन्दे मातरम

पुरसगारी वाले ज्यादा है

।। राम राम सा ।।

मित्रो ये फेसबुक  भी एक जीमण की तरह हो गया है।
यहां पकवान बनाने वाले हलवाई कम हैं,
और  पुरसगारी वाले ज्यादा हैं।
कई पुरसगारी वाले तो इतने फास्ट हैं कि
तेल में से पूड़ी निकलते ही बाजू वाले को परोस देते हैं।  मै आज हलवाई बनकर पोस्ट लिखता हूँ आप ज्यादा से ज्यादा गरम गरम  पुरसगारी कर दे ।
मित्रो कोई कहे देश के लिये मोदी अच्छा है और कोई कहते है कि  राहुल गान्धी अच्छे हैं  कोन्ग्रेस का 65 साल का राज भी देखा है और पाँच साल मोदिराज भी देखा है  ।इसमे दो पहलु है
एक तो वो लोग है जिसकी काली कमाई बँद हो  गयी जगह जगह ओनलाईन से घुसखोरो की कमाई भी बँद हुई है और जो निठल्ले सरकारी कर्मचारी थे जो कभी  ड्यूटी सप्ताह मे एकाद बार जाते थे उनको अब रोजाना जाना पड़ता है जो दलाल लोग केद्र सरकार या राज्य सरकारों का लाभार्थियों को 100 रुपयो की जगह 25 रुपये या फिर पुरा ही गबन कर देते थे  उन्ही सब  लोगो को मोदी राज पसन्द नहीं आ रहा है ।
मित्रो एक कहाणी  है जो प्रेरणादायक  है आप जरुर पढियेगा
एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये !

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ?? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो। हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद ! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो। हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी ?? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है !

उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये! बोले, भाई किस बात का विवाद है ?? लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है! लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है ! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है !

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली ! रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको ! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ?? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ? उल्लू ने कहा, नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी ! लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है ! मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है। यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं !
शायद 65 साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है। इस देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ ! इसलिये इस बार राष्ट्र हित के लिये हंस को चुनना है उल्लुओं को नही । सूखे हुए रेगिस्तान   को हराभरा बनाना है ।
।। जय हिन्द जय भारत ।।

समय बदलतो जा रियौ है

कियां बैठ ने  बात करां

भागम-भाग हुई जिंदगाणी, अबै चौपालां री बात कठै
देर रात तक पड़ै जागणो, मुद्दत स्यूं देखां प्रभात अठै
ऊभ्यो आणो पड़ै भीड़ में, किण बिद सीधी लात करां
कियां बैठ ने  बात करां.........

कदैई हथाई करी बड़ेरा, अब तो करणी हाथापाई है
दुख-सुख में आडो आणै री, असल बात बिसराई है
होडम-होड लागी सगळां में, इज –दूजै नै मात करां
कियां बैठगै बात करां........

ओखो मौको मिलै कदै, करसां होटल में खाणो-पीणो
देर रात तक डांस पार्टी, मौज-मस्ती री ओ है जीणो
नवैं जमानै रो फलसफो है, दिन स्यूं उजळी रात करां
कियां बैठ ने बात करां.......

खूबियाँ वाली लूगाई

।।  राम राम सा ।।
मित्रो मिनखौ ने सही उम्र रे  मायं ब्याव  कर लैणौ चाहिजे नितर .................*
एक शहर रे मायं एक  वकील साहब हा जिणोरौ ब्याव 44 साल री उम्र मे हुयौ हो l

वै एक दिन कैवता हा के  जद म्हे  23 बरस  का  हा जिण समय  आपरी  डायरी में 40 ऐडी  खुबीयां  लिखी  ही  और कैवण लागा के जिण लूगाई मे ए 40  खूबियाँ होवैला  उण लूगाई म्हे व्याव करुला   l
बखत निकलतो रियो । लेकिन ऐड़ी लूगाई  नी  मिली  जिणमे  वे पूरी 40 खुबीयां ही  l

पछे थाके हार ने  वकील साहब हर बरस एक -दो खुबीयां कम  करता ग्या हा । इयां करता करता 40 बरस जा हुग्या  थक हार ने  कयो की मान्ने तो बिना खूबियाँ की  भी लूगाई  कुबूल हैं l लूगाई होणी चाहिजे ।
आजकल रे बखत मे लुगायाँ घणी दौरी मिलीया करै है ।

😂😂😂

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

होली 2019 सिणली गाँव

।।  राम राम सा ।।
मित्रो ईस साल होली 20 मार्च 2019  लाडकी ढूंड  कूल सात  थी
  राजाराम धोकल राम जी मालवी
मांगीलाल मूलाराम जी   मालवी
सरवन राम खनगारराम जी मालवी
भलाराम मोहनराम जी मालवी
अशोक देदा राम जी काग
राजूराम   परकाराम जी मालवी
नेमाराम कलाराम जी काग
इन सभी के सुपुत्रो की होली को ढूंन्दोत्सव  मनाया गया है और 
सरवन राम रूपाराम जी काग
जीताराम डूंगर राम जी काग
दो ढुन्ड दुसरी  बार थी

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

ठग को ठगी मिला

।। राम राम सा ।।
ठग को ठग मिला , मिला ब्राह्मण को नाई ।
एक दिखाया टीपणा, दूजे आरसी दिखाई ।।

मित्रो देश में बच्चे कम और बाबा ज्यादा पैदा हो रहे है, आश्चर्य की बात जितने बाबा उससे ज्यादा भक्त है । भक्त तो ऐसे पागल है की पूछिये मत, बाबा नहीं भगवान है बाबा ।बाबा अनंत , बाबा की लीला अनंता ।
एक बार एक बाबा जी का ३ दिवसीय प्रवचन एक बड़े शहर के छोटे कस्बे में था ।क़स्बाशहरसे ४०-५० किलोमीटर दूर था । प्रवचन के पहले दिन बाबा का एक भक्त प्रवचन शुरू होने से पहले आया औरबाबा जी के चरणों में १००००१ रूपये की भेंट चढाईऔरबाबाजी से आशीर्वाद ग्रहण किया । बाबा जी ने भक्त से पूछा की वो कहाँ से आया है तो भक्त ने बताया की वो दिल्ली में व्यवसाई है और इस शहर में उसका पैतृक निवास है । उसने बाबा जी को अपने निवास पर भी आमंत्रित किया पर बाबा जी ने मना कर दिया, बोले इस बार संभव नहीं है, वो अगली बार जब आयेगे तो जरुर जायेंगे ।
भक्त ने बाबा जी का प्रवचन प्रथम पंक्ति में बैठ कर सुनने के लिए , आयोजक से२५००० प्रतिदिन के हिसाब से 75000 रुपये देकर , बाबा जी के कागजी ट्रस्ट के नाम रसीद कटवा ली। प्रथम दिन भक्त ने बड़े श्रद्धा -भाव के साथ बाबा जी का प्रवचन सुना, जाते समय भी बाबा जी के चरण छूकर गया और आयोजक से बोला की अगली बारबाबाजी के आने , रहने और पंडाल की वयवस्था उसके तरफ से होगी ।
भक्त एक महंगी गाड़ी से आया हुआ था, साथ में एक अंगरक्षक भी था , अच्छा चढावा भी चढाया था , इन बातों से बाबा जी को लग गया की भक्त एक मोटा असामी है। अगले दिन प्रवचन में भक्त प्रवचन शुरू होने के बाद आया । प्रवचनखत्महोने पर भक्त, बाबा जी से मिला और बताया की महाराज बिजनेस की वजह से दिल्ली जाना पड़ा था लेकिन वहां से काम खत्म कर के वापस आ गया हूँ , अब कल शाम को आपका प्रवचन सुन कर ही वापस जाऊंगा , आपको गुरु बनाते ही मेरे कष्ट दूर होने लगे है , एक डूबा हुआ धन वापस आ गया है , आयोजक लोगों से कह दीजिये कीजितना खर्च हो रहा है , उसका आधा पैसा मैं दूंगा।बाबा खुश थे ऐसा भक्त पाकर.
अंतिम दिन प्रवचन में बहुत भीड़ हुई , लोगो नेबहुत नकद चढावा चढाया। लाखों रुपये तीन दिन के भीतर बाबा जी के पास नकद आ गए थे । बाबा जी को रात को शहर से राजधानी पकड़ कर अपने आश्रम वापस जाना था । बाबा जी ने अपने भक्त को बुलया और कहा की यदि उन्हें दिक्कत न हो तो वे उनके साथ स्टेशन चले,नकद ज्यादा है शहर ५० किलोमीटर दूर है और रास्ता भी ठीक नहीं है ,अगर २ -३ गाड़ी एक साथ चलेगी तो कोई दिक्कत नहीं होगी ।
भक्त ने आग्रह किया की बाबा जी आप मेरे साथ मेरी गाड़ी में बैठ कर चलिए, रास्ते में मैं आप से बोध -ज्ञान लेता चलूँगा । बाबा मान गए ।बाबा ,भक्त ,अंगरक्षक और ड्राइवर एक गाड़ी मेंऔर बाकि बाबा के चेले अन्य गाड़ियों में बैठ के रवाना हुए । भक्त का ड्राईवर बहुत तेज गाड़ी चला रहा था , जब पीछे लोग दिखाई देना बंद हो गए तो ड्राईवर नेगाड़ी सड़क से निचे उतार कर सुनसान जगह में लगा दी। बाबा को पता भी नहीं चला , वो तोभक्त को ज्ञान दे रहे थे, भक्त ने बाबा जी के रिवाल्वर लगा दी, बोलाबाबा चुप -चाप उतरोगे या गोली चलानी पड़ेगी। बाबा अवाक् , सारा पैसा बाबा जी ने भक्त की गाड़ी में रखवाया था और भात उन्हें गाड़ी से उतार रहा है मतलब ये भक्त नहीं ये तो लुटेरा है ।बाबाजी चुप -चाप गाड़ी से उतर गएऔर उनका भक्त पैसे लेकर गायब हो गया ।थोडीदेर में जब बाबा जी के चेले अपनी गाड़ी से रास्ते से गुजरे तो देखाबाबाजीपागलो की तरह सड़क पर टहल रहे है, उन्होंने गाड़ी रोकी और जब बाबाजी से पता चला की वो भक्त नहीं एक ठग था , तो सबके होश उड़ गए । बहुत खोजने पर भी वो भक्त (ठग), बाबा जी को नहीं मिला।पुलिसके पास जा नहीं सकते थे , किसी से बता नहीं सकते थे , क्योकि जो धन मिला था उसका हिसाब सरकार को नहीं पता चलना चाहिए था (टैक्स जो नहीं देते )।
भक्त उर्फ़ नटवरलाल बाबा को कई लाख का चूना लगा गया था ।न माया मिली न राम , बाबा गए खाली हाथ।

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

अब संस्कारो की कमी हो गयी है

।। राम राम सा ।।

मित्रो तीन दिन पहले राजस्थान के सीकर  एक दुलहन अपहरण कर दिया गया  मित्रो यह तो  हद हो गयी ,एक दुल्हन को खुले आम अपहरण करके ले गए ।
    मित्रो हमारे देश में मे संस्कारों की कमी हो  गयी है  हमे  क्यो  ये दिन देखने को मिला रहे है
    कहाँ मर गयी वो हमारी आन ,बान,शांन मांन मर्यादा ।
  आजकल के इस जमाने मे राजस्थानी अपनी संस्कृति मान  मर्यादा से दूर भागकर जा रहे है । आज एक दुल्हन को लूट कर ले गए ।
   एक जमाना था जब किसी भी जाति या समाज मे अगर किसी बारात  पर आंच आती तो सबसे पहले एक क्षत्रिय अपनी जान पर दांव लगाकर उस बहन को बचाते थे ।ओर सही सलामत डोली को घर तक पहुंचाते ।
  ये जो शोसल मीडिया का जब से जमाना आया है कोई न जाने कैसे कैसे वीडियो और फोटोज सावर्जनिक कर रहे है ।
तो होना क्या है यही होगा जो आप देख रहे है ।
   आज हर दिन कही न कही ऐसी घटनाएं घटित हो रही है ।
चलो ये तो उजागर हो गयी जो सबके सामने है ।
       आज के इस दौर में देखे तो कहा तक बचेंगे ।
    हम लोग हम अपनी मांन मर्यादा को लांघ कर पश्चिमी सभ्यता की तरफ अग्रसर होते जा रहे है ।
     हर किसी को आजादी चाहिए पर वो आजादी है कौनसी ये समझ मे नही आती ।
  अपने परिवार से आजादी , कपड़े की आजादी ,बोलचाल की आजादी ।
बस  सबको अकले रहकर ही जीना है आज के युवक व युवतियों को तो यही होना  है ।
     समय होते नही जागे तो हालात बहुत बुरे होंगे ।
   अपनी  बेटे बहन बेटियों को अच्छे संस्कार दो ताकि ये दिन किसी को  देखने को न मिले ।

भारत की बढती आबादी

राम राम सा
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मित्रो बेरोजगारी की समस्या पुरे विश्व मे है लेकिन भारत जैसे देश मे बेरोजगारी थोड़े  दिनों का खेल नहीं है।इसके बहुत सारे कारण हैं।सबसे पहले तो तेज रफ्तार से बढ़ती आबादी जिसमें 4बीबियाँ और 24बच्चे वालों की बड़ी भूमिका है।दूसरा नं० आता है बड़े पैमाने पर आटोमेशन और कम्प्यूटरीकरण और तीसरा  बडा कारण है 70सालों से नेहरू गांधी परिवार की गलत नीतियाँ और भ्रष्टाचार। अब मोदी ने जब  बढती आबादी के बारे मे ठौस निर्णय लेने की बात की तो कोन्ग्रेसीयो का पिछ्वाडा ही सुलग गया ।

और सबसे बड़ा कारण हमारी सरकारें स्वयं हैंं जिनके कारण धीरे-धीरे चुपके-चुपके न जाने कब हमारी हजारों करोड़ों नौकरियों पर बांग्लादेशी और रोहिग्याओं का कब्जा हो गया।और हमारे नेता बेरोजगारी और भुखमरी के गाने गाते रहे।
मित्रो ज्यादा वर्ष  नहीं हुए है ।इन्दिरा गान्धी सरकार  के आखिर के 5 वर्ष और यूपीए के दस वर्ष ये वो समय था जब मनरेगा और रिज़र्वेशन के लालीपाप ने अचानक हमारे ग्रामीणों और खेतो मे काम करने वाले मजदूरों तथा अन्य कामगारों को इतना अमीर बना दिया ( सिर्फ सोचने में नाकि सही मायने में) कि उन्हें छोटे मोटे घरेलू और खेती के काम में शर्म आने लगी। जिसका फायदा बंगलादेशियों ने उठाया और धीरे भारतीयों को विस्थापित करते गये।
आज हालत यह हैकि तथाकथित पढ़े लिखे ग्रामीण युवक खेत पर जाने में भी कतराने लगे हैं फल यह हुआ कि खेती का काम करने वाले नहीं रहे। लोग मनरेगा के कुचक्र मे बिना काम के पैसे का आनंद लेते रहे।किसान की उपज कम होती गयी लागत बढ़ती गयी नौबत आत्महत्या तक पहुंच गयी पर ग्रामीण युवा बाबूगीरी के सपने में जड़ होकर रह गये।शहरी इलाकों का हाल भी अलग नहीं रहा।छोटेमोटे काम कोई करना नहीं चाह रहा।पर बड़ा काम तो पढ़ाई और योग्यता मांगता है या रिजर्वेशन का स्पोर्ट। 
सबका एक ही परिणाम हुआ विदशियों ने वे सारे मौके हथिया लिये। हमारे देश के लोग अब बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं।इतने सारे खाली दिमाग वालों के पास अब दो ही काम बचे हैं , चोरी- डकैती-गुंडागर्दी या फिर नेतागिरी-धरना-प्रदर्शन- आन्दोलन क्योंकि छोटा काम इनको करने मे शर्म भी आती है। मोदी ने जब उदाहरण के तौर पकोडे की बात क्या की पुरा विपक्ष उछल पड़ा ये कैसा काम है । आरे भाई कभी हमारे जोधपुर आइये सूर्या समोसे जालोरी गेट जनता स्वीट  पोकर मिष्ठान , अरोड़ा  आदि के मिर्चीबड़े मे लाईन मे खड़े रहना पड़ता है।  क्या वो रोजगार नही है । हजारो लोग काम करते है । चमचो तुम को तो मनरेगा बिना कांम किये फोगट वाला चच्का कागा हुआ है ।