बुधवार, 17 अप्रैल 2019

कलयुग का अवतार मोबाईल

📟"मोबाइल" 📟
कलयुग में भगवान एक, 'रमतियो' बणायो।
दुनियावाला ई को नाम, 'मोबाइल' रखवायो।।
'मोबाइल' रखवायो, खिलोणो है यो अजब अनोखो।
धरती क इन्साना न यो,लाग्यो घणो चोखो।।
इन्साना सुं भगवन बोल्या,बात राखज्यो याद।
सोच समझ बपराया वरना,होज्यासो बरबाद।।
होज्यासो बरबाद,चस्को लागेलो अति भारी।
ई के लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।
सदउपयोग करे जो कोई,काम घणो यो आसी।
दुरउपयोग जे होवण लाग्यो,टाबर बिगड़ जासी।।
टाबर बिगड़ जासी,कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी,काम नहीं करेला।।
टाबरां की छोड़ो,बडोड़ा की अक्कल कढ जासी।
काम धंधा छोड़ बैठ्या मोबाइल मचकासी।
मोबाइल मचकासी और खेलसी दिनभर गेम।
व्हाट्सएप क मैसेज मे ही,बीत जासी टेम।।
छोरियां और लुगायां लेसी इंटरनेट कनेक्सन।
हाथां में मोबाइल रखणो बण जावेलो फ़ैसन।।
बण जावेलो फ़ैसन,ए तो फेसबुक चलासी।
रामायण और भगवतगीता ने,पढणो भूल जासी।।
अपणे अपणे मोबाइल मे,रहसी सगळा मस्त।
धर्म कर्म और रिश्ता नाता,सब होजासी ध्वस्त।।
कहे सुनो प्रभु थारी लीला अपरम्पार।
म्हाने तो लागे यो थांरो,है 'कल्कि अवतार'।।

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