सिनली
सात सुख पैलो सुख-निरोगी काया, दूजो सुख-हो घर में माया। तीजो सुख-पतिवरता नारी, चौथो सुख-पुत्र आग्याकारी। पांचवो सुख-सुथांन वासो, छट्ठो सुख-हो नीर-निवासी। सातवों सुख-राज में पासो।।
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