राम राम सा
मत पूछे के ठाठ भायला, पोळी में है खाट भायला ||
पनघट पायल बाज्या करती, सुगनु चुड़लो हाथा मै |
रूप रंगा रा मेला भरता, रस बरस्या करतो बातां मै |
हाँस हाँस कामन घणी पूछती, के के गुज़री राताँ मै |
घूंघट माई लजा बीनणी, पल्लो देती दांता मै |
नीर बिहुणी हुई बावड़ी, सूना पणघट घाट भायला | पोळी मै है खाट भायला ||
छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो, गोटे हाळी कांचली |
मांग हींगलू नथ रो मोती, माथे रखडी सांकली |
जगमग जगमग दिवलो जुगतो, पळका पडता गैणा मै |
घणी हेत सूं सेज सजाती, काजल सारयां नैणा मै |
उन नैणा मै जाळा पड़गा, देख्या करता बाट भायला | पोळी मै है खाट भायला||
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो |
दुनिया कैती कामणगारो, अपने जुग को छैलो हो |
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं |
तन को बळ मन को जोश झळकणो, मूंछा हाली आंटी मै |
इब तो म्हारो राम रूखाळो, मिलगा दोनूं पाट भायला | पोळी मै है खाट भायला||
बिन दांता को हुयो जबाडो चश्मों चढ़ग्यो आख्याँ मै |
गोडा मांई पाणी पडगो जोर बच्यो नी हाथां मै |
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अब खाई |
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की लटक्याई ||
चिठियो म्हारो साथी बणगो, डगमग हालै टाट भायला
| पोळी मै है खाट भायला ||
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