आँजणा समाज का गौरव इतीहास की एक जलक सैकङो वर्ष पूर्व गांव किलवा जिला सांचौर में पुज्नीय श्री रूपाजी तरक के द्वारा किया हूआ ऐतिहासिक कार्य आज भी धरातल पर बोल रहा है ऐसे एतिहासिक कार्यो की पहचान आज आँजणा पटेल चौधरी के पुर्खो की राव द्वारा नामों की पोथी {राव नामो वाचे } पढते समय सबसे पहले रूपाजी तरक के नाम से समाज का इतिहास मालुम पङता है समाज में उस समय मारवाङ के रियासतों के सहयोग से अपनी ज्ञान रूपी गंगा को प्रवाहित कर समाज के हजारों कन्याओं का विवाह रचाया सोने रो टको देयने सारों रों सुख कर्यो ऐङा रूपाभाई तरक जीणै समाज रौ नोंम रौसन करीयो हजारों बच्चियों रो भविष्य उज्जवल किनो ने पिंडी पिंडी रो शुख कर्यो उस दिन से आँजणा समाज में दहेज प्रथा नहीं है तूराभाट सोने का टक्का लेने के बिना कन्या विवाह नहीं करते थे इस से उस समय केई बच्चीयों का विवाह नहीं होता था एसी प्रथा को खत्म कीया
और समाज के उज्जवल भविष्य की एक नई सुरूआत की इतिहास लम्बा है माफी चाहता हूँ थोङ़ी झलकलिखी है किलवा में आज भी रूपाभाई के दर्शनीय स्थम्भ मौजूद है
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