होली का दिन था। क्लब में त्योहार मनाने की व्यवस्था थी होली खेलने, नहाने और खाने पीने का सब प्रबंध किया गया था। अच्छा हंगामा जमा और मधुर मधुर टुन्न होने के बाद घर को लौटते समय एक सज्जन ने क्लब से पुलिस को फोन पर घबराई हुई आवाज में रपट लिखवाई,
"मेरी कार का क्लच, एक्सिलेटर, डैशबोर्ड आदि सब चोरी हो गए हैं।"
पुलिस स्टेशन पर तैनात अधिकारी ने रपट लिखकर सब कुछ जल्दी ढूँढ देने का वायदा किया।
फोन रखते ही फिर से घंटी बजी। पुलिस अधिकारी ने फोन उठाया, वही सज्जन बोल रहे थे,
"माफ़ कीजिएगा दरोगा जी, सब कुछ सलामत है। मैं ही गलती से पिछली सीट पर बैठ गया था।"
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