राजस्थानी भाषा सूं प्यार है तो जरूर पढना __
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खाणो वाइफ रो, पाणी पाइप रो, ध्यान एक री,
सलाह दो री, गावणो तीन रो, चोकडी चार री,
पंचायती पान्च री, छाती कुटो छ: रो, प्यार भाई
रो, नशो दवाई रो, दूध गाय रो, स्वाद मलाई रो, वेर
दुश्मन रो, वगार राई रो, एको नाई रो, घर लुगाई रो,
टांको दर्ज़ी रो, मेसेज दमजी रो, न्याय ताकडी रो,
साग काकडी रो, जाल मकडी रो, बलितो लकडी रो,
घी जाट रो, तेल हाट रो, तोलणो बाट रो, लाडु सुण्ठ
रो, महीनो जून रो, कपडो ऊन रो, घाघरो वरी रो,
और नाम बोलो हरी रो।
थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला
लुगाईओ में लाज, दिलों में राज,
चुल्हा री आग, सरसुं रो साग, सिर उपर पाग, संगीत
रा राग, .... कोनी मिलेला सा ...
औंगण में ऊखल, कूण म मूसल, घरां में लस्सी,
लत्ते टांगणकी रस्सी रिश्तों रो उजास,
दोस्तों रो गरमास,पहलवानां री लंगोट, हनुमानजी रो रोट,
घूंघट आली लुगाई, गावं म दाई, ..... कोनी मिलेला सा ....
सासरा में लाडू , तैवार माथे साडू, दोस्तां साथे
भोज, सुबह शाम नितरोज, चिड़ी बल्ला रो खेल,
WHatsapp माथे मेल, .......कोनी मिलेला सा .....
बात सुनती घरआली, हँस बतलावती साली, घरां में
बुढ्ढा, बैठकां में मुड्डा, अलपता टाबर, सुहावता आखर,
अनजानो री आशीष, कमतर ने बक्शीस, राज में भला, ने
बंद गला, .....कोनी मिलेला सा... शहर री आन,
मुछों री शान, ताऊ रो हुक्का, ब्याह रो रुक्का,
हिसाब री पर्ची, गली वालो दर्ज़ी , पाटडे माथे
नहाणो, पत्तल पे खाणो, पाणी भरेडा देग, बेन
बेटी रो नेग, .........कोनी मिलेला.....
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