मंगलवार, 24 मार्च 2015

देशी intresting..............

[1] डाढी पींवता दारू मिस्टर तुक्कल भल्ला । आखै दिन होयोड़ा रेंवता चूंच अर लल्ला ॥ ऐक दिन नीं टळता नीं मिल्यां बै बळता टिकता तो बस पड्यां मैडमजी रा खल्ला ॥ [2] बाज़ आळी खाली सीसी मांगी पाडोसी । थै तो रोज पीओ खाली तो पडी़ होसी ॥ घर में तो आत कोनी आग्या तो बात कोनी ल्याओ मंगाओ,खाली करां जल्दी सी ॥ [3] ऊंदरा बोल्या दारू पीवां पै’लै तोड़ री । दुनियां में होवै कोनी ईं रै जोड़ री ॥ छोड़ां कोनी आ दुआई छोड़ ई देस्यां लुगाई लुगाई ई हुवै बेलियो ज़ड झोड़ री ॥ [4] हथकढ री बोतल गटक’र डोल्यो । चांद धरती माथै उतरसी बोल्यो ॥ ऊंदरी बोली थम साळा कुत्ता जम खल्ल खळका चांद भेजूं अण्तोल्यो ॥ [5] बिलड़ी तो ही कोनीं हा फ़गत ऊंदरा । दारू आळै ठेकै में मोटी मोटी तूंद रा ॥ दिन मॆ पस्त रात में मस्त रोब सूं खांवता होटल में लाडू गूंद रा ॥ [6] गांव में स्सै सूं हुंस्यार हो सरपंच जी रो छोरो । आगे रेंवंतो जद होंवतो कोई मंत्री जी रो दोरो ॥ कईयां नैं फ़ंसावंतो कईयां नै मरवांवतो काढ्यां बिनां डी’ल में कोई छोटो-मोटो मोरो ॥ [7] बापू बोल्या बोट पडै़ घाल’र आ रै । मोड़ो हुवै खेत नै जल्दी कर जा रै ॥ ढोलकी खनै जद गया पतळा हा तिसळग्या खुद पड़्या मांय अर बोट रेग्यो बा’रै ॥ [8] गोष्ठी री बै’स में इस्सी लाम्बी बधी बात । कै ताण मारियां ई नीं सुळझी आखी रात ॥ आखतो हो सब्बळियो सिंझ्या गाडी चढ लियो निवड़ण सूं पै’ली दे आयो रूणीचै री जात ॥ [9] झब्बियै री लुगाई ही बोलाक बेजा । सामने आळां रा खाय जावंती भेजा ॥ घर में रेवंतो नी कोई बापडी़ पीवै कीं रो लोई छात माथै चढ़ बा गाया करती तेजा ॥ [10] झिंडियै री डीकरियां पतळी ही जंचा’र । धरियोडी हुवै जाणै सांगरियां पचा’र ॥ ऐक-ऐक कर’र सै भेळी कर’र तूळ्यां आळी पेटी में सुवावंता जंचा’र ॥ [11] ऐक सी सकल री ही मा अर बेटी । फ़ुटरापै में कोई नीं ही जाबक हेटी ॥ आयो जणां जुवाई करग्यो बो दुवाई मा नै सागै लेग्यो,घरां रै’गी बेटी ॥ [12] जाबक ई भोळो हो बापडो अल्लाद्दीन । कूकतो फ़िल्म में देख दर्द आळा सीन ॥ आई मुकळावै री घडी बीनणी बीं री रो पडी बोल्यो छोडो बपडी नै म्हैं नी ईंरो बीन ॥ [13] ऊपर सूं नीचै तांईं ऐकसा हा मिस्टर सपडा। डाडा जंचता जणां पै’रता नूआं-नूआं कपडा॥ मावडी मळ उतारिया बण पेट में उतारिया घाल्या जियां पाछा आग्या खाया जका बडा ॥ [14] पान खाय’र रमेसियै लाल कर लिया होट । घर आळी देख’र बोली ओ जी थानै फ़ोट ॥ पै’ली कसर ही आ’ई अब लागो हो लुगाई ल्यो पै’र ल्यो भलांई अब तो ओ पेटीकोट ॥ [15] लूंठा पै’लवान हा मिस्टर भूंडा राम भभूत । हरा नाख्या बां कुस्ती में पै’लवान मजबूत ॥ करता जणां बडाई आंख काढती लुगाई डरता होळै सी पैंट में कर देंवता लाई मूत॥ [16] जाबकलिगतो हो बोगड़ सिँह परमार। हरेक चीज खावण नै रैँ'वतो त्यार ॥ लुगाई कीँ घाल्यो कोनीँ ...जोर कीँ चाल्यो कोनी रीसां बळतो चाबग्यो लुगाई री सलवार।। [17] टींगर परनावण चाल्यो भत्तू मल मे'रा। बीन रूसग्यो बण लिया कोनीँ फेरा ॥ छोरी बोली आ ले रसमड़ी निभा ले फेरां सारु नीँ तो भेज दे बापू तेरा॥ [ 18] अमेरीका रा लूंठा सोखीन मिस्टर डांग । गंडक ल्यांता मोल,कई ल्यांता मांग ॥ इण रो होयो असर सरीर में होगी कसर मूत करता मतैई उठ जांवती एक टांग ॥ [19] ठुमक’र ऊंदरै कन्नै आ कैवण लागी ऊंदरी । देखो जी म्हूं लागूं हूं नी आज विश्व सुंदरी ॥ बोल्यो परनै जा रांड थोबड और आगै मांड नासां इयां लागै जाणै सीसी हुवै गूंद री ॥ [20] नितनेमी हा पंडत जी दोनूं टैम मांगता आटो । छोडता कोनी जे मिल जांवतो डांगरां रो चाटो ॥ कुत्तियां री ही अबखाई दिक्कत ही तो ही आ ई ईं सारू राखता साथळ ताईं प्लास्तर रो पाट्टो ॥ [21] चीज मांगतो जणां बोलतो ओ के प्लीज । आसूडो इस्सो पढ्यो कै भूलग्यो तमीज ॥ टैम ही भौर री हाजत ही जोर री हंगण बैठग्यो पैंट री जाग्यां खोल’र कमीज़॥ [22] रसगुल्लां री दुकान खोली प्रभु जी पूर । गाहक पटांवतां रै ऊडण लाग्यो बूर ॥ साल भर अड्या रे’या रसगुल्ला सारा पड्या रे’या छेकड जंवतां रा बिकग्या बांरा स्सै पूर ॥ [23] मुर्गी दांईं बांग देंवती मुर्गी बाई पंडा । मिनखां में बैठती जद गाळ देंवती गंडा ॥ आप रै सुभाव सूं नाम रै प्रभाव सूं दिन में दिया करती बा पांच-सात अंडा ॥ [24] लूंठा कवि हा चूणदान चोटिया । सुणाया करता दूहा फ़गत खोटिया ॥ पैली तो खूब गाजता पछै धोती चक भाजता सरोता जद चक लेता सोटियो ॥ [25] हज़ामत करावण गयौ डेमलौ डांगी । लम्बाई देख हज़ाम निसरनी मांगी ॥ ऐक ऐक पेड़ी चढ़तौ बोल्यौ बो रड़भड़तौ राम देखौ,ईं रै कठै जा’र भौडकी टांगी ॥ [26] दारू रा सौखीन हा भूतड़ जी पडि़हार । इण नसै लारै खो लियौ बां परिवार ॥ गळग्या जद गंडा लेय’र झौळी डंडा माळा फ़ेरण लागग्या जा’र हरिद्वार ॥ [27] दारू पींवतां जद कीं राख देवंता ढक्कण में । ऊंदरा मज़ा लेंवता सेठजी रै ईं लक्खण में ॥ सेठाणी भौत समझावै मक्खण क्यूं नी भावै ऊंदरा बोल्या.बी.पी.रो रोग होवै मक्खन में ॥ [28] फ़ोटू खैंचावण स्टूडियो गई चिमली ताई । सामनै बैठा,फ़ोटोग्राफ़र मींची आंख डाई ॥ ताई बठै सूं हटगी फ़ोटू खातर नटगी बोली,मरज्याणा पै’ली बण राखीबंद भाई ॥ [29] सै’र री ही बीनणी पै’ली बार देखी डाग । झूट में ही डागड़ी मुंडै ऊपड़ै हा झाग ॥ बोली फ़ूट्या करम ऊंटणी है बेसरम दोपारां देखो पेस्ट करै,लागौ ईं रै आग ॥ [30] ज़हाज़ री सवारी सारू अंटग्यौ लूधो सहारण । रिसाणौ होय भींतां में लाग्यौ टक्कर मारण ॥ लुगाई नै आई रीस खल्ल टेक्या बीस बिना ज़हाज़ ई उडग्यौ रोही में भैंसा चारण ॥ [31] बिना बीज धरती माथै पैदा नीं होवै कोई चीज । गुलाब जामण में भी होया करै छोटो सो बीज ॥ धणी री सुण पाखती लुगाई बोली आखती तो जाओ बीज देओ खेत में कूलर-पंखा-फ़्रीज ॥

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